उत्तराखण्ड
मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए घमासान चरम पर पहुंचा
सीएन, देहरादून। भाजपा फिर से प्रचंड बहुमत में सत्ता बनाने को तैयार है। कुमाऊं में ही 29 में से 18 सीटें हासिल की हैं। अब सीएम से लेकर मंत्रिमंडल में शामिल होने लेकर सियासी तापमान चरम पर है। सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चा है। जहां कुमाऊं से चार कैबिनेट मंत्री खुद को मंत्रिमंडल में शामिल होने की दौड़ में खुद को आगे किए हुए हैं। वहीं दूसरी-तीसरी बार जीते 10 विधायक भी आस बांधे हैं। युवा प्रदेश-युवा नेतृत्व के लिहाज से पहली बार विधानसभा पहुंच रहे आठ नए विधायकों की उम्मीदें भी हिलोरें मार रही हैं।
विधानसभा चुनाव-2022 का 10 मार्च को परिणाम आने के बाद अभी जश्न का माहौल है। बधाई, स्वागत व मिठाई खिलाने का दौर जारी है। जल्द ही नई सरकार का गठन हो जाएगा। सीएम रहे पुष्कर सिंह धामी भले ही कुमाऊं की खटीमा सीट से हार गए हों, लेकिन उनको सीएम बनाए जाने को लेकर चर्चा जोरों पर है। वैसे भी भाजपा 36 के जादुई आंकड़े से कहीं अधिक 47 सीटें जीती हैं। इसलिए भी सीएम कौन होगा? इसके निर्धारण के लिए निगाहें पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर ही टिकी हैं। सीएम पद के लिए खुलकर किसी की दावेदारी जैसा कुछ नहीं है। ऐसे में खुद को मंत्रिमंडल में शामिल कराना ही अधिकांश विधायकों का मकसद है।
भगत, पांडे, चुफाल व रेखा रहे हैं मंत्री
पिछले कैबिनेट में कालाढूंगी से बंशीधर भगत, गदरपुर से अरविंद पांडे, डीडीहाट से विशन सिंह चुफाल और सोमेश्वर से रेखा आर्य कैबिनेट मंत्री रहे हैं। इन्हें उम्मीद है कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
बागेश्वर से चंदन राम दास चौथी बार और रामनगर से दीवान सिंह बिष्ट तीसरी बार विधायक बने हैं। सौरभ बहुगुणा, महेश जीना, कैलाश गहतोड़ी दूसरी बार के विधायक हैं। इन्हें भी लगता है कि मंत्रिमंडल में कहीं न कहीं उनका नंबर भी आ सकता है।
कुमाऊं में आठ नए विधायक हैं। इसमें मोहन बिष्ट हैं, जिन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को हराया है। इसके अलावा कांग्रेस से भाजपा में आई सरिता आर्य, शिव अरोड़ा, त्रिलोक चीमा, मोहन सिंह मेहरा, फकीर राम, रमेश गढिय़ा में अधिकांश अपने-अपने स्तर पर मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर माहौल तलाश रहे हैं। समर्थकों के जरिये भी आवाज उठाई जा रही हैं।