उत्तराखण्ड
सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब में जमी 6 फीट बर्फ
बर्फीली झील के किनारे सात पहाड़ों के बीच स्थित है हेमकुंड साहिब
सीएन, जोशीमठ। हिमालय में स्थित पांचवें धाम हेमकुंड साहिब में अभी तक लगभग 6 फीट बर्फ जमी हुई है. आपको बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिला में हेमकुंड साहिब सिक्खों का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है. यह हिमालय से 4632 की ऊंचाई पर बर्फीली झील के किनारे सात पहाड़ों के बीच स्थित है. अटलाकुटी से हेमकुंड साहिब तक तीन किलोमीटर के आस्था पथ पर भी बर्फ जमीं हुई है. इसकी तस्वीरें एएनआई द्वारा शेयर की गई है. घांघरिया में अभी लगभग 4 फ़ीट बर्फ़ जमी हुई है। गौरतलब है कि हेमकुंड साहिब यात्रा की तैयारिया अप्रैल माह से शुरू हो जाएगी। अप्रैल माह में सिख रेजिमेंट को बर्फ़ हटाने के लिये प्रशासन से अनुमति मांगी जाएगी। इसके बाद हेमकुंड घांघरिया में बर्फ़ हटाने का कार्य शुरू हो जाएगा। 25 मई से हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएंगे। गोविंदधाम गुरुद्वारा कमेटी के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह के अनुसार हेमकंड साहिब में पिछले साल के मुकाबले कम बर्फ जमी हैं। हेमकुंड सरोवर में अभी भी बर्फ जमा हुआ है.25 अप्रैल से 418 इंजीनियर कोर के 40 जवान हेमकुंड यात्रा से बर्फ हटाने का काम शुरु करेंगे। आपको बता दें कि हेमकुंड में रुक रुककर अभी भी बर्फबारी हो रही है और वहां कड़ाके की ठंड पड़ रही है। हेमकुंड साहिब का उल्लेख गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित दसम ग्रंथ में आता है। इसलिए यह तीर्थ स्थान उन लोगों के लिए है जो दसम ग्रंथ में विश्वास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पहले मंदिर हुआ करता था जिसका निर्माण भगवान राम और लक्ष्मण ने करवाया था। सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने यहां पूजा अर्चना की थी। बाद में इसे गुरुद्वारा घोषित कर दिया गया। इस झील में हाथी पर्वत और सप्त ऋषि पर्वत ऋंखलाओं से पानी आता है। ऐसा कहा जाता है कि झील के किनारे स्थित लक्ष्मण मंदिर भी काफी खूबसूरत है और श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुंचते हैं। अधिक ऊंचाई पर होने के कारण यहां झील में लगभग 7 महीने बर्फ जमी रहती है। यहां के नजदीक फूलों की घाटी भी निकटतम पर्यटन स्थल है।