उत्तराखण्ड
मोटे अनाजों के उत्पादन से अधिक से अधिक किसानों को जोड़े
सीएन, देहरादून। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने अपने कैम्प कार्यालय में कृषि विभाग के अधिकारियों संग राज्य की कृषि योजना से संबंधित योजना बैठक ली। जिसमें कैबिनेट मंत्री ने सचिव कृषि तथा अन्य अधिकारियों को निर्देशित किया कि कृषि विभाग द्वारा बनाई जाने वाले कृषि योजना को मूलतः और मुख्यतः अधिक से अधिक रोजगार, स्वरोजगार पैदा करने के लक्ष्य पर केन्द्रित करते हुए ड्राफ्ट किया जाए। इसके अलावा राज्य के अपने मिलेट मिशन (मोटे अनाजां के उत्पादन एवं विपणन को एण्ड टू एण्ड प्रोत्साहित करने का मिशन) को फाईनल करने व उत्पाद केन्द्रित योजना बनाने के निर्देश दिए गए।
इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 को मिलेट इयर घोषित किया है। भारत के इस रिजोल्यूशन को युनाईटेड नेशनस् की समान्य सभा द्वारा स्वीकार भी कर लिया गया है। राज्य में कोदा/झंगोरा तथा कोणी जैसे मिलेट अनाजांं का उत्पादन पारम्परिक तौर पर किया भी जाता रहा है और इसके लिए राज्य में अत्यधिक अनुकूल परिस्थितियां भी हैं। कृषकों को मिलेट का बाजार मूल्य अन्य अनाजों की तुलना में कहीं ज्यादा भी मिलता है। किसानों को चावल की कीमत मिलती है 15 से 17 रुपए जबकि मिलेट अनाजों की कीमत 25 से 30 तक मिल जाती है। उत्तराखण्ड के मिलेट की शेल्फ लाईफ अन्य राज्यों के मिलेट की तुलना में कहीं ज्यादा है, यह बात कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा कही जा चुकी है। इसलिए राज्य में मोटे अनाजों के उत्पादन से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने, उनके उत्पादों में निर्यात स्तर की गुणवत्ता लाने तथा उनको बाजार उपलब्ध करवाने के लिए एण्ड-टू-एण्ड सॉल्यूशन तैयार करने के लिए राज्य अपना मिलेट मिशन ड्राफ्ट कर रहा है। मिलेट मिशन अभी तक सिर्फ कर्नाटक और उड़ीशा में ही है, अब उत्तराखण्ड अपना मिलेट प्रोग्राम बना रहा है। जर्मनी और डेनमार्क जैसे देशों ने राज्य के मिलेट उत्पादों के प्रति उत्साह दिखाया है।