उत्तराखण्ड
विश्व के सुंदरतम राजभवनों में से एक नैनीताल का राजभवन
समुद्र की सतह से 7300 फिट एवं नैनी झील से 425 फिट की ऊँचाई पर स्थित वर्तमान राजभवन
डीएन भट्ट, नैनीताल। विश्व के सुंदरतम राजभवनों में से एक नैनीताल का राजभवन जिसे तब गवर्मैन्ट हाऊस कहा जाता था। आज अपनी 125 वर्षों की गरिमामय यात्रा पूर्ण कर चुका है। यह भवन क्यों, कैसे और किन परिस्थितियों में निर्मित करवाया गया, इसके इतिहास को जानना आवश्यक है। 19 वीं शताब्दी के चौथे दशक में नैनीताल का बसना प्रारम्भ हुआ। 1854 में प्रोविंस के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर ने ग्रीष्म ऋतु में नैनीताल में निवास करने हेतु शेर-का-डांडा पहाड़ी की पूर्व दिशा में स्टोनले नामक भवन को किराए पर लिया तथा इस प्रकार रमणीक पर्वतीय स्थल नैनीताल को प्रोविंस के गवर्नर का स्वागत करने का अवसर प्राप्त हुआ। वर्ष 1865 में तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर ई डर्मैन्ड ने शेर-का-डांडा पहाड़ियों में एक नया भवन माल्डन स्टेट निर्मित करवा कर उसमें गवर्नर का आवास स्थानान्तरित कर दिया। इस भवन को उन्होंने अपने कार्यकाल की समाप्ति के बाद लाला मोतीराम साह को बेच दिया किन्तु यह भवन वर्ष 1879 तक उनके उत्तराधिकारियों के पास किराए पर रहा। इस अवधि में में इस भवन में सर विलियम म्यूर सर जैन स्ट्रैची तथा सर जार्ज कूपर रहे। कुछ समय पश्चात प्रोविंस के सर्वोच्च पद की गरिमा को दृष्टिगत रखते हुए माल्डन हाऊस को उपयुक्त नहीं समझा गया। सर जौर्ज कूपर ने नया गवर्मैन्ट हाऊस शेर-का-डांडा में ही सैन्टलू गोर्ज के समीप बनवाया लेकिन भवन का निर्माण पूर्ण होते ही 1880 के भूस्खलन के कारण भवन क्षतिग्रस्त होने लगा। भविष्य में भूस्खलन के खतरों को देखते हुए सर जौर्ज कूपर ने शेर-का-डांडा में ही सैन्टलू में एलिजाबेथन पद्धति से नया भवन बनवाया। यहाँ से सुंदर व शांत सरोवर, तराई क्षेत्र व हिमाच्छादित पर्वत श्रेणियों का मनमोहक दृश्य दिखाई देता था । यह भवन 7400 वर्ग फिट निर्मित था। इस नए गवर्मैन्ट हाऊस में सर अल्फर्ड-ए कौलविन तथा सर चार्लस क्रौसवेट ने निवास किया। दुर्भाग्य यह रहा कि इस भवन में भी दरारें दिखने लगी, जिन्हें रोकने के हर संभव प्रयास किए गए परन्तु सफलता नहीं मिली। इसी बीच वर्ष 1895 में प्रोविंस के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एैन्टोनी मैकडोनल्ड यहाँ आए और उन्होंने इस भवन को खतरनाक मान कर इसे तुड़वा दिया और नए गवर्मैन्ट हाऊस को (वर्तमान जगह में) निर्मित करवाने की कल्पना की तथा तत्कालीन सरकार को प्रस्ताव भेज दिया। अन्ततः कुछ कठिनाईयो के पश्चात स्वीकृति प्राप्त कर ली। सर एैन्टोनी मैकडोनल्ड ने सरकार से स्वीकृति मिलने के उपरान्त नैनीताल की भौगालिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अयारपाटा पहाड़ियों के मध्य शेरवुड कालेज एवं सैंट जोसफ कालेज के बीच प्राकृतिक दृष्टि से अति सुंदर भूभाग जो सभी दृष्टिकोण नए गवर्मैन्ट हाऊस के निर्माण के लिए उपयुक्त पाया गया। समुद्र की सतह से 7300 फिट एवं नैनी झील से 425 फिट की ऊँचाई पर स्थित वर्तमान राजभवन की आधार शिला 27 अप्रेल 1897 को रखी गई तथा मार्च 1890 में तीन वर्ष की अवधि मेें इसका निर्माण कार्य पूरा ह्आ। उस समय मुख्य भवन तथा इसके साथ अन्य भवनों के साथ मैदान आदि निर्मित करवाने में साढ़े सात लाख का खर्च आया तथा बिजली, पानी की व्यवस्था में 50,000 अतिरिक्त व्यय हुआ। राजभवन का परिसर 220 एकड़ में फैला हुआ है। यह भवन यूरोपियन पद्धति की गौथिक वास्तुकला पर आधारित है और देखने में अंग्रेजी के ई की आकृति सा लगता है । इसका डिजाइन बम्बई के वास्तुशिल्पी स्टेवैन्स और एक्सक्यूटिव इंजीनियर् एफओ ओरटेल द्वारा तैयार किया गया। सर एैन्टोनी मैकडोनल्ड इस गवर्मैन्ट हाऊस में निवास करने वाले पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर थे । उन्हें इसलिए भी याद किया जाता था कि उन्होंने व्यक्तिगत रूचि लेकर इस नगर के विकास एवं निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसे नगरवासियों की अत्यंत सराहना मिली। वर्ष 1991 में जब सर एैन्टोनी मैकडोनल्ड जाने लगे तो उनके कार्य एवं व्यक्तित्व से प्रभावित होकर नगर पालिका परिषद नैनीताल ने प्रथम बार किसी व्यक्ति को सम्मानित करने के लिए उनका नागरिक अभिन्नदन किया। नैनीताल का राजभवन वास्तुकला की एक अमूल्य धरोहर है। यहाँ यह स्मरण कराना भी आवश्यक है कि उन दिनों अंग्रेजी राज अपने चरमोत्कर्ष पर था। दूसरी स्मरणीय बात यह है कि नैनीताल का गवर्मैन्ट हाऊस राजभवन वर्ष 1900 में निर्मित हो चुका था जबकि दिल्ली स्थित वायसराय भवन राष्ट्रपति भवन का निर्माण वर्ष 1911 में प्रारम्भ हुआ।
लोकप्रिय भवन को 1994 में पहली बार पर्यटकों के लिए खोला गया
राजभवन का जन्मदिन मना रहे नैनीताल जन्मोत्सव समिति के दीपक बिष्ट ने बताया कि नैनीताल का ब्रिटिशकालीन राजभवन इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस की तर्ज पर बनाया गया है। अद्भुत शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध राजभवन की नींव 27 अप्रैल 1897 में रखी गई थी और मार्च 1900 में राजभवन बनकर तैयार हुआ था। पश्चिमी गोथिक शैली में बने अंग्रेजी के E आकार के इस भवन को तैयार करने में सर एंटनी पैट्रिक मैकडोनल की विशेष भूमिका रही। इसके बाद से देश और प्रदेश के राज्यपाल यहां आकर रुकते हैं, जो सिलसिला अभी तक जारी है। राजभवन में करीब 75 एकड़ भूमि पर गोल्फ कोर्स तैयार किया गया है। इसमें 1925 से गोल्फ खेला जा रहा है। इस लोकप्रिय भवन को 1994 में पहली बार पर्यटकों के लिए खोला गया।
लेखक नगर पालिका परिषद नैनीताल के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं।