उत्तराखण्ड
गांव की ओर लौटते कदम, पहाड़ में खुशहाली की नई राह : हल्द्वानी में रिवर्स पलायन से ग्राम विकास पर बड़ा मंथन
सीएन, हल्द्वानी। उत्तराखण्ड के गाँवों में स्वरोजगार की नई क्रांति लाने और शहर छोड़कर वापस अपनी माटी की ओर लौट रहे युवाओं के प्रयासों को दिशा देने के लिए आज ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग द्वारा प्रसार प्रशिक्षण केन्द्र हल्द्वानी में एक महत्वपूर्ण “रिवर्स पलायन से ग्राम विकास सम्मेलन” आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का केंद्र वे ‘रिवर्स प्रवासी’ रहे, जिन्होंने महानगरों की चकाचौंध छोड़कर अपने गाँव की पगडंडियों पर विकास की नई इबारत लिखने का साहस दिखाया है। सम्मेलन में उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी ने कहा “गाँव लौटे युवा हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के नए ‘ग्रोथ इंजन’ हैं। आयोग इन युवाओं को आधुनिक मशीनें, उन्नत तकनीक और उनके उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुँचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री पैन्यूली ने प्रवासियों के संघर्ष और स्वावलंबन पर जोर दिया। उन्होंने कहा—”रिवर्स पलायन केवल घर वापसी नहीं, बल्कि उत्तराखण्ड के आत्मसम्मान की वापसी है। गाँव लौटे हमारे प्रवासी भाई-बहन आज सीमित संसाधनों में भी जो नवाचार कर रहे हैं, वह अद्भुत है। आयोग का प्रयास है कि हम इन प्रवासियों की छोटी-बड़ी समस्याओं को सरकार तक पहुँचाएं और एक ऐसा वातावरण तैयार करें जहाँ गाँव में ही सम्मानजनक आजीविका के द्वार खुलें। हमारी संस्कृति और खेती ही हमारी असली शक्ति है।”सदस्य सचिव भरत भट्ट ने कहा अब सरकारी योजनाएं प्रवासियों के सुझावों पर बनेंगी— “हम यह समझना चाहते हैं कि धरातल पर काम करने में क्या चुनौतियां आती हैं। आपके वास्तविक अनुभव ही हमारी आगामी रणनीतियों का आधार बनेंगे।” प्राचार्य श्रीमती पूनम कांडपाल का प्रशिक्षण पर जोर:प्रसार प्रशिक्षण केन्द्र की प्राचार्य ने कहा—हुनर ही प्रगति की कुंजी है। हमारा केंद्र प्रवासियों को न केवल खेती, बल्कि व्यावसायिक प्रबंधन और आधुनिक तकनीक का भी प्रशिक्षण दे रहा है, ताकि उनका उद्यम व्यावसायिक रूप से सफल हो सके।”डीडीओ नैनीताल एवं शोध अधिकारी गजपाल चन्दानी ने प्रशासनिक बाधाओं को दूर करने का भरोसा दिलाया, वहीं शोध अधिकारी ने बताया कि इन सफल कहानियों का दस्तावेज़ीकरण किया जा रहा है ताकि इन्हें पूरे प्रदेश में ‘मॉडल’ के रूप में पेश किया जा सके। सम्मेलन में उपस्थित प्रवासियों ने मशरूम उत्पादन, शहद उत्पादन, होमस्टे और जैविक खेती के माध्यम से आजीविका के सफल उदाहरण पेश किए। चर्चा के बाद मुख्य रूप से एक सफल प्रवासी के प्रयोग को पूरे क्षेत्र में लागू करना। बाजार और ब्रांडिंग: पहाड़ी उत्पादों को आकर्षक पैकेजिंग के साथ डिजिटल बाजार से जोड़ना। निरंतर संवाद: जिला और ग्राम स्तर पर नियमित अनुभव-साझा मंच विकसित करनन पर मंथन किया गया।। इस मौके पर आयोग के सदस्य सुरेश सुयाल, अनिल साही सहित विभाग के कई अधिकारी और भारी संख्या में रिवर्स प्रवासी मौजूद रहे।

























