उत्तराखण्ड
सर्वे पूरा : अब टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन बिछने की आस बंधी 170 किमी लम्बी होगी लाईन
स्व. साह के रेल लाईन के प्रतिवेदन पर पूर्व में रेल मंत्रालय ने दी थी अपनी सहमति
सामरिक, पर्यटन, बागवानी, खनिज उत्पादन, धार्मिक पर्यटन आदि में कुमाऊं को लाभ मिल सकेगा
1911-12 में रेलवे लाइन का सर्वेक्षण कार्य प्रथम विश्व युद्ध के कारण अंग्रेजों ने रोका
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। आखिरकार बहुप्रतीक्षित टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन का सर्वे का कार्य पूरा हो गया है। रेलवे ने नोएडा की स्काईलार्क इंजीनियरिंग डिजाइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सर्वे का कार्य सौंपा था। पिछले तीन साल के बाद सर्वे कार्य पूरा करने के बाद कम्पनी ने रिपोर्ट रेलवे को सौंप दी है। रेलवे सूत्रों ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट मिल चुकी है। लगभग 170 किमी लम्बी रेल लाईन निर्माण के लिए 49000 करोड़ रूपये की डीपीआर बनेगी। कुमाऊं में चिरप्रतिक्षित टनकपुर-बागेश्वर व रामनगर-चौखुटिया रेल लाईनों के बिछने की भी आस बंधने लगी है। यहां बता दें कि कुमाऊं विश्वविद्यालय डीएसबी परिसर के भूगोल विभाग के पूर्व प्रोफेसर स्व. प्रो. जीएल साह द्वारा टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन का विस्तृत अध्ययन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रेल मंत्री को छह वर्ष पूर्व भेजे गये उत्तराखंड राज्य में प्रस्तावित टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन व महत्वाकांक्षी हिमालयी रेल परियोजना के प्रतिवेदन पर रेल मंत्रालय ने अपनी हामी ही नही भरी है बल्कि प्रोजेक्ट के मूल्यांकन व निष्कर्ष पर भी अपनी सहमति दे दी थी। प्रो. साह ने अपने प्रोजेक्ट में न केवल टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन के बावत विस्तार से जानकारी दी है वरन सम्पूर्ण परियोजना की व्यवहारिकता के पक्ष में विस्तृत सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय व तकनीकि पक्षों का भी मूल्यांकन व निष्कर्ष निकाला है। गढ़वाल में रेल लाईन का उद्घाटन करने के दौरान तत्कालीन सीएम त्रिवेन्द्र रावत ने टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन का भी जिक्र किया था। अब इसकी भी संभावना बलवती हो गई है कि प्रधानमंत्री इसे सैद्धांतिक मंजूरी दे सकते है। इस रेल लाईन की मांग वर्ष 1888 से की जा रही है। मालूम हो कि प्रो. साह ने अपना प्रोजेक्ट जीआईएस प्रणाली, उपलब्ध मानचित्र, उपग्रह चित्र, भौतिक सर्वेक्षणों व क्षेत्रीय जनता से प्राप्त सूचनाओं को लेकर लंबे शोध के बाद टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाइन का प्रोजेक्ट बनाकर प्रधानमंत्री व रेल मंत्रालय को भेजा था। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा प्रोजेक्ट को बेहतर बताते हुए उसे सर्वे में शामिल करने की हामी भरी है। मालूम हो कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन की तरह टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाइन भी सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगी। रेल लाईन पिथौरागढ़ की नैनी-सैनी हवाई पट्टी से केवल 30 किमी दूर होगी। 21 वीं सदी की युद्ध नीति में इसका बहुआयामी उपयोग किया जा सकेगा। यही नही अपने समूचे यात्रा पथ में महाकाली, शारदा नदी के समानान्तर टनकपुर से पंचेश्वर तक 67 किमी की यह रेल लाईन प्रस्तावित पंचेश्वर बांध के लिए भी मील का पत्थर साबित होगी। इसके अलावा धौलीगंगा व अन्य परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इस रेल लाईन से पर्यटन, बागवानी, खनिज उत्पादन, धार्मिक पर्यटन आदि में बहुउपयोगी लाभ मिल सकेगा। इन सबके अतिरिक्त इस रेल लाईन से अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत व चमोली जनपद के सघन बसाव क्षेत्र की 25 लाख से अधिक की जनसंख्या को सरल व महत्वपूर्ण परिवहन तंत्र की सुविधा मिल जायेगी। अंग्रेजी शासनकाल में टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाईन प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व 1888 में पहल की गई थी। बागेश्वर रेलवे लाइन के लिए सन् 1911-12 में अंग्रेज शासकों द्वारा तिब्बत व नेपाल से सटे इस भू भाग में सामरिक महत्व व सैनिकों के आवागमन तथा वन संपदा के दोहन के लिये टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाइन का सर्वेक्षण शुरू किया था। लेकिन प्रथम विश्व युद्ध के कारण उपजी दीर्घ समस्याओं के चलते यह योजना ठंडे बस्ते में चली गयी।
रेल मार्ग निर्माण को 1980 से चल रहा है संघर्ष
नैनीताल। वर्ष 1980 में बागेश्वर आई इंदिरा गांधी को इस मामले में ज्ञापन भी दिया गया। सन् 1984 में भी इस लाइन के सर्वे की चर्चा हुई लेकिन इस पर कार्य नही हो पाया। इस पर कई बार घोषणाएं भी हुई। लेकिन निराश जनता ने बागेश्वर में रेल मार्ग निर्माण संघर्ष समिति का भी गठन किया गया। इस समिति द्वारा टनकपुर-बागेश्वर सहित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग व रामनगर-चौखुटिया रेल मार्गों के सर्वे की मांग को लेकर अपना संघर्ष जारी रखा। 2008 से 2010 तक आन्दोलन चले। दिल्ली में धरना प्रदर्शन भी किये गये। 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने चारों रेल लाइन का सर्वे कराने का निर्णय लिया लेकिन सत्ता से बाहर होने के बाद सर्वे का कार्य फिर ठंडे बस्ते में चला गया। अब इनमें से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन को हरी झंडी मिल चुकी है तो अब टनकपुर-बागेश्वर व रामनगर-चौखुटिया रेल मार्गों की भी आस बंधने लगी है।
इस स्थानों में बनेंगे स्टेशन
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 13 क्रासिंग स्टेशन और एक टर्मिनल स्टेशन बनाया जाएगा। ये स्टेशन टनकपुर, पूर्णागिरि रोड, कालदूँगा, पोलाबन, धनोर, पंचेश्वर, कारीघात, बिरकोला, नयाल, सल्यूर, जमनी, रालखोलीचक और बागेश्वर में बनेंगे। रेलवे अफसरों के मुताबिक टनकपुर बसे बागेश्वर तक रेल लाइन पहुचाने के लिए 93 बढ़े और 183 छोटे ब्रिज बनाए जाएंगे। इसके साथ ही दो ओवर ब्रिज और तीन अंडर ब्रिज भी बनाए जाएंगे। इसके अलावा 72 टनल भी बनेंगे। सबसे बढ़ा टनल 4.75 किमी का बनेगा। जबकि सभी टनलों की कुल लंबाई 53.44 किलोमीटर होगी।