उत्तराखण्ड
पर्यावरण का संरक्षण करना मानव का नैतिक दायित्व : प्रो. तिवारी
विद्यार्थियों को पर्यावरणीय नैतिकता तथा पौधों पर दिया ऑनलाइन व्याख्यान
सीएन, नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के शोध एवम प्रसार निदेशालय के निदेशक प्रो. ललित तिवारी ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी के विद्यार्थियों को पर्यावरणीय नैतिकता तथा पौधों पर ऑनलाइन व्याख्यान दिया। प्रो. तिवारी ने कहा कि मानव का नैतिक दायित्व है की वह पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका के महत्व को समझें जिससे पर्यावरण में हो रहे नुकसान को कम से कम किया जा सके। उन्होंने कहा की पर्यावरण में ह्रास के मुख्य कारण पर्यावरण प्रदुषण, जल प्रदुषण, भूमि प्रदुषण, खनिज का अवैज्ञानिक विदोहन इत्यादि है, हमें अपनी प्रकृति का सम्मान करना होगा ,कानूनी तथा धार्मिक पक्ष को इसके लिए और मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा की इस पृथ्वी पर मानव सबसे अधिक शक्तिशाली जीव है ,उसे सभी प्रजातियों का आदर करना होगा यह प्रकृति केवल मानव के लिए ही नहीं अपितु सभी प्रजातियों के लिए है और मानव भी इस प्रकृति का मात्र एक भाग है।उन्होंने कहा की समाज, आर्थिक एवम पर्यावरण एक दूसरे पर आधारित है, उसमे अनुकूल समन्वय करके ही विकास की रूपरेखा तैयार होनी चाहिए। प्रो. तिवारी ने धार्मिक पौधों आम, नीम, तुलसी सरसों के साथ सड़क के किनारे लगाए जाने वाले पौधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने रामायण तथा भागवत गीता में वर्णित पौधों तथा अधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधों बरगद, नीम, तुलसी, अशोक बेल, एलोवेरा, मनी प्लांट इत्यादि को अधिक लगाए जाने की अपील की। प्रो. तिवारी ने कहा आज फूलदई का पर्व है के रूप में जाना जाता है और इस दिन को हम फलहारी पुष्प दिवस के रूप में मनाते हैं और निश्चित रूप से ये हमारी परंपरा है जब हम प्रकृति के संरक्षण और उसकी विशेषता के लिए फिर एक बार अपनी पीढ़ी को जाग्रत करते हैं। होली के महोत्सव में चीड़ बंधन का कार्यकर्म पदम के वृक्ष के साथ होता है और फूलदई में प्यूली, बुरांश के पुष्प उपयोग में लाए जाते हैं।