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उत्तराखण्ड

43 फीसदी इलाकों में पानी की न्यूनतम उपलब्धता भी नहीं : यशपाल

सरकार से बजट की राह का बहाना कर अपनी ज़िम्मेदारी से भाग रहे हैं जिम्मेदार महकमें
सीएन, हल्द्वानी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि उत्तराखंड में गर्मी में बिजली की समस्या के साथ ही पानी की किल्लत भी बढ़ गई है। पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों तक कइ शहरों में पीने के पानी की कमी की वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चुनाव के दौरान किए गए वादे भी खोखले साबित हो रहे हैं। पानी के लिए लोग एक नल के चारों ओर अपनी बाल्टियां लेकर खड़े हो रहे हैं। नदियों के घर में रहने वाले लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। श्री आर्य ने कहा कि गंगा, यमुना, भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, शारदा, सरयू, गोरी-काली, कोसी आदि नदियां जिस राज्य की पहचान हैं, उस उत्तराखंड में गर्मी और पानी की जरूरत बढ़ने के साथ ही इसकी किल्लत शुरू हो गई है। पानी के प्रबंधन के लिए राज्य में पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम, उत्तराखंड जल संस्थान, जलागम और उत्तराखंड ग्रामीण पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता परियोजना (स्वजल) जैसी संस्थाएं मूक दर्शक बनी है और सरकार से बजट की राह का बहाना कर अपनी ज़िम्मेदारी से भाग रही है। कहा कि पानी के प्राकृतिक जल स्रोतों को हम संभाल नहीं पा रहे। सरकार की कोशिश इस सीजन में पेयजल उपलब्धता मजबूत कराने की जगह उपचुनाव कैसे जीते उस पर लगी है। गर्मियों में जल एकत्र करने के लिए लंबी कतारें एवं अधिकांश इलाकों में महिलाओं एवं बच्चों द्वारा 2 किलोमीटर से भी अधिक दूर स्रोतों से जल लाने का मंजर आज उत्तराखंड में चारों तरफ़ दिख रहा है। जल संस्थान हर बार पानी की किल्लत नहीं होने देने के दावे करता है, लेकिन हर बार दावे हवाई और फेल साबित होते हैं। लोगों का धैर्य भी जवाब देने लगा है। डबल इंजन सरकार से निवेदन है उपचुनाव लड़ लीजिएगा लेकिन जनमानस ने पूर्ण बहुमत दिया है 24 घंटे ना सही अभी फ़िलहाल पर्याप्त पानी देने के लिए ठोस उपाय और ज़िम्मेदार अधिकारी जो हाथ पे हाथ धरे बैठे है उनको निर्देशित करे।

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