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आज 18 नवंबर नैनीताल जन्मदिन विशेष : त्रि ऋषि सरोवर तथा माता सती के आशीर्वाद स्वरूप 64 सिद्ध पीठ में शामिल है नैनीताल

आज 18 नवंबर नैनीताल जन्मदिन विशेष : त्रि ऋषि सरोवर तथा माता सती के आशीर्वाद स्वरूप 64 सिद्ध पीठ में शामिल है नैनीताल
प्नो. ललित तिवारी, नैनीताल। आज ही के दिन अंग्रेजों ने पवित्र धार्मिक स्थल नैनीताल को खोज निकाला था। नैनी सरोवर के तट पर स्थिति मां नयना देवी के मंदिर में पूजा अर्चना के अलावा नैनीताल में तब कोई बसासत नही थी। माना जाता है कि त्रि ऋषि सरोवर तथा माता सती के आशीर्वाद स्वरूप 64 सिद्ध पीठ में शामिल है। सरोवर नगरी नैनीताल को 18 नवंबर 1841 को पी बैरन नाम के शाहजहांपुर में अंग्रेज शराब व्यापारी ने प्रकृति से खोज निकाला। मना जाता है कि पहले बैरन शेर का डांडा क्षेत्र से खैरना से यहां पहुंचे फिर दुबारा 1841 में आए। इन 1842 वर्षों में नैनीताल अंतरराष्ट्रीय शहर के रूप में स्थापित है। यह की प्राकृतिक सुंदरता ,प्राकृतिक झील ओर वन इसे बिल्कुल नैसर्गिक सुंदर बनाते है। यहां के बांज, सुरई, देवदार श, पॉपुलर, किलमोडी, बुरांस, करनेस, सेलेक्स के साथ मॉल रोड चिनार के पेड़ इसकी खूबसूरती बढ़ाते है। मॉल रोड, नैना पीक, स्नो व्यू , ठंडी सड़क, नयना देवी मंदिर, बारह पत्थर, पाषाण देवी मंदिर श्री राम सेवक सभा, हनुमानगढ़, बड़ा बाजार, मल्लीताल फ्लैट्स यहां की पहचान है तो नमकीन श, मोमबत्ती, वुडन वर्क, गर्म कपड़े, मिठाई, पहाड़ी खाना यह की पहचान है । खूबसूरती के प्राकृतिक स्थान नैनीताल को 1938 मीटर से 2611 मीटर तक की टोपोग्राफी मिलती है तो साथ पहाड़िया से घिरा आयर पट्टा, कमेल्स बक, हांडी बांडी, नयना पीक अलमा पीक, शेर का डांडा , लड़ियां कांटा इससे प्रकृति का स्वर्ग बनाते है । 24, नवंबर 1841, को कोलकाता के इंग्लिश मेन न्यूज पेपर में छापे नैनीताल का जिक्र से इसे विश्व शहर बना दिया। 1842 में पीलग्रीम लॉज पहला भवन बना। 1862 में इसे उत्तर पश्चिम प्रांत की ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाया गया। नामचीन लोगो का शहर नैनीताल शिक्षा के लिए प्रसिद्ध रहा है। नैनीताल के पब्लिक स्कूल्स के साथ हिंदी मीडियम स्कूल एवं विश्वविधालय ने मानव संसाधन को विकसित किया जिन्होंने देश के साथ मानवता के लिए कार्य किया। 11.73 किलोमीटर स्क्वायर एरिया का नैनीताल 1880 सितंबर 18 की त्रासदी भी सह चुका है। जब भारी बरसात के बाद आल्मा पहाड़ी में भारी भूस्खलन हुआ। इस त्रासदी में 151 विदेशी व हिन्दुस्तानी लोग मारे गये। विशाल विक्टोरिया होटल व बेल की दुकान, आदि नयना देवी मंदिर सहित कई इमारतें मलुवे के साथ नैनी झील में समा गई। परिणाम स्वरूप नैनीताल में फ्लैट्स का निर्माण हुआ। इस त्रासदी से पूरी ब्रिटिश हुकूमत हिल गई। इसके बाद 1880 से 1885 के बीच बने 62 नाले जिनकी लंबाई 79 किलोमीटर थी उन्होंने नैनीताल के हमेशा रक्षा की है। आज के संदर्भ में पर्यटन, शिक्षा की दृष्टि से विश्वस्तरीय नैनीताल का संरक्षण जरूरी है। नैनीताल पद्म विभूषण ,पद्म श्री की जन्म स्थली एवं कर्मस्थली रही है। बाबा नीम करौली से जुड़ी देश को वैज्ञानिक ,राजनेता, ब्यूरोक्रेट, पर्यावरण विद देने वाली है नैनीताल की धरती। 1953 में माइनस 5.6 डिग्री सेल्सियस तापक्रम तो 1975 में सर्वाधिक बर्फबारी दर्ज है तो बर्फबारी 1986,1992, 2002, 2022 की भी मशहूर है। इसकी हवा शुद्ध बनी रहे इसका पर्यावरण जीरो पॉल्यूशन के साथ नैनीताल सतत विकास में संरक्षित रहे। आप सबको नैनीताल के जन्मदिन की बधाई। बिडम्बना यह है कि आज नैनीताल चारों आओर से भूस्खलन व अतिक्रमण की चपेट में आकर बिलबिला रहा है। शहर के खाशोआम को इसकी चिंता कर इसके पुराने वैभव को पलटाने का प्रयास करना होगा।

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