उत्तराखण्ड
आज 19 नवंबर को है मार्गशीर्ष अमावस्या : पितरों की आत्मा को शांति देने के लिए श्रेष्ठ मानी गई
सीएन, हरिद्वार। मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। अगहन मास में पड़ने वाली यह अमावस्या पितृ-तर्पण, दान, जप और लक्ष्मी-नारायण पूजा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। शास्त्रों में मार्गशीर्ष को सबसे पवित्र महीनों में स्थान दिया गया है। जानें इस दिवस का धार्मिक महत्व, करने योग्य उपाय और इससे मिलने वाले शुभ फल। मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 19 नवंबर 2025 को सुबह 09:43 से प्रारंभ होकर 20 नवंबर 2025 दोपहर 12:16 बजे तक रहेगी। यह दिन विशेष रूप से पितृ-तर्पण, दान, जप और लक्ष्मी-पूजा के लिए फलदायी माना गया है। शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं मार्गशीर्ष मास को सबसे श्रेष्ठ महीनों में स्थान दिया है। अमावस्या तिथि पितरों की आत्मा को शांति देने के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। इस दिन तर्पण, पिंडदान और दीपदान करने से पितरों को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। श्रद्धा से पितृकर्म करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से परिवार में समृद्धि, सौभाग्य और धन वृद्धि होती है। दान विशेष रूप से अन्न, वस्त्र, तिल और दीपदान पुण्यदायी माना गया है।





























































