उत्तराखण्ड
कल होलिका दहन और 18 मार्च को रंगों से होली खेली जाएगी
शास्त्रों के मुताबिक होलाष्टक में कुछ कामों को करना नहीं माना जाता है शुभ
सीएन, हरिद्वार। इस साल होली 18 मार्च को है और 17 मार्च को होलिका दहन है. होली से 8 दिन पहले होलाष्टक 2022 लग जाते हैं. शास्त्रों के मुताबिक, होलाष्टक में कुछ कामों को करना शुभ नहीं माना जाता है. लेकिन इन दिनों कुछ टोटके करने से आर्थिक परेशानी नहीं होती. हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन चैत्र माह की प्रतिपदा पर होली खेली जाती है. इस साल 17 मार्च गुरुवार को होलिका दहन होगा और 18 मार्च को रंगों से होली खेली जाएगी. होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है. रंगों के इस उत्सव को उत्साह और प्रेम के साथ मनाया जाता है. अगर होली पर कुछ उपाय किए जाएं तो होली पर धन या आर्थिक लाभ भी हो सकता है. होली के मौके पर ज्योतिर्विद कमल नंदलाल ने बताया कि होली पर कौन सा उपाय करने से धन की बरसात हो सकती है. ज्योतिर्विद कमल नंदलाल बताते हैं, लोगों को यह जानकारी हैरानी होगी कि होली एक ऐसा पर्व है, जिसे साल का सबसे अशुभ समय माना जाता है. इस अशुभ समय को होलाष्टक कहा जाता है. होली जलने के 7 दिन पहले से होलाष्टक शुरू होता है. होली शब्द मूल रूप से होला शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है अग्नि. हिंदू वर्ष के साल के आखिरी महीने की आखिरी पूर्णिमा को होली मनाई जाती है. होलाष्टक 10 मार्च को सुबह 02:56 बजे से शुरू हुए हैं, जो 18 मार्च को 12.35 मिनट पर होलाष्टक खत्म होंगे. 8 दिनों में अष्टमी तिथि को चन्द्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा राहु उग्र रूप में होते हैं. इस कारण उस समय कोई भी शुभ कार्य करना अशुभ होता है. ज्योतिर्विद कमल नंदलाल जी के मुताबिक, इन अशुभ दिनों में कुछ टोटकों का काफी महत्व होता है. यह मूलत: भस्म का पर्व है, जिसे धुरेंडी किया जाता है. आपने देखा होगा कि होली पर गेहूं की बालियां, कंडे आदि भस्म किए जाते हैं. यह पर्व महादेव के उग्र रूप को शांत करने का पर्व है. होली के दिन महादेव श्मशान में भस्म से होली खेलते हैं. होलाष्टक के दौरान रोजाना 8 गोमती चक्र का पूजा पाठ करना है. 8 गोमती चक्र लेकर उसे नम: शिवाय मंत्र से अभिमंत्रित करना है.इसके बाद इन चक्रों को आठवें दिन शिवलिंग पर चढ़ा देना चाहिए. इसके बाद से किसी को आर्थिक परेशानी नहीं आएगी. शास्त्रों के मुताबिक, होलाष्टक के समय भगवान की भक्ति करना शुभ माना जाता है. बताया जाता है कि इस दौरान एक पेड़ की शाखा को काट कर जमीन पर लगाते हैं और और उस पर रंगीन कपड़ा बांध दिया जाता है. इस पेड़ की शाखा को विष्णु भक्त प्रहलाद का रूप माना जाता है. कहा जाता है, जिस क्षेत्र में उस पेड़ की शाखा को लगाया जाता है, उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ काम नहीं होते. होलाष्टक में 8 दिन तक मांगलिक कार्यों को करना वर्जित माना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि इन दिनों में 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. वहीं किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किया जाता है. शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि होलाष्टक शुरू होने पर जिन लड़कियों की नई शादी हुई होती है, उन्हें अपने मायके में रहना चाहिए.