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उत्तर प्रदेश

ताजमहल देखने आते हैं लोग, खंडहर में भूली-बिसरी पड़ी है उस ‘ताज’ की बहन

ताजमहल देखने आते हैं लोग, खंडहर में भूली-बिसरी पड़ी है उस ‘ताज’ की बहन
सीएन, बदायूं।
उत्तर प्रदेश के आगरा में बने ताजमहल के बारे में कौन नहीं जानता होगा? सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कोने-कोने से लोग ताज का दीदार करने के लिए आते हैं। प्रेम की निशानी के तौर पर प्रसिद्ध ताजमहल का संगमरमरी आकर्षण दुनिया में कहीं नहीं है। मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी मुमताज महल की कब्र के लिए बने इस ऐतिहासिक इमारत से सिर्फ 170 किमी दूर बदायूं के शेखूपुर में एक खंडहर है, जिसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा। इससे जुड़ी सबसे दिलचस्प बात ये है कि यह खंडहर भी ताज की तरह एक मकबरा है और यहां दफ्न कब्रों में से एक कब्र उसकी है, जो मुमताज महल की बहन थीं। है न हैरत की बात। एक बहन का मकबरा ऐसा कि दुनिया भर के लोग उसे निहारने आते हैं और एक बहन ऐसे खंडहर में चिर निद्रा में लीन है, जहां तक जाने के लिए कूड़े के एक ढेर को पार करना पड़ता है। दुनिया के इतिहास में दो बहनों की नियति में इतना बड़ा अंतर शायद ही कहीं होगा। इस विरोधाभास का अनुभव करने के लिए आपको बदायूं जिले से 5 किमी दूर शेखूपुर गांव जाना चाहिए, जो राज्य की राजधानी लखनऊ से 250 किमी दूर है। वहां पहुंचने के बाद आपको एक कचरे के ढेर से होते हुए चलना होगा। इस रास्ते के अंजाम में नदी के किनारे पेड़ों की झुरमुट में ऐतिहासिक महत्व वाला एक मध्यकालीन मकबरा बना है। इस ढांचे के सेंटर में लाल पत्थर से बना एक बड़ा सा मकबरा है, जो एक ऊंचे चबूतरे पर बना है। इसके किनारों पर धनुषाकार प्रवेश द्वार हैं। मेहराब से होकर जाने पर एक गलियारा मिलता है, जो एक सेंट्रल रूम के चारों ओर चलता है। इस केंद्रीय कक्ष के बीच में एक स्टेज और उसके चारों ओर कई कब्रें बनी हुई दिखाई देती हैं। इन कब्रों में से एक, संभवतः वही जो सेंटर में है, काफी ऐतिहासिक महत्व रखता है। इसके भीतर एक महिला दफन है, जिसका नाम है- परवर खानम। परवर खानम शेख इब्राहिम की पत्नी थी, जिसे मोहतशिम खान और फरीद शेख भी कहा जाता है। मोहतशिम खान बदायूं के गवर्नर कुतुबुद्दीन कोका का बेटा था। इतिहासकारों की मानें तो कुतुबुद्दीन कोका मुगल बादशाह जहांगीर का सौतेला भाई था। कहा जाता है कि वह सम्राट का सचिव था और बाद में बंगाल प्रांत का गवर्नर भी रहा। इससे पता चलता है कि शाही दरबार में उसका काफी दबदबा था कोका भी एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखते थे। वह सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के पोते थे। चिश्ती वही, जिनकी कब्र फतेहपुर सीकरी में सम्राट के किले के अंदर बनाई गई थी। सलीम चिश्ती की बेटी ने जहांगीर को मां की तरह पाला-पोसा था। हो सकता है, इस वजह से जहांगीर और कोका के बीच करीबी बढ़ी हो। कहा यह भी जाता है कि शेखूपुर का नाम भी जहाँगीर के लड़कपन के नाम ‘शेखू’ की याद में रखा गया था। बदायूं के इस मकबरे की कहानी कुतुबुद्दीन कोका की बहू परवर खानम की है। परवर खानम एक शक्तिशाली मुगल रईस अबुल हसन जिन्हें आसफ खान के नाम से भी जाना जाता है, की बेटी थीं। हसन की बेटी का विवाह कोका के बेटे के साथ हुआ, जो मुग़ल कुलीन वर्ग के दो प्रभावशाली परिवारों के बीच रिश्तेदारी थी। परवार की एक बहन अर्जुमंद बानो बेगम थी, जिसका विवाह जहांगीर के बेटे राजकुमार खुर्रम से हुआ था। यही खुर्रम बाद में शाहजहाँ के नाम से मुगल सल्तनत के सिंहासन पर काबिज हुआ। इस ऐतिहासिक विवाह से पैदा हुए बच्चों में हिंदुस्तान का एक बादशाह औरंगजेब भी था। इसका मतलब ये है कि औरंगजेब के बाद के सभी बादशाह आसफ खान के भी वंशज थे। औरंगजेब परवर खानम का भतीजा था। परवर खानम की शादी एक शक्तिशाली कुलीन परिवार में हुई थी, जिसकी हैसियत लगभग उसी के बराबर थी, जिसमें वह पैदा हुई थी। लेकिन उनकी बहन की शादी हिंदुस्ता के भावी सम्राट के साथ हुई। यह हैसियत परवर खानम की हैसियत से काफी बड़ी थी। यही कारण है कि मरने के बाद परवर खानम बदायूं के छोटे से शेखूपुर गांव में एक मकबरे में सिमटकर रह गईं जबकि उनकी बहन अर्जुमंद बानो बेगम ‘मुमताज महल’ नाम से अमर हो गईं क्योंकि उनके पति शाहजहां ने उनकी कब्र के ऊपर ताजमहल बनवा दिया। वह ताजमहल, जो आज भी भारत का सबसे अधिक देखा जाने वाला स्मारक है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। इसके उलट मुमताज महल की बहन परवार खानम का मकबरा ढहने वाला है।

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