अंतरराष्ट्रीय
जैव विविधता का संरक्षण सतत विकास के क्रम में जरूरी-प्रो. तिवारी
नैनीताल। कुविवि डीएसबी परिसर नैनीताल बाटनी डिपार्टमेंट के प्राचार्य प्रो. ललित तिवारी ने अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस व जैव विविधता के महत्व के बावत कहा है कि अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 22 मई को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस की अहमियत को देखते इस दिवस की घोषणा की जिससे प्रत्येक नागरिक जैव विविधता के प्रति गंभीर हो सके। 22 मई 1992 को नैरोबी सम्मेलन में इसकी सहमति बनी। 22 की थीम वी द पार्ट ऑफ सॉल्यूशन जैव विविधता बिल्डिंग ए शेयर्ड फ्यूचर फोर ऑल लाइफ जैव विविधता के संरक्षण के प्रति मानव का कर्तव्य बोध है। जैव विविधता स्वेस्थाने तथा वाह्यस्थाने से संरक्षित की जा सकती है। संकटापन्न प्रजातियां प्राकृतिक आवास में ही सुरक्षित रह सकती है। एक इंसान 70 वर्ष की आयु में 65 वृक्षों द्वारा उत्पन्न ऑक्सीजन का प्रयोग करता है। विश्व में 70 लाख 50 हजार प्रजातियां ज्ञात है किंतु इनकी संख्या अधिक हो सकती है। जैव विविधता कई देशों की 5 से 30 प्रतिशत तक जीडीपी को नियंत्रित करती है। वैसे तो जैव विविधता प्रजातियां, परितंत्र, अनुवांशिक तीन प्रकार की होती है किंतु आवास नष्ट, प्रदूषण, विदेशी प्रजातियों, अति शोषण, शिकार, वन विनाश, अतिचराई, बीमारी से इनकी संख्या कम हो रही है। जैव विविधता का मानव जीवन से महत्पूर्ण स्थान है तथा इसके बिना जीवन संभव नहीं है। 11 प्रतिशत विश्व की आर्थिकी इसी पर निर्भर करती है। भोजन, कपड़ा, औषधि इसी से मिलती है। भारत में 7500 प्रजातियां औषधि गुण युक्त तथा उत्तराखंड में 701 प्रजातियां है एवम भारतीय हिमालय क्षेत्र में 1745 प्रजातियां है। जैव विविधता प्रदूषण को कम करती, तापक्रम को कम रखती, भारी धातुओं का निस्तारण, कार्बन डाई ऑक्साइड सोखने, मिट्टी बनाने, पोषक चक्र को गतिमान रखने तथा पारिस्थिकीतंत्र को स्थिरता देते है। ज्वारीय वन तूफान को कम करते हैं तो सामाजिक वन सहभागिता बनाते है। जैव विविधता का संरक्षण सतत विकास के क्रम में जरूरी है ताकि जीवन संरक्षित रहे सके।