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रूस ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने का दिया आदेश

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक, नाटो फोर्स अलर्ट, बढ़ाई सैन्य तैयारियां
राष्ट्रपति पुतिन ने कहा-रूस की यूक्रेन पर कब्जा करने की कोई योजना नहीं
सीएन, नईदिल्ली।
रूस ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने का आदेश दे दिया है और यूक्रेन की सेना से हथियार डालने का आह्वान भी कर दिया है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि रूस की यूक्रेन पर कब्जा करने की कोई योजना नहीं है, लेकिन रूस किसी भी बाहरी खतरे का त्वरित जवाब देगा। वही यूक्रेन की राजधानी कीव में बलास्ट होने की घटना भी सामने आई है। वही संकट के बीच यूक्रेन ने देशव्यापी आपातकाल की घोषणा कर दी। यूक्रेन संकट को लेकर फिलहाल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर आपातकालीन सत्र चल रहा है। इस हफ्ते में दूसरी बार यूक्रेन पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बैठक हो रही है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति ने कहा है कि हम तत्काल डी-एस्केलेशन का आह्वान करते हैं, स्थिति एक बड़े संकट में तब्दील होने के कगार पर है। अगर इसे सावधानी से नहीं संभाला जाता तो यह सुरक्षा को कमजोर कर सकता है। सभी पक्षों की सुरक्षा को ध्यान में रखा जाना चाहिए। वही यूक्रेन संकट के बीच यूक्रेन इंटरनेशनल एयरलाइंस की एक फ्लाइट 182 भारतीय नागरिकों के साथ आज दिल्ली हवाई अड्डे पर लैंड हुई है। रूस और यूक्रेन में जारी तनाव के बीच नाटो ने पूर्वी यूरोप में सैन्य बलों को फाइटर जेट और अन्य सैन्य संसाधनों के साथ तैनात कर दिया है. दरअसल नाटो ने यह कदम यूक्रेन बॉर्डर पर रूस के सैन्य निर्माण को ध्यान में रखते हुए उठाया है. नॉर्थ अटलांटिक अलायंस ऑर्गेनाइजेशन (नाटो) के इस फैसले से इस बात की संभावना और बढ़ गई है कि पश्चिमी देश यूक्रेन पर रूस के संभावित हमले को लेकर सख्त हो गए हैं. नाटो के महासचिव जेन्स स्टॉलेनबर्ग ने एक बयान में कहा कि, मैं इस गठबंधन में शामिल सभी देशों द्वारा अतिरिक्त सैन्य ताकत मुहैया कराने का स्वागत करता हूं. नाटो फोर्सेस सभी सहयोगियों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी. इनमें पूर्वी भाग के सहयोगी भी शामिल हैं. यह घोषणा तब हुई जब यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने यूक्रेन के समर्थन में नए सिरे से संकल्प प्रदर्शित करने की मांग की, और किसी भी रूसी आक्रमण का सामना करने के सर्वोत्तम तरीके पर मतभेद के बारे में चिंताओं को सामने रखा गया.इस साल अक्टूबर के महीने में सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो साझा किए गए जिनमें रूसी सैनिकों, टैंकों और मिसाइलों को यूक्रेन की सीमा की ओर बढ़ते हुए दिखाया गया था. उस समय यूक्रेन ने कहा था कि रूस ने अपनी सीमा के पास 1,15,000 सैनिकों को तैनात किया है. यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगी लंबे समय से रूस पर यूक्रेन के अलगाववादियों को हथियारों की आपूर्ति करने का आरोप लगाते रहे हैं. यूक्रेन के मुताबिक उन्हीं अलगाववादी समूहों ने 2014 में रूस को क्रीमिया पर कब्जा करने में मदद की थी. रूस ने उन आरोपों से इनकार किया था. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पिछले महीने कहा था कि वॉशिंगटन रूस की “असाधारण” गतिविधियों के बारे में चिंतित है. उन्होंने मॉस्को को 2014 की गंभीर गलती करने से बचने की चेतावनी दी.
रूस की कूटनीतिक चाल?
कुछ विश्लेषकों के मुताबिक रूस ने इस साल के वसंत में यूक्रेनी सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या में वृद्धि की. उनकी राय में, रूस ऐसा करके राजनयिक फायदा हासिल करना चाहता था. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा शिखर सम्मेलन की घोषणा के बाद रूस द्वारा सैनिकों को सीमा से हटा दिया गया था. कुछ जानकारों के मुताबिक रूस का ताजा कदम एक बार फिर नया दबाव बनाने की कोशिश हो सकता है, क्योंकि अमेरिका और रूस के राष्ट्रपतियों के बीच एक और शिखर वार्ता होने की संभावना है. कुछ पर्यवेक्षकों के अनुसार यूक्रेन ने नाटो सदस्य तुर्की से ड्रोन हासिल करके रूस को नाराज किया है, अलगाववादियों के खिलाफ तुर्की ड्रोन का उपयोग करने वाले यूक्रेनी सेना ने ड्रोन की फुटेज जारी होने के बाद सीमा पर रूस की सेना की बढ़ोतरी की सूचना मिली थी.
रूस का आरोप
रूस ने पश्चिम पर काला सागर में सैन्य अभ्यास करने और यूक्रेन को आधुनिक हथियार मुहैया कराने का आरोप लगाया है. रूस ने यह भी मांग की है कि नाटो गारंटी दे कि उसकी सैन्य महत्वाकांक्षाएं पूर्व की ओर नहीं फैलेंगी. अमेरिका, नाटो और यूरोप ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने के खिलाफ रूस को बार-बार चेतावनी दी है. अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन भी जल्द ही अपने रूसी समकक्ष सेर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे. इसी हफ्ते की शुरुआत में लावरोव ने यूक्रेन के सैन्य इरादों पर चिंता व्यक्त की थी. उनके मुताबिक कीव ने पूर्वी सीमा पर 1,25,000 सैनिकों को तैनात किया है.
जॉर्जिया जैसा ना हाल हो जाए
रूस पश्चिमी देशों के आरोपों से इनकार करता आया है. मॉस्को के मुताबिक इस साल के वसंत में रूस के बारे में इसी तरह की चिंता व्यक्त की जा रही थी, लेकिन रूस द्वारा ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई. रूस ने 2008 में जॉर्जिया के कुछ हिस्सों पर बमबारी की थी. जॉर्जिया तब अपने ही अलगाववादियों को निशाना बना रहा था. रूस की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के एक हालिया बयान में कहा गया है कि यूक्रेन को जॉर्जिया के नाटो में शामिल होने जैसे निर्णय लेने से बचना चाहिए क्योंकि जॉर्जिया को भारी कीमत चुकानी पड़ी थी. कार्नेजी मॉस्को सेंटर के आलेक्जेंडर बानोव ने समाचार एएफपी को बताया कि वह “बिना किसी कारण के आक्रमण की शायद ही कल्पना कर सकते हैं.” वे सवाल करते हैं कि इस हमले से रूस को क्या हासिल होगा.

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