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आज है 17 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस : गरीबी दूर करने के प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना उद्देश्य

आज है 17 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस : गरीबी दूर करने के प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना उद्देश्य
सीएन, नैनीताल।
प्रत्येक वर्ष संपूर्ण विश्व में 17 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 दिसम्बर 1992 को प्रत्येक वर्ष 17 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस मनाये जाने की घोषणा की गयी। इस दिवस पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए प्रयास, विकास एवं विभिन्न कार्यों व योजनाओं को जारी किया जाता है। यह दिवस पहली बार 1987 में फ्रांस में मनाया गया जिसमें लगभग एक लाख लोगों ने मानव अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। यह आंदोलन एटीडी फोर्थ वर्ल्ड के संस्थापक जोसफ व्रेंसिकी द्वारा आरंभ किया गया। इसके अतिरिक्त गरीबी से लड़ाई सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों एमडीजी और नए सतत विकास लक्ष्यों के विकास के मूल में निहित है। इस दिवस का उद्देश्य विश्व समुदाय में गरीबी दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिवस पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा गरीबी उन्मूलन के प्रयास, विकास एवं विभिन्न कार्यों व योजनाओं को जारी किया जाता है। 2024 के गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की थीम है सामाजिक और संस्थागत दुर्व्यवहार को समाप्त करना, न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों के लिए एकजुट होकर कार्य करना। इस वर्ष का फोकस गरीबी के छिपे हुए आयामों पर है, विशेष रूप से उन सामाजिक और संस्थागत दुर्व्यवहारों पर जो गरीबी में रहने वाले व्यक्तियों को झेलने पड़ते हैं और यह आह्वान करता है कि हम सभी मिलकर इन अन्यायों को दूर करें जो सतत विकास लक्ष्य न्यायपूर्णए शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा देने के अनुरूप है। गरीबी केवल एक वित्तीय समस्या नहीं है बल्कि यह एक बहुआयामी मुद्दा है जो मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है। गरीबी के कई आयाम स्पष्ट हैं, जैसे भोजन, स्वच्छ पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की कमी, लेकिन कुछ छिपे हुए आयाम भी हैं जो उतने ही विनाशकारी होते हैं, जैसे सामाजिक और संस्थागत दुर्व्यवहार। गरीबी में रहने वाले लोग अक्सर नकारात्मक सामाजिक दृष्टिकोणों का सामना करते हैं। इन व्यक्तियों को अक्सर बाहरी कारकों जैसे उनके पहनावे, उच्चारण या उनके आवासीय स्थिति के आधार पर कलंकित, भेदभावपूर्ण और न्यायसंगत माना जाता है। उन्हें अक्सर उनकी परिस्थितियों के लिए दोषी ठहराया जाता है और अपमान के साथ व्यवहार किया जाता है, जिससे आगे की सामाजिक अलगाव की स्थिति उत्पन्न होती है। यह सामाजिक दुर्व्यवहार संस्थागत दुर्व्यवहार का आधार बनता है, जहां व्यक्तियों को पक्षपातपूर्ण नीतियों, प्रतिबंधात्मक प्रथाओं और स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास और यहां तक कि कानूनी पहचान जैसे बुनियादी मानवाधिकारों तक पहुंच की कमी के माध्यम से प्रणालीगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इन संस्थागत विफलताओं ने दुनिया भर में लाखों व्यक्तियों की गरिमा और संभावनाओं को छीन लिया है। विश्व बैंक की 2011 रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की 23.6 प्रतिशत जनसंख्या लगभग 276 मिलियन की प्रतिदिन क्रय शक्ति 1।25 डॉलर प्रतिदिन है। इसके अतिरिक्त 2016 में जारी अंतरराष्ट्रीय भुखमरी सूचकांक में भारत को 97 वां स्थान मिला है। इसमें विकासशील देशों के लिए औसत दर 21.3 रखी गयी थी जबकि भारत की यह दर 28.5 प्रतिशत थी।

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