अंतरराष्ट्रीय
जी-20 का क्या है इतिहास,भारत को अध्यक्षता मिलने का क्या है महत्त्व
जी-20 का क्या है इतिहास, भारत को अध्यक्षता मिलने का क्या है महत्त्व
सीएन, नईदिल्ली। 1 दिसंबर 2022 से भारत दुनिया के महत्वपूर्ण संगठन जी-20 का एक वर्ष तक नेतृत्व करेगा। इस दौरान 200 छोटी-बड़ी बैठकों का भी आयोजन भारत के अनेकों शहरों में होगा। इससे भारतीय पर्यटन को काफी फायदा होगा। जी-20 देशों के समूह की अध्यक्षता संभालते हुए पीएम ने कहा कि “भारत दुनिया में एकता की सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा। भारत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ेगा। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार भारत की अध्यक्षता में 9 और 10 सितंबर 2023 को जी-20 के देशों के शीर्ष नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। पहली बैठक 4-7 दिसंबर को उदयपुर में होगी। इस सम्मेलन में भारत जी-20 देशों के सामने अपनी संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, विविधता और 75 वर्षों की उपलब्धियां बताएगा। जी-20, जी-7 और कुछ विकासशील देशों के सहयोग से बना एक संगठन है, इसमें 20 देशों के विदेश मंत्री, वित्त मंत्री, सेंट्रल बैंक के अधिकारी व देशों के प्रमुखों द्वारा विश्व के प्रमुख वित्तीय, पर्यावरण और स्थिर विकास विषयों पर चर्चा की जाती है। जी-20 देशों के पास विश्व के घरेलू सकल उत्पाद का 80 प्रतिशत, अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 60 से 75 प्रतिशत और विश्व की 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या है। जी-20 में ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जापान, फ्रांस, जर्मनी, चीन, भारत, रूस, इटली, इंडोनेशिया, साउथ अफ्रीका, सऊदी अरब, टर्की, अर्जेंटीना, ब्राज़ील, साउथ कोरिया, मेक्सिको और यूरोपीय यूनियन शामिल है। जबकि स्पेन को स्थायी आमंत्रित अतिथि का दर्ज़ा प्राप्त हैं तथा आसियान देशों में से एक तथा दो अफ्रीकी देश भी आमंत्रित किए जाते हैं। गई थी, जो 1990 के दशक के अंत में उभरते बाजारों में फैल गया था। इसकी शुरुआत मैक्सिकन पेसो संकट 1994 से हुई थी, इसके बाद 1997 का एशियाई वित्तीय संकट, 1998 का रूसी वित्तीय संकट, और अंततः 1998 की शरद ऋतु में लॉन्ग-टर्म कैपिटल मैनेजमेंट (एलसीटीएम) के पतन के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रभावित किया। जी-20 का मूल उद्देश्य मध्यम आय वाले देशों को शामिल करके वैश्विक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करना है। बाद में इसके एजेंडे को जलवायु परिवर्तन शमन, सतत विकास और अन्य वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए बढ़ाया गया है। जी-20 कैसे करता है काम? जी-20 का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है। इसके एजेंडे और काम का समन्वय जी-20 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है, जो राजनीतिक जुडाव, भ्रष्टाचार का विरोध, विकास, उर्जा जैसे मुद्दे पर ध्यान देते हैं, जिन्हें ‘शेरपा’ के रूप में जाना जाता है। भारतीय जी-20 शेरपा, नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत हैं। जबकि केंद्रीय बैंकों के गवर्नर, वित्त मंत्रियों के साथ मिलकर वित्तीय विनिमय, राजकोषीय मुद्दों एवं मुद्रा पर काम करते हैं। जी-20 में वार्षिक रूप से, शेरपा बैठक, विशेषज्ञ समूह की बैठक, वित्त मंत्रियों की बैठक, केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक, विदेश मंत्रियों की बैठक और देशों के प्रमुखों का शिखर सम्मेलन और विशेष कार्यक्रम भी पूरे वर्ष आयोजित किए जाते हैं। जी-20 की अध्यक्षता हर साल सदस्य देशों के बीच घूमती है। जी-20 की अध्यक्षता वाले देश, पिछले एवं अगले अध्यक्ष पद-धारक के साथ, जी-20 एजेंडा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए ‘ट्रोइका’ का निर्माण करते हैं। इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील अभी ट्रोइका देश हैं। समूह का अध्यक्ष अन्य सदस्य के साथ बातचीत करके जी-20 एजेंडा को लागू करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास हेतु उत्तरदायी होता है। इस समूह की बैठक हर वर्ष आयोजित की जाती है।