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क्राइम

रिजार्ट में बुलडोज़रः अंकिता मर्डर के सबूत मिटाने का षडयंत्र तो नहीं?

इन्द्रेश मैखुरी, देहरादून। आज अखबारों में खबर है कि रिज़ॉर्ट का वह कमरा भी बुलडोज़र से ध्वस्त किया गया, जिसमें मरहूम अंकिता रहती थी. वहाँ हत्याकांड और अन्य चीजों से जुड़े सुराग व सबूत हो सकते थे, जिन्हें बुलडोज़र चला कर नष्ट कर दिया गया. पौड़ी जिले के जिलाधिकारी डॉ.विजय कुमार जोगदंडे का बयान अखबारों में छपा है कि प्रशासन ने बुलडोज़र चलाने का आदेश नहीं दिया है. जिलाधिकारी पौड़ी ने यह भी कहा कि बुलडोज़र किसके कहने पर चला, उपजिलाधिकारी, यमकेश्वर को 15 दिन में इसकी जांच करके रिपोर्ट देने को कहा गया है. सोशल मीडिया में लोग आरोप लगा रहे हैं कि जिन विधायक को कल लोगों का भारी आक्रोश एम्स, ऋषिकेश के बाहर झेलना पड़ा, रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र चलाने के लिए भी वही जिम्मेदार हैं. अगर यह सच है तो इसकी भी जांच होनी चाहिए. जिलाधिकारी पौड़ी के बयान से तो इस मामले में साफ तौर पर षड्यंत्र की आशंका दिखाई दे रही है. पर इस बुलडोज़र पराक्रम का एक अन्य पहलू भी है. अभी दो दिन पहले तक तो पुलकित आर्य के रिज़ॉर्ट पर बुलडोजर चलाने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर सत्ताधारी पार्टी के तमाम लोग और पुलिस अपनी पीठ थपथपा रहे थे. अंकिता भंडारी के हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के साथ ही पुलकित आर्य के अवैध रिज़ॉर्ट का मामला भी उछलने लगा. बताया जा रहा है कि वनंतरा नाम का यह रिज़ॉर्ट उत्तराखंड पर्यटन विभाग में रजिस्टर्ड नहीं था. यह भी चर्चा है कि यह जगह आयुर्वेदिक दवाओं की फैक्ट्री के नाम पर ली गयी और फिर यहाँ रिज़ॉर्ट बना दिया गया.उन्माद और हिंसा के प्रेमियों ने न्याय की एक नयी प्रजाति ईजाद की है. वे तत्काल आरोपियों के ठिकानों को ज़मींदोज़ करने का राग अलापने लगते हैं. कई बार सत्ता ही नहीं, विपक्ष के लोग भी तत्काल बुलडोज़र चलाने के, इस न्यायिक प्रक्रिया को कुचलने के राग में शरीक हो जा रहे हैं.ऐसा ही अंकिता भंडारी की हत्या की वजह बने वनंतरा रिज़ॉर्ट के मामले में भी हुआ. अचानक चारों तरफ से यह हल्ला शुरू हो गया कि भाजपा नेता विनोद आर्य के पुत्र पुलकित के इस अवैध रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र कब चलेगा. जो सरकार, प्रशासन और पुलिस वक्त रहते अंकिता को न ढूंढ पाने के आरोपों का दबाव और गुस्सा झेल रहे थे, बुलडोज़र चलाने की मांग ने उन्हें बच निकलने का रास्ता दे दिया. तत्काल ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वनंतरा रिज़ॉर्ट बुलडोज़र चलाने की घोषणा की, उत्तराखंड पुलिस ने भी इस घोषणा की वीरता का बखान करते हुए आगे बढ़ाया. उत्तराखंड में एक ऐसी जमात है, जो कुछ भी हो जाने पर सत्ता की तारीफ करने और सरकार का आभार प्रकट करने का अवसर निकाल ही लेती है. “बारात हो या वारदात” उनके लिए हर अवसर सिर्फ और सिर्फ सरकार और मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करने का अवसर है. इस जमात ने भी बुलडोज़र चलाने के लिए तत्काल मुख्यमंत्री के आभार की पुष्प वर्षा सोशल मीडिया में कर डाली. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 24 सितंबर को अपने ट्विटर हैंडल से वनंतरा रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र चलाने की घोषणा की, उनके ट्वीट को मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दोहराया गया. उत्तराखंड पुलिस के ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज से भी बुलडोज़र चलाने की घोषणा को न केवल दोहराया गया बल्कि उसका वीडियो भी पोस्ट किया गया.

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अंकिता हत्याकांड में पहले दिन से जांच में जुड़े कोटद्वार के एडिशनल एसपी शेखर सुयाल ने तो बकायदा वीडियो जारी किया कि वनंतरा रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र चलाने से कोई सबूत नष्ट नहीं हुआ है. सारे सबूत एकत्र कर लिए गए हैं. पौड़ी पुलिस ने तो आज भी यह दावा ट्विटर पर दोहराया है. हालांकि अपराध के अन्वेषण की दृष्टि से देखें तो एडिशनल एसपी और पुलिस का यह दावा बेहद कच्चा और अविश्वसनीय है. लेकिन अचानक जिलाधिकारी,पौड़ी ऐसा क्यूँ कह रहे हैं कि उक्त रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र बिना प्रशासन की अनुमति के चला है. क्या इस घटना में बुलडोज़र चलाए जाने से होने वाले नुकसान का अंदाजा प्रशासन को हो गया है ? क्या वाकई बिना प्रशासन की अनुमति के पुलकित आर्य के रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र चल गया ? अगर इसका जवाब हाँ है तो फिर इस राज्य में कानून- व्यवस्था के खात्मे की इससे बड़ी मिसाल और क्या हो सकती है ? अगर बुलडोज़र बिना प्रशासन की अनुमति के चला तो पुलिस सोशल मीडिया पर बुलडोज़र चलाने का बखान क्यूं कर रही थी ? एक युवती की हत्या जैसे संवेदनशील मामले में पौड़ी जिले के जिलाधिकारी और पौड़ी की पुलिस के स्वर अलग-अलग क्यूं हैं ?   यह तो स्पष्ट है कि हत्या के षड्यंत्र की जगह पर बुलडोज़र चलाने की कार्यवाही पीड़ितों की नहीं आरोपियों की ही मदद करती है. जितने कम सबूत होंगे, उतने आरोपी सुरक्षित रहेंगे. उक्त रिज़ॉर्ट के बारे में तो यह आशंका है ही कि यह अन्य अवैध गतिविधियों का भी केंद्र रहा होगा. वहां बुलडोज़र चलाने और आगजनी से उन सारे अपराधों के चिन्ह एक तरह से मिटा दिये गए हैं. लेकिन अंकित हत्याकांड के मामले में पुलकित गुप्ता के रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र चलाने के प्रकरण पर जिस तरह से पहले मुख्यमंत्री और पुलिस ने अपनी पीठ ठोकी और अब पौड़ी के जिलाधिकारी, इस मामले में ठीक विपरीत बयान दे रहे हैं तो यह गंभीर अराजकता की स्थिति है, शासन-प्रशासन की मशीनरी के भीतर के बिखराव को प्रदर्शित करता है और साथ ही संकेत है कि हत्या के षड्यंत्र की बुनियाद में जो रिज़ॉर्ट था, उस पर बुलडोज़र चलाना बहादुरी नहीं एक गहरे षड्यंत्र का परिणाम है.

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नुक्ता-ए-नजर

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