धर्मक्षेत्र
भगवती पीताम्बरा इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को चलाने वाली शक्ति: विजेन्द्र पाण्डेय गुरुजी
सीएन, नैनीताल। माँ बंगलामुखी देवी अर्थात् पीताम्बरी व पीताम्बरा देवी के स्मरण व पूजन से समस्त पितृ दोषों का निवारण होता है यदि पितरों के निमित्त माँ का पूजन हवन यज्ञ व स्मरण किया जाता है तो पितृजन मुक्ति के परम अधिकारी बनतें है। यह बातें माँ पीताम्बरी के अनन्य उपासक सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डेय गुरुजी ने एक मुलाकात में कही उन्होनें कहा माँ पीताम्बरी का स्मरण जहाँ समस्त भयों से मुक्ति प्रदान करता है वहीं पितृ दोषों के निवारण व पितरों के कल्याण के लिए श्राद्ध काल में माँ का स्मरण अवश्य करना चाहिये साथ ही उन्होनें कहा जीवन में हर कार्य पितृ देवताओं की कृपा से ही सम्पन होते है इसलिए अपनें पितरों का सदैव स्मरण पूजन व वंदन करना चाहिए उनसे सदैव समृद्धि व शान्ति की प्रार्थना करनी चाहिए उन्होनें कहा यदि आपके जीवन में पितृ दोष है तो माँ की कृपा से वह दोष मंगल में परिवर्तित हो जाता है जरूरत है सच्ची श्रद्वा व भक्ति की,उन्होनें माँ पीतांबरी की महिमा का वर्णन करते हुए कहा है, कि माँ की महिमा अपरंपार है जो भी प्राणी अपने आराधना के श्रद्वा पुष्प भक्ति-भाव के साथ माँ के चरणों में अर्पित करता है उसके समस्त मनोरथ सिद्ध होते हैं उन्होंने कहा कि, मनुष्य के जब पुण्य कर्मों का उदय होता है तभी उसकी भक्ति माँ पीतांबरी के प्रति जागृत होती है सत्य साधक श्री गुरु जी ने बताया माँ बगलामुखी देवी को ही माँ पीतांबरी अथवा पीतांबरा के नाम से पुकारा जाता है इनके अनंत नाम है इनकी भक्ति से समस्त देवी- देवताओं की कृपा सहज में ही प्राप्त होती है इन्हें त्रिशक्ति देवी भी कहते है। इनकी आराधना से माता महाकाली, माता महालक्ष्मी, व माता महासरस्वती शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों के समस्त संकटों का हरण करके जीवन को निष्कंटक गति प्रदान करती हैं। उन्होनें बताया की हिमालय क्षेत्र में इनकी आराधना शीघ्र फलदाई होती है और शीघ्र ही विश्व शांति, राष्ट्र की सुख, समृद्धि के लिए देवभूमि हिमालय के पौराणिक शक्तिपीठों की देव यात्रा का क्रम चलाया जाएगा और प्रत्येक क्षेत्र में साधना के साथ साथ सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ यज्ञ भी आयोजित किये जाऐगें उन्होनें कहा भगवती पीताम्बरा इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को चलाने वाली शक्ति है। नवग्रहों को भगवती के द्वारा ही विभिन्न कार्य सौपे गये है जिनका वो पालन करते हैं। नवग्रह स्वयं भगवती की सेवा में सदैव उपस्थित रहते हैं। जब साधक भगवती की उपासना करता है तो उसे नवग्रहों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि साधक को उसके कर्मानुसार कहीं पर दण्ड भी मिलना होता है यह दण्ड भी भगवती की कृपा से न्यून हो जाता है एवं जगदम्बा अपने प्रियक्त को इतना साहस प्रदान करती है कि वह दण्ड साधक को प्रभावित नहीं कर पाता। इस सम्पूर्ण जगत में कोई भी इतना शक्तिवान नहीं है जो जगदम्बा के भक्तों का बाल भी बांका कर सके।