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बुढ़वा मंगल 16 मई 2023 : ज्येष्ठ माह का दूसरा बड़ा मंगल आज, क्या है कथा

बुढ़वा मंगल 16 मई 2023 : ज्येष्ठ माह का दूसरा बड़ा मंगल आज, क्या है कथा
सीएन, प्रयागराज।
दूसरा बड़ा मंगल 16 मई 2023, यानि आज है। इस दिन हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व होता है। बड़े मंगल पर हनुमान जी के वृद्ध स्वरुप की पूजा की जाती है। इस साल का दूसरा बड़ा मंगल आज यानि 16 मई, 2023 को हैं। ज्येष्ठ मास में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। ज्येष्ठ माह के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहते हैं। 16 मई यानी आज इस माह का दूसरा बड़ा मंगल है। इस दिन पूरे विधि-विधान से हनुमान जी पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन बजरंगबली के वृद्ध स्वरुप की पूजा की जाती है। भगवान हनुमान इस रूप की पूजा करने से सारे बजरंगबली सारे दुखों को हर लेते हैं। इस दिन से जुड़े कुछ खास नियम हैं। बड़ा मंगल के दिन कुछ काम गलती से भी नहीं करने चाहिए। इन्हें बेहद अशुभ माना जाता है।
ऐसे करें हनुमानजी की पूजा
इस दिन सुबह स्‍नान करके हनुमानजी की तस्‍वीर के सामने लाल फूल चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके साथ ही हनुमानजी की पूजा करें और भगवान को लाल चंदन का टीका लगाएं। इसके बाद शाम को बजरंग बली को चूरमा या फिर बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं और प्रसाद को बांट दें।
बुढ़वा मंगल का इतिहास
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार बुढ़वा मंगल का इतिहास महाभारत काल और रामायण काल से जुड़ा हुआ है। पहले मत में ऐसा माना जाता है कि एक बार महाभारत काल में हजारों हाथियों के समान बल वाले भीम को अपनी शक्तियों पर बहुत घमंड हो गया था। भीम के घमंड को चूर-चूर करने के एक बार हनुमानजी ने मंगलवार को बूढ़े बंदर का रूप धरा और भीम को हरा दिया। तभी से इस दिन को बूढ़ा मंगल के नाम से मनाया जाने लगा। दूसरे मत में यह बताया गया है कि रामायण काल में एक बार सीता मां को खोजते हुए जब हनुमानजी लंका पहुंचे तो रावण ने बंदर कहकर उनका अपमान किया। रावण के घमंड को चकनाचूर करने के लिए भी हनुमानजी ने वृद्ध वानर का रूप धारण किया था। जिस दिन हनुमानजी ने यह रूप धारण किया था, उस दिन भाद्रपद मास का मंगलवार था। उस दिन बजरंगबली ने विराट रूप धारण किया था और अपनी पूंछ से लंका को जलाकर लंकापति रावण का घमंड चकनाचूर किया था।

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