धर्मक्षेत्र
18 फरवरी को महाशिवरात्रि, बड़ा ही रोचक है इसका इतिहास
18 फरवरी को महाशिवरात्रि, बड़ा ही रोचक है इसका इतिहास
पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा, भोपाल। हिंदू धर्म में भगवान शिव को पूजने वाले बहुत से लोग हैं. वैसे तो भगवान शिव की पूजा आराधना और विशेष कृपा पाने के लिए सावन का महीना उत्तम माना जाता है, लेकिन इसके अलावा प्रदोष व्रत सोमवार मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के पर्व का भी विशेष महत्व होता है. पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. महाशिवरात्रि पर देशभर के सभी ज्योतिर्लिंगों और शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. यहां पर लोग शिवलिंग का जलाभिषेक विधि विधान से करते हैं महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत सी कहानियां वर्णित की गई हैं. इन्हीं में से एक कहानी है जो बताती है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था. फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने बैरागी छोड़कर माता पार्वती के संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था. इसी वजह से हर वर्ष फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. ऐसा मानते हैं कि इस दिन भगवान शिव की हृदय से पूजा अर्चना करने से तमाम तरह की वैवाहिक जीवन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं और दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि आती है. ऐसा भी मानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन ही सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे. कई लोग 12 ज्योतिर्लिंग के प्रकट होने की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाते हैं.
यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व
महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। माघ फागुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।