Connect with us

धर्मक्षेत्र

नचिकेता ताल : उत्तरकाशी जिले का रमणीक हिमालयी तालाब : झील के पवित्र जल में स्नान करना पुण्य

नचिकेता ताल: उत्तरकाशी जिले का रमणीक हिमालयी तालाब : झील के पवित्र जल में स्नान करना पुण्य
सीएन, उत्तरकाशी।
ऋषिकेश-केदारनाथ-उत्तरकाशी मार्ग पर 29 किमी की दूरी पर एक गाँव है चौरंगीखाल मामूली बसावट वाला गाँव है, लेकिन यह गंगोत्री से लौटकर केदारनाथ या ऋषिकेश आने.जाने वाले यात्रियों का मुख्य पड़ाव है। यहाँ खाने.पीने के कई ठिकाने हैं और कुछ हैंडीक्राफ्ट की दुकानें भी। यहाँ पर गुरु चौरंगीनाथ का सिद्ध पीठ भी है। चौरंगीखाल से कई रास्ते आपको गुमनाम सुन्दर बुग्यालों और पहाड़ियों के टॉप पर ले जाते हैं। इन्हीं कम लोकप्रिय खूबसूरत जगहों में से एक है नचिकेता तालण् नाचिकेताताल जाने के लिए चौरंगीखाल से लगभग 3 किमी का पैदल रास्ता तय करना होता है। शुरुआत में ही वन विभाग की चौकी में प्रति व्यक्ति 10 रुपये का शुल्क वसूला जाता है। वन विभाग की इसके अलावा और कोई भूमिका नहीं है यह नाचिकेताताल पहुंचकर आप ज्यादा बेहतर समझ पाते हैं। नाचिकेता ताल की ओर जाने वाला रास्ता चौड़ा और साफ़.सुथरा है। समुद्रतल से नाचिकेता ताल की ऊंचाई 2455 मीटर है। चढ़ाई को इस करीने से काटा गया है कि आप ऊंचाई पर बिना थके चलते जाते हैं। देवदार, बांज, बुरांश, काफल और चीड़ आदि के घने जंगलों के बीच से गुजरने वाला यह रास्ता बेहद मनोरम है। समूचा जंगल विभिन्न प्रजातियों के परिंदों से भरा हुआ है। स्थानीय ग्रामीण जंगल में घुरल, कांकड़, बाघ और भालू जैसे जंगली जानवरों की बहुतायत बताते हैं, इसकी पुष्टि लगभग 15 सालों से नाचिकेता ताल में साधनारत एकमात्र साधू भी करते हैं। 3 किमी का रास्ता तय करने के बाद मिलती है नाचिकेता ताल झील रास्ते में सुस्ताने के लिए दो.एक शेड भी बने हुए हैं। पूरे रास्ते में पीने का पानी नहीं मिलता लिहाजा उसकी तैयारी चौरंगीखाल से ही कर लेनी पड़ती है। 7 से 10 फीट गहरा यह ताल 200 मीटर लम्बा और 30.35 मीटर चौड़ा है। पूरी झील गाद.मिट्टी और वनस्पति से पटी हुई है, इसकी सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद प्राकृतिक तालाब और घने जंगल का कॉकटेल मन को शांति प्रदान करता है और आँखों को सुकून। नाचिकेता ताल में मछलियों के बड़े.बड़े झुण्ड भी विचरते रहते हैं। कहते हैं कि इन मछलियों के बीजों को किसी अंग्रेज ने यहाँ डाला था।
नचिकेता ताल में रात रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है। वन विभाग का एकमात्र गेस्ट हाउस काफी पहले ही आग की भेंट चढ़ चुका है। अलबत्ता यहाँ निर्जन में साधनारत साधू का आग्रह रहता है कि आप उनकी कुटिया में रात गुजारें। इसके अलावा यहाँ पर घास के मैदान में आप अपना टेंट भी लगा सकते हैं, इस पर फिलहाल पाबन्दी नहीं है। रात का डेरा जमाने के लिए सारी व्यवस्थाएं साथ लेकर ही जानी होंगी। नाचिकेता ताल के पास में ही नाग देवता को समर्पित पौराणिक मंदिर और एक संकरी गुफा भी है, इस गुफा को यमद्वार भी कहा जाता है। इस जगह के बारे में स्थानीय ग्रामीणों के बीच कई मिथक और किवदंतियां प्रचलित हैण् कहा जाता है की नाचिकेताताल के सरोवर में आज भी देवी.देवता स्नान किया करते हैं और रात को यहाँ शंख, घंटे, घडियालों की गूँज सुनाई पड़ती है। किवदंती है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान का शव इसी यमद्वार पर रखकर उसके जीवन को वापस प्राप्त किया था। नाग पंचमी के दिन नाचिकेता ताल में स्थानीय ग्रामीणों का मेला भी लगा करता है, इस दिन सभी लोग झील के पवित्र जल में स्नान करना पुण्य का काम समझते हैं। नाचिकेता ताल को उद्दालक ऋषि द्वारा बनाया गया बताया जाता है। उदालक ऋषि के पुत्र नचिकेता के नाम पर ही इस झील को नचिकेता ताल कहा जाता है।
नाचिकेता की कहानी
कहते हैं कि नचिकेता राजा उदालक के पुत्र थेण् एक बार उदालक ने एक यज्ञ का आयोजन किया और बुलाये गए ब्राह्मणों को अपनी प्रिय चीजें दान में देने का निश्चय किया। पांच साल के बेटे नचिकेता ने देखा कि उनके पिता बेकार वस्तुए एवं खंडित गायें दान दे रहे हैं। उन्होंने अपने पिता से कहा कि इस तरह का दान अपराध की तरह है। आपने अपनी प्रिय वस्तुए दान देने का निश्चय किया है अतः आप मुझे किसे दान देंगे, क्योंकि में भी आपका प्रिय हूँ। नचिकेता के कई दफा अपना सवाल दोहराने पर उदालक ने उनसे कहा में तुम्हें यम को दान में दूंगा। नचिकेता मृत्युलोक देखने के लिए नाचिकेता ताल स्थित यमद्वार आए। 3 दिन तक मृत्युलोक गए यमराज का भूखे.प्यासे रहकर इन्तजार करते रहे। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें वरदान दिए। बताते हैं कि नचिकेता का यम से संवाद इसी नाचिकेता ताल के पास स्थित यम द्वार के पास हुआ था।
काफल ट्री से साभार

More in धर्मक्षेत्र

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING