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नवरात्र : आज चौथे दिन मां कूष्मांडा की करें पूजा, उपासना से सिद्धियों में निधियों को करें प्राप्त

नवरात्र : आज चौथे दिन मां कूष्मांडा की करें पूजा, उपासना से सिद्धियों में निधियों को करें प्राप्त
सीएन, हरिद्वार।
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा.आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग.शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है। देवी कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़े। मां को बलियों में कुम्हड़े की बलि सबसे ज्यादा प्रिय है। इसलिए इन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है। धर्म से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार, मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना हमेशा शांत मन से ही की जानी चाहिए। इस पूजन के लिए पीले फल अर्पित करें, पीले ही फूल चढ़ाएं, पीला वस्त्र भी माता को भेंट करें। क्योंकि यह रंग मां को बहुत प्रिय है। वहीं मां कुष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ है, जिसे बनाकर मां के चरणों में अर्पित करेंं कुष्मांडा देवी का स्वरूप अत्यंत ही सुंदर और भव्य हैं माता की आठ भुजाएं मानी जाती हैंं। इन आठ भुजाओं में वो अलग अलग वस्तु उठाए हुए हैं। एक भुजा में कमंडल, एक भुजा में धनुष और बाण, एक में कमल पुष्प, एक में शंख, एक भुजा में चक्र, एक अन्य भुजा में गदा और एक भुजा में सभी सिद्धियों को सिद्ध करने वाली माला है। एक हाथ में मां अमृत कलश भी लिए हुई हैं। वहीं मां कुष्मांडा का वाहन सिंह है। ऐसी मान्यता है कि देवी को कुम्हड़े कद्दू की बलि प्रिय है। इस सब्जी को कुष्मांड भी कहते हैं। जिसके आधार पर देवी का नाम भी पड़ गया कुष्मांडा। यह भी माना जाता है कि ब्रह्मांड का निर्माण मां के इस स्वरूप की मुस्कान से हुआ है। इसलिए देवी सूर्यमंडल में ही रहती हैं। केवल उन्हीं में सूरज की तपन को सहन करने की क्षमता है। देवी के पूजन के लिए सुबह जल्दी उठें। सुबह उठ कर सबसे पहले स्नान कर खुद को शुद्ध करें। इसके बाद देवी के उपवास का संकल्प लें। मां कुष्मांडा का पूजन करते हुए उन्हें याद से हरी इलायची के साथ सौंफ चढ़ाएं और कुम्हड़ा भी अर्पित करें। कोशिश करें कि अपनी आयु के अनुसार हरी इलायची चढ़ा सकें। इलायची समर्पित करते समय इस मंत्र का जाप करें ॐ बुं बुधाय नमः, ये मान्यता है कि समर्पित की गई इलायची को साफ हरे वस्त्र में बांधकर, पूरे नवरात्रि अपने पास रखना सुख और समृद्धि लेकर आता है।

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