धर्मक्षेत्र
सावन माह : भगवान शिव की पत्नी बनने से पहले माता पार्वती को करनी पड़ी थी कठोर तपस्या
सावन माह : भगवान शिव की पत्नी बनने से पहले माता पार्वती को करनी पड़ी थी कठोर तपस्या
सीएन, हरिद्वार। सावन के महीने में देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यह कहानी हिंदू धर्म के पौराणिक कथाओं में विशेष महत्व रखती है। इस महीने माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए उपायों का पालन करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। पार्वती हिमालय पर्वत के राजा हिमावन और रानी मैनावती की पुत्री थीं। उनका जन्म इस उद्देश्य से हुआ था कि वे भगवान शिव को पुनः अपने पति के रूप में प्राप्त कर सकें। युवा अवस्था में ही पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या करने का निश्चय किया। उन्होंने कठोर व्रत और उपवास का पालन किया और ध्यान एवं साधना में लीन हो गईं। पार्वती ने कई वर्षों तक बिना भोजन और पानी के तपस्या की। उन्होंने केवल बेलपत्र और धतूरा खाकर अपनी साधना जारी रखी। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि धरती पर उनके प्रभाव से सूखा और अकाल पड़ने लगे। पार्वती की अटूट भक्ति और तपस्या से प्रभावित होकर भगवान शिव ने उनके समर्पण को स्वीकार किया। उन्होंने पार्वती के समक्ष प्रकट होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसके बाद शिव और पार्वती का विवाह हुआ जो पूरे ब्रह्मांड में धूमधाम से मनाया गया। यह विवाह अनेकों पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है।
इस महीने में माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए उपाय
व्रत और उपवास: सावन के सोमवार को व्रत रखकर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए लाभकारी माना जाता है।
पूजा और आरती: रोजाना माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, और चंदन अर्पित करें।
कथा और भजन : माता पार्वती और शिवजी की कथा सुनें और भजन गाएं। इससे माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं।
दूध और जल से अभिषेक: शिवलिंग पर दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। इससे भगवान शिव और माता पार्वती दोनों प्रसन्न होते हैं।
विशेष ध्यान: माता पार्वती का ध्यान करते हुए ॐ पार्वतीपतये नमः मंत्र का जाप करें। इससे मानसिक शांति और इच्छाओं की पूर्ति होती है।
संध्या आरती: संध्या के समय माता पार्वती की आरती करें और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें।