धर्मक्षेत्र
आज से शारदीय नवरात्र : नौ दिनों में देवी मां के नौ रूपों की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी
आज से शारदीय नवरात्र : नौ दिनों में देवी मां के नौ रूपों की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी
सीएन, हरिद्वार। गुरुवार, 3 अक्टूबर से शारदीय यानी आश्विन मास की नवरात्रि शुरू हो जाएगी। नवरात्रि एक साल में चार बार ऋतुओं के संधिकाल में आती है। इन दिनों में व्रत करना सेहत के लिए फायदेमंद है। देवी पूजा का ये पर्व 11 अक्टूबर तक चलेगा। 11 तारीख को तिथियों की घट-बढ़ की वजह से दुर्गा अष्टमी और दुर्गा नवमी एक ही दिन मनाई जाएगी। नवरात्रि में किए गए व्रत-उपवास से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक साल में चार बार नवरात्रि आती है और चारों बार दो ऋतुओं के संधिकाल में देवी पूजा का ये पर्व मनाया जाता है। चैत्र मास में शीत ऋतु खत्म होती है और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। आषाढ़ में ग्रीष्म ऋतु जाती है और वर्षा ऋतु आती है। आश्विन मास में वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत आती है। माघ मास में शीत ऋतु जाती है और बसंत ऋतु आती है। ऋतुओं के संधिकाल में किए गए व्रत.उपवास से धर्म लाभ के साथ ही अच्छी सेहत भी मिलती है। इसी वजह से नवरात्रि के व्रत.उपवास से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। आयुर्वेद में रोगों को ठीक करने विधियों में एक विधि है लंघन। लंघन विधि के अंतर्गत रोगी को व्रत करने की सलाह दी जाती है। व्रत करने से पाचन तंत्र का आराम मिलता है और हमारा शरीर ऊर्जा के लिए शरीर में ही मौजूद ऐसे खाने का उपयोग करता है जो पच नहीं पाता है। जब पाचन ठीक होता है तो कई रोगों दूर हो जाते हैं। नौ दिन के इस महापर्व में देवी की आराधना संन्यासी तांत्रिक और गृहस्थ अपने-अपने विधान से मां अंबे को प्रसन्न करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सनातन धर्म में देवी की उपासना का ये महापर्व है और देवी के मंत्रों की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व है। वे कहते हैं कि नवरात्र देवी के मंत्रों की सिद्धि का महापर्व है। देवी की आराधना और मंत्र सिद्धि के लिए 40 दिन की पूजा का महत्व है। लगातार 40 दिन की पूजा के दौरान किसी भी प्रकार का विघ्न आना संभव है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारे ऋषि-मुनियों ने साल के इन 40 दिनों को अलग.अलग रूप से व्यक्त करते हुए अधिकतम 10 दिन एक बार के अनुसार चार नवरात्रों में विभक्त कर दिया। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नौ रातें। इन नौ दिनों के दौरान शक्ति यानी देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ये नौ दिन श्रीदेवी भागवत अनुसार उपवास, तपस्या के 9 दिन है। नवरात्रि संसार की आदि-शक्ति दुर्गा का पावन पर्व समूह है।