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धर्मक्षेत्र

ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाना पर कोर्ट के फैसले से मुसलमानों को लगा है सदमा

-250 संतो ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयानों पर इसमें आपत्ति जताई
सीएन, वाराणसी।
ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाना पर कोर्ट के फैसले को लेकर वाराणसी में बंद के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बड़ी प्रेस कान्फ्रेंस की। मुस्लिम संगठन ने सीधे तौर पर कोर्ट पर सवाल उठाए। उसने कहा कि पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम पक्ष को जिरह का मौका नहीं दिया। दूसरे पक्ष की बात नहीं सुनी। कोर्ट ने जल्दबाजी में फैसला दिया। बोर्ड के सदस्य ने कहा, मुसलमानों की सोच कभी कब्जा करने की नहीं रही है। इस फैसले से मुसलमानों को सदमा लगा है। मुसलमानों के सब्र का इम्तेहान न लें। जिले में तहखाने में शिला की पूजा के लिए हिन्दू भाइयों को दे दिया गया है। यह इंसाफ के उसूलों के खिलाफ है। तहखाना और उसके ऊपर मस्जिद एक मुकम्मल मस्जिद है। एएसआई सर्वे रिपोर्ट सिर्फ एक दावा है, वो असलियत हैं इससे देश भर में संदेश गया है। अदालतों के गैर पक्षपाती होने स्वतंत्र होने और पारदर्शी होने का जो भरोसा था, वो टूट रहा है। क्या सरकार अदालत के इशारे पर काम कर रही है। अदालत ने सात दिन का वक्त दिया था लेकिन नौकरशाही ने दिन शुरू होने के पहले पूजा का इंतजाम कर दिया। प्रशासन कब कैसे इतना एक्टिव है। सरकार अदालत और प्रशासन की ये कार्यवाही इंसाफ के तकाजे के खिलाफ है। मुस्लिमों का जो हुक्मरानों और सिस्टम पर भरोसा हैए वो टूटा है। लोग परेशान हैए घुटन है। हम इसी बेचैनी और नाइंसाफी को यहां पेश कर रहे हैं। जो फिरकापरस्त लोग हैं, उनको समझाने की कोशिश करें। मुसलमानों के सब्र इम्तेहान न लें। अगर उनका सब्र टूटता है तो सारे देश का नुकसान होगा। बोर्ड ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला दिया और इसे पूरी गंभीरता से लागू करने की मांग सरकार से तहखाना में वाराणसी जिला जज के फैसले के बाद पूजा पाठ शुरू हो गया है। बोर्ड के एक अन्य सदस्य ने कहा, जाते जाते ये फैसला दे दिया गया। उनको फिर इनाम मिल जाएगा। अगर हमारी बात अदालत में नहीं सुनी जाएगी तो हम कहां जाएंगे। क्या हम दुश्मन हैं। ये देश हिन्दू मुसलमानों ने मिलकर बनाया था। सबकी जिम्मेदारी है कि इसकी बुनियाद संभालकर रखी जाए। उधर, ज्ञानवापी मामले को पर्सनल लॉ बोर्ड के उग्र तेवरों के बीच  250 संतो की काशी में बैठक हुई। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयानों पर इसमें आपत्ति जताई गई। संतों ने ज्ञानवापी परिसर में बाहर से नमाजियो कों बुलाकर नमाज पढ़ाने का आरोप लगाया। संत समिति ने कहा, ज्ञानवापी के पूरे परिसर को हिन्दुओं को सौंपा जाए बैठक में फैसला हुआ कि अगर ज्ञानवापी को हमें नहीं सौंपा गया तो हम अपने तरीके से ज्ञानवापी लेंगे।

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