धर्मक्षेत्र
आज गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन मां छिन्नमस्ता की करें उपासना, घी के दीपक जलायें
सीएन, हरिद्वार। आज 10 जुलाई 2024 है। आज आषाढ माह की गुप्त नवरात्रि का पांचवा दिन हैं। इस बार शुभ सयोंग का निर्माण हो रहा है। चतुर्थी तिथि 9 और 10 जुलाई दोनों दिन होने से यह नवरात्रि दस दिन की होंगी। गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन मां छिन्नमस्ता की उपासना की जाती है। देवी छिन्नमस्ता को माता चिंतपूर्णी का स्वरूप माना गया है। शिवपुराण और मार्कण्डेय पुराण में इस बात का जिक्र मिलता है कि देवी छिन्नमस्ता राक्षसों का संहार कर देवताओं को उनसे मुक्त कराया था। यह भी माना जाता है कि देवी छिन्नमस्ता की पूजा करने से मनुष्य को समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है और साथ ही सुख और समृद्धि का वरदान मिलता है। हिंदू धर्म में नवरात्रि को सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऊर्जादायक पर्व माना जाता है। सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं जो माघ, चैत्र, आषाढ़, अश्विन (शारदीय नवरात्रि) मास में होती हैं। जिसमें से दो गुप्त और दो सार्वजनिक होती हैं। आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन नौ दिनों में तंत्र साधना करने वाले लोग माँ भगवती के दस महाविद्याओं की पूजा को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। इस दौरान प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में साधक महाविद्याओं के लिए खास साधना करते हैं। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होंगी, फल उतना ही सुखदायी होगा। मान्यता है कि भक्त आषाढ़ नवरात्रि में गुप्त रूप से आदि शक्ति देवी दुर्गा की उपासना करते हैं उनके जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता है । गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन माता छिन्नमस्ता की पूजा में घी का दीपक जलाना सबसे उत्तम माना जाता है। घी को शुद्ध, पवित्र और देवी-देवताओं का प्रिय भोग भी माना जाता है। घी के दीपक का प्रकाश माता छिन्नमस्ता की तेजस्विता का प्रतीक है। घी का दीपक जलाने से माता छिन्नमस्त प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बनाएं रखती हैं।
पौराणिक कथा
इस बार गुप्त नवरात्रि 9 दिनों का ना होकर 10 दिनों का होने वाला है। 10 जुलाई 2024 पंचमी तिथि के दिन मां छिन्नमस्तिका की पूजा होगी। माता छिन्नमस्ता की उत्पत्ति से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। कथा के अनुसार एक दिन माता छिन्नमस्ता अपनी दो सखियों के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान कर रही थीं। तभी माता की सखियों ने कहा कि हमें बहुत ज्यादा भूख लगी है और माता से कुछ खाने को मांगने लगी तो माता ने उन्हें कुछ देर प्रतीक्षा करने को कहा लेकिन भूख से व्याकुल सखियां बार-बार माता से कुछ खाने के लिए मांगती रही। माता से अपनी सखियों की भूख देखी नहीं गई और मा भवानी ने अपना सिर काट दिया। उनके सिर से खून की तीन धाराएं निकलीं। इनमें से दो धाराओं को उनकी दोनों सखियों ने अपनी प्यास बुझाई और तीसरी धारा से स्वयं माता की प्यास बुझी। माना जाता है कि तब से वह माता छिन्नमस्ता के नाम से संसार में जानी जाती है। देवी दुष्टों के लिए संहार करने और भक्तों के लिए दया भाव रखती हैं, इसलिए देवी की आराधना हमेशा सच्चे और निर्मल मन से करनी चाहिए।
इस तरह करें गुप्त नवरात्रि में पूजा अराधना
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा-पाठ के साथ अराधना करें। सुबह और संध्या पूजा के समय दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें। पूजा के दौरान माता को लोंग व बताशे का भोग चढ़ाना चाहिए। इसके साथ मां को लाल पुष्प और चुनरी भी अर्पित करें। इससे माता जल्दी प्रसन्न हो जाती है। और आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखती है।