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धर्मक्षेत्र

आज विनायक चतुर्थी 18 अक्टूबर 2023 : भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने का दिन

सीएन, हरिद्वार। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस साल अश्विन माह की विनायक चतुर्थी 18 अक्टूबर 2023 को है। इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा भी की जाएगी। बच्चों की खुशहाली तरक्की के लिए ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल अश्विन विनायक चतुर्थी व्रत 5 शुभ योग के संयोग में रखा जाएगाए जिससे व्रत को दोगुना लाभ मिलेगा गणपति की विशेष कृपा बरसेगी। अश्विन माह की विनायक चतुर्थी के दिन 5 अति दुर्लभ योग बन रहे हैं। ऐसे में गणपति की पूजा और व्रत करने वालों को धन लाभ, संतान सुख और ग्रहों के पीड़ा से मुक्ति पाने का आशीर्वाद मिलेगा।
आयुष्मान योग  18 अक्टूबर, सुबह 9.22, 19 अक्टूबर, सुबह 8.19
सर्वार्थ सिद्धि सुबह 6.23  रात 9.01
रवि योगण् 6.23  रात 9.01
अमृत सिद्धि योग  सुबह 6.23  रात 9.01
बुधवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी तिथि बहुत खास होती हैए क्योंकि ये दिन गणपति को समर्पित है।
अश्विन विनायक चतुर्थी 2023 मुहूर्त
अश्विन शुक्ल चतुर्थी तिथि शुरू, 17 अक्टूबर 2023, प्रात 01 बजकर 26
अश्विन शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त  19 अक्टूबर 2023,  प्रात 1 बजकर 12
गणेश पूजा समय  सुबह 10.58  दोपहर 0.15 18 अक्टूबर 2023
चंदोदय समय सुबह 09.41  रात 08.05 विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा सुबह निकलता है, इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है।
अश्विन विनायक चतुर्थी उपाय
शमी पत्र दूर करेगा दरिद्रता.अश्विन विनायक चतुर्थी के दिन शमी वृक्ष का पूजन करने से श्रीगणेश प्रसन्न होते हैं। इस दिन बप्पा को शमी पत्र चढ़ाएं और ऊं गं गौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा मंत्र का 108 बार जाप करें। मान्यता है इससे दुखए दरिद्रता का नाश होता है। संपत्ति की समस्या.घर में संपत्ति, विवाह आदि को लेकर परेशानी चल रही है तो अश्विन विनायक चतुर्थी के दिन गणपति जी को सिंदूर अर्पित करें। 21 मोदक का भोग लगाएं और गणेश स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है इससे हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है और मनइच्छित फल मिलता है।
विनायक चतुर्थी की पौराणिक कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती और भगवान महादेव नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ खेल रहे थे। खेल में हार जीत का फैसला करने के लिए महादेव ने एक पुतला बना दिया और उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी। भगवान महादेव ने बालक से कहा कि जीतने पर जीतने पर विजेता का फैसला करे। महादेव और माता पार्वती ने खेलना शुरू किया और तीनों बाद माता पार्वती जीत गईं। खेल समाप्त होने के बाद बालक ने महादेव को विजयी घोषित कर दिया। यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और बालक को अपाहिज रहने का शाप दे दिया। इसके बाद माता पार्वती से बालक ने क्षमा मांगी और कहा कि ऐसा भूलवश हो गया है। जिसके बाद माता पार्वती ने कहा कि शाप तो वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन इसका एक उपाय है। माता पार्वती ने बालक को उपाय बताते हुए कहा कि भगवान गणेश की पूजा के लिए नाग कन्याएं आएंगी और तुमको उनके कहे अनुसार व्रत करना होगा जिससे तुमको शाप से मुक्ति मिल जाएगी। बालक कई सालों तक शाप से जूझता रहा और एक दिन नाग कन्याएं भगवान गणेश की पूजा के लिए आईं। जिनसे बालक ने गणेश व्रत की विधि पूछी। बालक ने सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने वरदान मांगने को कहा। बालक ने भगवान गणेश से प्रार्थना की और कहा कि, हे विनायक मुझे इतने शक्ति दें कि मैं पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पर जा सकूं। भगवान गणेश ने बालक को आशीर्वाद दे दिया और अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद बालक ने कैलाश पर्वत पर भगवान महादेव को शाप मुक्त होने की कथा सुनाई। चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती भगवान शिव से रुष्ट हो गई थीं। बालक के बताए अनुसार भगवान शिव ने भी 21 दिनों का भगवान गणेश का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान महादेव के प्रति नाराजगी खत्म हो गई। मान्यता है कि भगवान गणेश की जो सच्चे मन से पूजा अर्चना और आराधना करते हैं उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही कथा सुनने व पढ़ने मात्र से जीवन में आने वाले सभी विघ्न दूर होते हैं।

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