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आपदा

हर्षिल के भागरथी में एक और ग्लेशियर झील बनी, जल रिसाव से विशेषज्ञ व लोग चिंतित

सीएन, उत्तरकाशी। उत्तरकाशी के धराली में आई बाढ़ के बाद वहां मातम पसरा है। राहत दलो का बचाव कार्य जारी है। मशीनों की गड़गड़ाहट के बीच पुर्ननिर्माण की जद्दोजहद भी जारी है। बचाव दलों ने अब तक 915 लोगों का रेस्क्यू किया है। बेघर हुए लोगों के पुनर्वास का कार्य भी चल रहा है। लेकिन अब सबसे बड़ी चिंता का बिषय यह है कि धराली और मुखवा के ठीक ऊपर हर्षिल में भागरथी में एक और ग्लेशियर झील बन गई है। जिसमें लगातार जल रिसाव हो रहा है। जो कभी भी भयानक रूप ले सकता है। मालूम हो कि आपदा वाले दिन खीर गंगा उफना गई, इससे भागीरथी नदी के स्वरूप में बदलाव आ गया है। वाडिया भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार ने बताया कि उत्तरकाशी जिले में आपदा के कारणों को जानने को लेकर सेटेलाइट इमेज का अध्ययन हो रहा है। हालांकि इससे नदी के प्रवाह में कोई बदलाव जैसा प्रभाव नहीं पता चल रहा है। अभी यह प्रारंभिक जानकारी है। मलबे ने भागीरथी नदी के स्वरूप में कितने क्षेत्रफल में बदलाव किया है, स्थलीय निरीक्षण समेत अन्य जानकारी मिलने पर ही पुष्ट तौर पर कहा जा सकेगा। उत्तरकाशी जिले में ही तैलगाड गधेरे के मलबे के कारण हर्षिल में भागीरथी नदी में झील बन गई है। इस झील को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भी चिंता जाहिर कर चुका है। वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर झील को साफ करना है तो मलबे को आराम से हटाकर पानी की निकासी कराना ज्यादा बेहतर रहता है। वहीं, सिंचाई विभाग के विभागाध्यक्ष सुभाष कुमार कहते हैं कि झील का निरीक्षण किया गया। मलबे के कारण झील बनी हुई है, इसमें क्यूनेट बनाकर निकासी कराने का फैसला किया गया है। इसके लिए चार पोकलेन मशीनों की व्यवस्था की गई। रास्ता बनते ही मशीनें पहुंच जाएंगी। अभी झील से पानी का रिसाव हो रहा है। रिसाव कभी भी सैलाब का रूप ले सकता है। सरकारी विभागों के साथ ही स्थानीय लोगों में डर बैठा हुआ है।

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