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दिल्ली.एनसीआर में भूकंप के तेज झटके, दहशत में घरों से बाहर निकले लोग

दिल्ली.एनसीआर में भूकंप के तेज झटके, दहशत में घरों से बाहर निकले लोग
सीएन, दिल्ली-एनसीआर।
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए हैं। मंगलवार दोपहर को 2.53 पर आए भूकंप के झटकों के बाद दहशत में लोग दफ्तर और घरों से बाहर निकल गए। अभी.अभी आए भूकंप के बड़े झटके से लोग घर से बाहर निकले 2.53 पर लालकुआं बिंदुखत्ता हल्द्वानी क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए। धरती के कंपन को महसूस होता देख लोग घर से बाहर निकले। नैनीताल, भीमताल, कालाढूंगी, हल्द्वानी क्षेत्र में भी भूकंप के झटके महसूस किए जाने की खबर आ रही है। उत्तरकाशी से भी खबर आ रही है। मंगलवार की दोपहर हरिद्वार में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। भूकंप 2 बजकर 53 मिनट पर आया। भूकंप के झटके दिल्ली तक महसूस किए गए। भूकंप से किसी प्रकार के नुकसान की खबर नहीं है। भूकंप भी तीव्रता 5.5 थी। उत्तराखण्ड के कई शहरों में भी इसी तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के डर से लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकल गए। अचानक आए भूकंप की वजह से लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया। दो से तीन सेकेंड के लिए ज़मीन हिली तो सबकुछ कांप उठा। धरती की कंपन इतनी तेज़ और अचानक हुई कि इस बार भूकंप के झटके शायद ही किसी को महसूस न हुए हों। जानकारी के अनुसार भूकंप का केन्द्र नेपाल बताया जा रहा है। चाइना और भारत में भी जिसका असर देखने को मिला।
ऊर्जा डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है
पृथ्वी के अंदर प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार.बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों.ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा। भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।

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