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आपदा

धराली और हर्षिल के बीच भागीरथी नदी पर बनी विशाल झील को पोकलैंड मशीनों से तोड़ा जाएगा, धराली में बचाव कार्य जारी

सीएन, देहरादून। उत्तरकाशी के धराली गांव में आई बाढ़ के बाद बचाव व राहत कार्य जारी है। इस बीच बचाव दलों ने डेढ़ से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया है। उत्तरकाशी जिले में आपदा प्रभावित धराली और हर्षिल के बीच भागीरथी नदी पर बनी 1300 मीटर लंबी और 80 मीटर लंबी झील से पानी का रिसाव हो रहा है। तीन दिन बाद झील को चार पोकलैंड मशीनों से इस तरह से तोड़ा जाएगा, जिससे पानी का रिसाव धीरे-धीरे हो। यदि बीच में कोई बड़ा बोल्डर हुआ तो इसके लिए कंट्रोल ब्लास्ट का विकल्प भी रखा गया है। पांडेय बताते हैं कि बोल्डर में ड्रिल कर उसमें विस्फोटक भरा जाता है और फिर रिमोट से विस्फोट किया जाता है। इससे उतना ही हिस्सा टूटता है, जितना तोड़ना चाहते हैं। इसे ही कंट्रोल ब्लास्ट कहा जाता है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर यह कार्य सिलक्यारा टनल में कार्यरत भूवैज्ञानिक डा नीरज जोशी की देखरेख में होगा। इस सिलसिले में उनसे बातचीत हो चुकी है। सिंचाई विभाग के विभागाध्यक्ष सुभाष पांडेय ने बुधवार को झील का मौका-मुआयना करने के बाद यह जानकारी दी।पहाड़ों में अतिवृष्टि के चलते भागीरथी नदी उफान पर है। बीते दिवस इस नदी पर हर्षिल व धराली के बीच झील बन गई। इससे वहां बड़े खतरे की आशंका बनी हुई है। इसे देखते हुए हर्षिल व आसपास के क्षेत्र के नदी से लगे क्षेत्रों में विशेष ऐहतियात बरती जा रही है। सुकून इस बात का है झील से पानी ओवरफ्लो हो रहा है, लेकिन इसके टूटने पर खतरा बना हुआ है। इसे देखते हुए सरकार भी सतर्क हो गई है। इसी कड़ी में देहरादून से सिंचाई विभाग के विभागाध्यक्ष सुभाष पांडेय की अगुआई में अभियंताओं का 12 सदस्यीय दल उत्तरकाशी के लिए रवाना किया गया। दल ने हेलीकाप्टर से मौके पर जाकर झील का निरीक्षण किया। सिंचाई विभागाध्यक्ष सुभाष पांडेय ने बताया कि यह झील हर्षिल से कुछ आगे अपस्ट्रीम में बनी है। अभी इससे पानी रिलीज हो रहा है।पांडेय के अनुसार प्रथम दृष्टया यही प्रतीत हो रहा है कि बड़े पैमाने पर आए मलबे के जमा होने के कारण यह झील बनी है। उन्होंने कहा कि भटवाड़ी से आगे लगभग 60 मीटर सड़क ध्वस्त हो गई है और पुल भी बह गया है। बीआरओ सड़क के पुनर्निर्माण में जुटा है। साथ ही बेलीब्रिज भी तैयार हाे रहा है। बीआरओ ने तीन दिन में यातायात बहाल होने की बात कही है। उन्होंने बताया कि इस सबको देखते हुए देहरादून से चार पोकलैंड मशीनें मंगाई जा रही हैं, जो तीन दिन में यहां पहुंच जाएंगी। फिर इन मशीनों की मदद से झील को तोड़ने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि मलबे बीच बड़े बोल्डर होंगे तो इन्हें तोड़ने के लिए कंट्रोल ब्लास्ट का भी विकल्प रखा गया है। पांडेय बताते हैं कि बोल्डर में ड्रिल कर उसमें विस्फोटक भरा जाता है और फिर रिमोट से विस्फोट किया जाता है। इससे उतना ही हिस्सा टूटता है, जितना तोड़ना चाहते हैं। इसे ही कंट्रोल ब्लास्ट कहा जाता है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर यह कार्य सिलक्यारा टनल में कार्यरत भूवैज्ञानिक डा नीरज जोशी की देखरेख में होगा। इस सिलसिले में उनसे बातचीत हो चुकी है। इस झील से हो रहे रिसाव को लेकर लोगों में डर घर कर गया है, प्रशासन का कहना है कि फिलहाल चिंता की बात नहीं है।

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