चम्पावत
अद्वैत आश्रम मायावती : जहां मौन की ताकत का होता है एहसास
अद्वैत आश्रम मायावती : जहां मौन की ताकत का होता है एहसास
“न पाप है, न पुण्य है, सिर्फ अज्ञान है। अद्वैत की उपलब्धि से यह अज्ञान मिट जाता है।” विवेकानंद
अमृता पांडे, लोहाघाट। मायावती आश्रम को अद्वैत आश्रम के नाम से भी जानते हैं। जड़ चेतन की एकता का सिद्धांत है अद्वैतवाद। लोहाघाट के उत्तर पश्चिम दिशा में लगभग 8 किलोमीटर दूर वनाच्छादित क्षेत्र में यहां आश्रम स्थित है। स्वामी विवेकानंद 1901 में यहां पर ठहरे थे। यह रामकृष्ण मठ की एक शाखा भी है। मनमोहक पुष्पों की वाटिका से सुसज्जित प्रांगण के मध्य एक ध्यान केंद्र है। जहां पर इच्छुक व्यक्ति बैठकर ध्यान लगा सकता है। इसी ध्यान कक्ष के ऊपर दूर दूर से आए शिष्यों की कक्षाएं चलती हैं। जब गुरु और शिष्यों के द्वारा वहां पर श्लोकों का वाचन होता है तो पूरा वातावरण गुंजायमान हो जाता है और मन के भीतर आनंदित करने वाली पवित्र बयार का संचार होने लगता है। आश्रम में किसी भी प्रतिमा का पूजन नहीं किया जाता। प्रत्येक एकादशी को राम नाम कीर्तन अवश्य होता है। आश्रम में एक चैरिटी अस्पताल भी है जहां पर गरीबों का निशुल्क इलाज होता है और यहां के सचल वाहन दूरदराज क्षेत्रों में जाकर लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। एक संग्रहालय और पुस्तकालय भी यहां पर हैं जहां ‘प्रबुद्ध भारत’ के अधीन प्रकाशित साहित्य जिसमें बंगाली साहित्य के अतिरिक्त हिंदी, अंग्रेजी भाषा में अध्यात्म और दर्शन की किताबें, साथ ही बाल साहित्य भी उपलब्ध है। ज्ञान वर्धन के उद्देश्य से कुछ पुस्तकें भी खरीदीं। आश्रम के पास एक अतिथि गृह भी है जहां पर बाहर से आने वाले अतिथियों के ठहरने की व्यवस्था है। पास में विवेका झील स्थित है। आश्रम की कृषि भूमि में सब्जियों का उत्पादन भी होता है। मई के महीने में जब दूसरी जगह गेहूं काट चुके थे, वहां पर गेहूं की फसल लहलहाती दिखाई दे रही थी। कुछ खेतों में बलियां पक चुकी थी और कुछ में अभी भी हरी थीं। पास ही गौशाला स्थित है जहां उन्नत किस्म की गायें पाली जाती हैं। इस आश्रम में मन को अपार शांति मिलती है। मौन की ताकत का एहसास होता है। आश्रम में समय बिताने का अर्थ कुछ समय के लिए ही सही सांसारिक मोह माया से विरत होकर स्वयं को खोजना और मानव जीवन के उद्देश्य को समझना है।