देहरादून
उत्तराखंड : अब नदी तट से हटेगा अतिक्रमण, गौला व कोसी समेत 23 नदियां चिह्नित
उत्तराखंड : अब नदी तट से हटेगा अतिक्रमण, गौला व कोसी समेत 23 नदियां चिह्नित
सीएन, देहरादून। उत्तराखंड वन विभाग वन भूमि से अतिक्रमण हटाने का दूसरे चरण का अभियान चलाएगा। यह अभियान आज से शुरू होगा। इसमें नदियों के किनारे अतिक्रमण हटाया जाएगा। वन विभाग ने गौला, नधौर, दाबका और कोसी समेत 23 नदियां चिह्नित की हैं। उत्तराखंड में बीते दो माह से अधिक समय से वन क्षेत्र में अवैध कब्जों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। धर्मस्थल के नाम पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्त करने के लिए वन विभाग की टीम युद्धस्तर पर कार्य कर रही है। अब तक अभियान चलाकर कुल 510 अवैध धर्मस्थल हटा दिए गए। इनमें 453 मजार और 45 मंदिर शामिल हैं। अब तक वन विभाग 300 हेक्टेयर से अधिक भूमि को कब्जामुक्त करा चुका है। प्रभागीय वनाधिकारियों को अपने-अपने प्रभाग में भारतीय वन अधिनियम (उत्तराखंड संशोधन)-2002 के सुसंगत प्रविधानों के अनुसार वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए हैं। वन विभाग की ओर से अवैध धर्मस्थलों को चिह्नित करने और उन्हें हटाने की प्रक्रिया जारी है। नोडल अधिकारी मुख्य वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते ने बताया कि अब नदियों के किनारे अभियान शुरू किया जा रहा है। खनन करने वाले मजदूरों की ओर से नदी किनारे ही बस्तियां बना दी जाती हैं। प्रदेश में नदियों के किनारे 30 से 40 प्रतिशत कब्जे हैं। प्रदेश में गौला, खो, सुखरो, शीतला, शारदा, नंधौर, दाबका, कोसी, गंगा, रिस्पना, चोरखाला नाला, स्वर्णीना नदी, आसन के बरसाती नाले, जाखन, मालदेवता, यमुना, टोंस, सहस्रधारा, आसन, मालन, कालसी व गंगा की सहायक नदियों के किनारे अतिक्रमण हटाया जाएगा।
उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अतिक्रमण पर की थी तल्ख टिप्पणी
चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने अतिक्रमण को तत्काल हटाने का आदेश पारित करते हुए कहा, हम वन भूमि, जलमार्ग और सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण के संबंध में राज्य में प्रचलित वर्तमान स्थिति को देखकर निराश हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह सभी के लिए नि: शुल्क है और कोई भी भूमि के किसी भी हिस्से पर अतिक्रमण कर सकता है। हम यह स्पष्ट करते हैं कि हम केवल कागजी कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होंगे। रिपोर्ट को अतिक्रमणों को हटाने के लिए जमीन पर की गई वास्तविक कार्रवाई से संबंधित होना चाहिए। इनमें से प्रत्येक रिपोर्ट के साथ की गई कार्रवाई की तस्वीरें भी दर्ज की जानी चाहिए।