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आने वाली है साल की पहली सोमवती अमावस्या, क्या है शुभ योग, फाल्गुन में रहेंगे ये व्रत त्योहार

आने वाली है साल की पहली सोमवती अमावस्या, क्या है शुभ यो
सीएन, हरिद्वार। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में एक अमावस्या आती है, फाल्गुन माह की अमावस्या 20 फरवरी को है। इस दिन सोमवार होने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान और तर्पण का विशेष महत्व माना जाता है। इस साल फाल्गुन अमावस्या में कई विशेष योग बन रहे हैं जिससे इस दिन का महत्व और ज्यादा बढ़ जाएगा। इस बार सोमवती अमावस्या 19 फरवरी शाम 04 बजकर 18 मिनट से षुरू होगी और 20 फरवरी 2023 दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त होगी। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने जाते हैं। इस दिन स्नान-दान करने से पितृ दोष, कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों की कृपा से परिवार में खुशहाली आती है। इस साल फाल्गुन अमावस्या बेहद खास मानी जा रही। फाल्गुन अमावस्या पर शुभ योग का संयोग बन रहा है जो इसके महत्व में वृद्धि करेगा। पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के सभी दिन श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त हैं।  खासकर सोमवती अमावस्या पर पूजा और तर्पण का दोगुना फल मिलता है। इस साल की फाल्गुन अमावस्या पर सोमवार और शिव योग का संयोग बन रहा है। ये दिन और योग दोनों ही महादेव को समर्पित है।  ऐसे में इस दिन भोलेनाथ की साधना, मंत्र जाप, तप, श्राद्ध कर्म करने से घर में सुख और समृद्धि का वास होगा। फाल्गुन माह की सोमवती अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान के बाद पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म करें। उसके बाद 5 माला गायत्री मंत्र का जाप करें। मान्यता है इससे हर तरह के संकट का नाश होता है। जीवन में सुख का वास होगा और धन की वर्षा होती है। सोमवती अमावस्या के दिन दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल, शक्कर से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें. ऊं नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे चंद्रमा मजबूत होता है। फिर चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें। सफेद पुष्प के साथ इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। मान्यता है इससे कालसर्प दोष से राहत मिलती है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल पर कच्चा सूत 108 बार लपेटते हुए परिक्रमा करें। 5 तरह के फल भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को अर्पित करें। बाद में इन्हें कन्याओं को दान कर दे।. मान्यता सोमवती अमावस्या पर ये तीन कार्य करने से सुहागिनों को अखंड सौभग्य का वरदान मिलता है और आर्थिक समस्याएं खत्म हो जाती है। संतान भी चिरंजीवी होती है।
फाल्गुन मास में होती है भगवान कृष्ण के गोविंद रूप की पूजा
हिंदू पंचांग का आखिरी महीना फाल्गुन सोमवार से शुरू हो गया है। ये 6 फरवरी से 7 मार्च तक रहेगा। इस महीने में महाशिवरात्रि से लेकर होली तक कई प्रमुख त्योहार मनाए जाएंगे। इसके अलावा फाल्गुन माह के दौरान भगवान श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से फलदायी माना जाती है। बीते हिंदी महीने, माघ में स्नान-दान का महत्व था। तो अब फाल्गुन मास पूजा-पाठ वाला रहेगा। इस महीने श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। इस दौरान कई तरह से भगवान कृष्ण के श्रृंगार किए जाते हैं। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि फाल्गुन महीने के दौरान भगवान विष्णु की गोविन्द नाम से पूजा करनी चाहिए। यानी श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है। इस महीने भगवान कृष्ण के सभी रूपों का पूजन करना चाहिए। जैसे बाल रूप में लड्‌डू गोपाल, युवा रूप में गाय चराने वाले गोविंद और योगीराज कृष्ण यानी अर्जुन को गीता का ज्ञान देने वाले भगवान श्रीकृष्ण के पूर्ण रूप को पूजना चाहिए।
चंद्र पूजा और अर्घ्य
फाल्गुन मास में चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है। इस महीने की चंद्रमा की पूजा करने से बीमारियां खत्म होती हैं। मन शांत रहता है। इस महीने पानी में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, मौली, अष्टगंध, फूल और नैवेद्य चढ़ाकर चंद्रमा को धूप-दीप दर्शन करवाकर आरती करनी चाहिए। इस तरह से चंद्र पूजा करने से बीमारियां दूर होने लगती हैं।
फाल्गुन में रहेंगे ये व्रत त्योहार
9 फरवरी को संकष्टी चतुर्थी, 13 को कुंभ संक्रांति और सीताष्टमी रहेगी। इसके दो दिन बाद 16 फरवरी को विजया एकादशी व्रत किया जाएगा। उसके एक दिन बाद ही यानी 18 तारीख को महाशिवरात्रि पर्व रहेगा। फिर 20 को सोमवती अमावस्या रहेगी। 23 फरवरी को विनायकी चतुर्थी व्रत किया जाएगा। 26 फरवरी रविवार को भानु सप्तमी रहेगी। 27 फरवरी को होलाष्टक शुरू हो जाएगा। जो होलिका दहन के साथ खत्म होगा। इस दौरान 3 मार्च को आमलकी एकादशी यानी रंगभरी ग्यारस रहेगी। 4 तारीख को गोविन्द द्वादशी और प्रदोष व्रत किया जाएगा। 7 मार्च को होलिका दहन के साथ फाल्गुन महीना खत्म हो जाएगा।

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