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नैनीताल

ऐसा अदभुत है जूपिटर, अनोखे है इसके चांद

बबलू चन्द्रा, नैनीताल। वैज्ञानिक इस धब्बे की पहेली सुलझाने मे अभी तक प्रयासरत हैं। ये भी माना जा रहा है कि ये डब्बा बृहस्पति मे उठे एक बड़े चक्रवात का तूफान है। इस विशाल दाग के नजदीक ही एक और छोटा लाल धब्बा भी है जो पहले पीले-सफ़ेद रंग मे नजर आता था पर 2006 के शोध के दौरान ये तेजी से लाल रंग मे बदलता जा रहा है।
*सदाबहार ख़ुबसूरत अरोरा जूपिटर की पहचान*
हमारी धरती के धुर्वीय क्षेत्रों मे खूबसरत अरोरा के ख़ुबसूरत मनमोहक नजारे कभी-कभार (सूर्य तेजोग्नि के दौरान) ही नजर आते है जबकि बृहस्पति मे ये अरोरा हमेशा सदाबहार रहते हैं हालिया दिनों मे हुई एक नई खोज ने वैज्ञानिकों को एक नई हैरत मे डाल दिया जो है बृहस्पति के अरोरा बनने वाले धुर्वीय क्षेत्रों का तापमान। हाल के दिनों मे किये गए शोध मे ये बात सामने आईं है कि *इसके धुर्वीय क्षेत्रों का तापमान 700 डिग्री सेल्सियस है* जबकि धुर्वीय क्षेत्रों मे तापमान माईनस होना चाहिए। साथ पृथ्वी की अपेक्षा सूर्य से बहुत दूर होने के कारण वहॉ सूर्य ताप बहुत कम पहुँचता है। जिसके कारण इसके *वायुमंडल का तापमान शून्य से नीचे लगभग 150 डिग्री सेल्सियस* रहता है। इसके घने वायुमंडल के कारण हम सिर्फ इसके बाहरी वायुमंडल को ही देख सकते हैं। फिर भी वैज्ञानिक इसके नजदीक से अध्य्यन के लिए प्रयासरत है ओर नित नए प्रयत्नों को अंजाम दे रहे हैं।
*जूपिटर की करीबी खोजबीन ओर इसके चाँद मे उतरने के प्रयत्न*
सौर मंडल के इस पांचवे विशाल ग्रह मे अंतरिक्षयानों से खोजबीन शुरू हो चुकि है। धरती से दिसम्बर 1973 मे भेजा गया पायोनियर-10 यान बृहस्पति के करीब से गुजरकर आगे बढ़ गया। अगले वर्ष पायोनियर-11 भेजा गया। 1979 मे दो वाइजर यान बृहस्पति के नजदीक से गुजरकर आगे बढ़ गए इन यानो ने ही बृहस्पति ओर इसके चांदो के बारे मे ढेरों सूचनाएं एकत्र कर धरती को भेजी। मुख्य रूप से जूपिटर के अध्ययन के लिए भेजे गए *गैलीलियो यान को 1993* मे इस ग्रह की ओर भेजा गया। जो 1995 मे इसके करीब पहुँचा ओर सूचनायें धरती तक पहुँचायी। बृहस्पति के एक खास बात ये भी है कि यहॉ भी शनि ग्रह की तरह ख़ुबसूरत वलय इस ग्रह मे भी है। जिसकी खोज वाइजर-1 द्वारा धरती को भेजी एक तस्वीर मे हुआ। फिर वाइजर-2 ने बृहस्पति के इर्दगिर्द वलय होने की पुष्टि की। 2011 मे भेजा गया जूनो यान अभी हाल मे 29 सितम्बर 2022 को इसके चाँद के करीब पहुँच कर इसकी जानकारी धरती को भेज दी है 2024 मे नासा का क्लिपर यान यूरोपा की सैर करेगा और नए राज उगलेगा। इस तरह जुपिटर की टोह लेने का सिलसिला शुरू हो गया है मानव निकट भविष्य मे यहाँ पहुँचना चाहे तो अभी सिर्फ इसके चाँद यूरोपा मे ही उतर सकता है। देर सवेरे इसके इस या अन्य चाँद मे आदमी उतर ही जायेगा और सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह के वातावरण मे उतरने की कोशिश भी तभी करेगा जब इसके नजदीक के राज खुलेंगे ओर अनुकूल परिस्थितिया मिलेंगी।
*अरोरा है इसकी पहचान जहॉ तापमान 700डिग्री सेल्सियस पार वहीं वातारण मे माइनस 150 के करीब। चांदो मे है बर्फ पानी का सागर व चट्टान तो वहीं सैकड़ो सक्रिय जवालामुखी व उनका लावा*

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लेख-बबलू चन्द्रा

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फोटो -विपीडिया

स्रोत-ब्रह्मांड परिचय

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