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जयंती : अच्छे अभिनेता के तौर पर याद किये जाते रहेंगे निर्मल उर्फ नानू उर्फ परुवा डान

जयंती : अच्छे अभिनेता के तौर पर याद किये जाते रहेंगे निर्मल उर्फ नानू उर्फ परुवा डान
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
भारतीय सिनेमा में अभिनय के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित करने वाला उत्तराखण्ड का अकेला प्रतिभावान युवा। ‘दायरा’ फिल्म में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए फ्रांस में आयोजित फिल्म समारोह में पुरस्कार पाने वाला पहला भारतीय कलाकार। निर्मल पांडेय एक ऐसा नाम है जो कम समय में अपने पीछे ज्यादा दिन तक जीवित रहने वाली निशानी छोड़ गये। निर्मल पांडेय उर्फ नानू उर्फ परुवा डान आज इस दुनिया इस में नही है, पर एक अच्छे अभिनेता के तौर पर वो हमेशा याद किये जाते रहेंगे। 1962 में 10 अगस्त के दिन अल्मोड़ा जिले के पास द्वाराहाट कस्बे में पड़ने वाले गांव पान बड़ैती में एक बच्चे का जन्म होता है। कौन जानता था कि हरीश पांडे और रेवा पांडे के घर में जन्म लेने वाले इस बेटे को दुनिया विक्रम मल्लाह, जग्गा डाकू या बाबा जैसे न जाने कितने नाम से अपने जहन में हमेशा याद रखेगी। अल्मोड़ा के छोटे से गांव के लड़के की मेहनत का कमाल था कि उसने अपनी अदाकारी के दम पर फ्रांस तक में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड जीता था। अमोल पालेकर द्वारा निर्देशित दायरा फिल्म में निर्मल पांडे ने एक अभिनेत्री का किरदार निभाया। 1997 में उसके लिये उन्हें फ्रांस का प्रसिद्ध वालेंतिये पुरस्कार दिया गया। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिये यह पुरस्कार पाने वाले निर्मल विश्व के पहले अभिनेता थे। तारा ग्रुप्स के साथ उन्होंने लंदन में 125 नाटकों की लम्बी सीरीज की थी। बैंडेट क्वीन, दायरा, औजार, ट्रेन टू पाकिस्तान और न जाने कितनी फिल्मों में गिनाया जाय जिनमें निर्मल पांडे की सशक्त उपस्थिति नज़र आती है। हिन्दी सिनेमा का बड़ा स्टार बनने के बाद भी नैनीताल के लोगों के लिये निर्मल हमेशा उनके परवा डॉन या नानू दा ही रहे। एक सामान्य पहाड़ी की तरह निर्मल ने भी अभिनय की शुरुआत रामलीला और स्कूल में ही की। प्राथमिक से लेकर इंटर तक की उनकी पढ़ाई नैनीताल में ही हुई। उसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई नैनीताल डीएसबी से की। रंगमंच से निर्मल का लगाव ही था कि उन्होंने सरकारी नौकरी तक छोड़ दी। नैनीताल के युगमंच से जुड़कर उन्होंने लाहौर नी देख्या, हैमलेट, अजुवा बफौल जैसे शानदार नाटकों अभिनय किया। निर्मल युगमंच से न केवल एक अभिनेता के रूप में जुड़े थे बल्कि उन्होंने अपने निर्देशन से रंगमंच में अपनी अमिट छाप छोड़। इसी बीच उन्होंने एनएसडी से स्नातक की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। एक बार जब निर्मल ने मुम्बई का रुख किया तो हिन्दी फिल्म जगत में अपनी कभी न भुलाये जाने वाली छाप छोड़ दी। नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद निर्मल लंदन चले गए थे। लंदन में उन्होंने एक थिएटर ग्रुप ज्वाइन किया जिसमें उन्होंने हीर रांझा के साथ 125 प्ले में एक्टिंग स्किल्स सीखी। फिर उसके बाद उनको शेखर कपूर की फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में ऐसा रोल करने को मिला जिसको करने बाद उन्हें एक नई पहचान मिली। फिर उसके बाद फिल्मों की लाइन लग गई। आपको बता दें, निर्मल को गाना गाना बहुत पसंद था। उन्होंने साल 2002 में जज़्बा नाम की एक एल्बम रिलीज की थी। आज भी निर्मल पांडे का नाम हिंदी सिनेमा के बड़े-बड़े स्टार पूरे सम्मान से लेते हैं। 48 साल की कम उम्र में ही 18 फरवरी 2010 के दिन निर्मल पांडे की मृत्यु हो गई। बैंडिट क्वीन और गॉड मदर जैसी फिल्मों में अपने काम के लिए याद किए जाने वाले अभिनेता निर्मल पांडे की 48 साल की उम्र में कार्डियक अरेस्ट के बाद निधन हो गया था। पांडे ने बड़े पर्दे के साथ-साथ टेलीविजन पर भी विलेन का किरदार निभाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। उनकी आखिरी फिल्म तेलुगु केडी थी। इस फिल्म में भी उन्होंने एक खलनायक की भूमिका निभाई थी।
टीवी शोज में सक्रिय रहे
निर्मल लगातार फिल्मों और टीवी शोज में सक्रिय रहे। उन्होंने फिल्म अभिनेता बनने के बावजूद कभी टीवी से अपनी दूरी नहीं बनाई। उनके निभाए सभी किरदारों में एक किरदार टीवी शो हातिम में दज्जाल का भी है। यह एक नकारात्मक किरदार था जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। इस शो के करीब 47 एपिसोड प्रसारित हुए थे। इस दौरान लोग जितना हातिम को देखना पसंद करते थे उतना ही दज्जाल को लेकर भी क्रेज रहता था।
दायरा को फिल्म महोत्सवों में काफी वाह-वाही मिली
अमोल पालेकर निर्देशित इस फिल्म में निर्मल पांडे और सोनाली कुलकर्णी मुख्य किरदार में दिखे। यह फिल्म अपने विषय के कारण भारत में कभी रिलीज नहीं हो पाई। हालांकि इस फिल्म को दूसरे देशों और फिल्म महोत्सवों में काफी वाह-वाही मिली। फिल्म में निर्मल ने एक ट्रांसवेस्टीट (विषुपहिरणी) का किरदार अदा किया है। इस चुनौतीपूर्ण किरदार ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा। इस फिल्म में एक गांव की लड़की की मजबूरी को दिखाया गया है जो एक लड़का बनने पर मजबूर होती है। इस फिल्म के जरिए समाज की मानसिकता पर चोट की गई है। फिल्म का कहानी, निर्देशन, अभिनय और संगीत से लेकर सभी पक्ष काफी मजबूत और प्रभावी रहे।
लाहौर स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म
इस फिल्म के प्रीमियर से ठीक पहले निर्मल पांडे दुनिया को अलविदा कह गए थे। यह एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है। जिसमें निर्मल ने अनवर शेख नामक एक दयालु पाकिस्तानी व्यक्ति का किरदार अदा किया था। वैसे तो यह फिल्म का मुख्य किरदार नहीं था लेकिन प्रभावी जरूर था। बताया जाता है कि 22 फरवरी 2010 को इस फिल्म का प्रीमियर था और इससे सिर्फ चार दिन पहले 18 फरवरी को उनकी मृत्यु हो गई।
विभाजन के इर्द-गिर्द घूमती यह फिल्म ट्रेन टू पाकिस्तान
विभाजन के इर्द-गिर्द घूमती यह फिल्म खुशवंत सिंह की नॉवेल पर आधारित है। पामेला रुक्स निर्देशित इस फिल्म में निर्मल पांडे ने जगत सिंह/जग्गा का किरदार निभाया है। वह एक डकेत होता है जो एक मुस्लिम लड़की नूरन (स्मृति मिश्रा) से प्यार करता है। फिल्म में एक ऐसे गांव की कहानी दिखाई जाती है जो सरहद के पास है। गांव में सिख और मुस्लिम लोग रहते हैं। बंटवारे के दौरान एक ट्रेन पाकिस्तान से भारत आती है जिसमें लोगों की लाशें होती हैं, जिसके बाद से वहां का पूरा माहौल बदल जाता है। खुशवंत सिंह की इस किताब पर फिल्म बनाने की कोशिश कई कलाकारों ने पहले भी की थी लेकिन इस विषय की संवेदनशीलता को देखते हुए किसी ने इसपर फिल्म नहीं बनाई।

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