नैनीताल
मैट्रोपोल मामला : अंडरटेकिंग दें अतिक्रमण हटा देंगे, नहीं तो अदालत आदेश देगा : हाईकोर्ट
मैट्रोपोल मामला : अंडरटेकिंग दें अतिक्रमण हटा देंगे, नहीं तो अदालत आदेश देगा
शत्रु सम्पत्ति है तो क्या हुआ, आपको कब्जा करने का अधिकार मिल गया क्या : हाईकोर्ट
सीएन, नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट में आज मेट्रोपोल शत्रु सम्पति मामले में अवैध रूप से रह रहे कब्जेदारों की याचिका पर हुई सुनवाई में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा है की वे इस आशय की अंडरटेकिंग दें की वह 10 दिनों के भीतर कब्जा खाली कर देंगे। वहीँ याचिकाकर्ता कोर्ट के सामने इस भूमि में अपने स्वामित्व का भी कोई रिकॉर्ड पेश नहीं कर सके। मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष एसडीएम कोर्ट और सिविल कोर्ट से अतिक्रमणकारियों को राहत नहीं मिलने को लेकर याचिका दायर हुई थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि किस अधिकार से आप भूमि को अपना कह रहे हैं। आप इसे शत्रु सम्पत्ति कह रहे हैं तो क्या हुआ, आपको कब्जा करने का अधिकार मिल गया क्या। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता महमूद अली व अन्य ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर प्रार्थना की थी कि उनके मकान ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि एसडीएम ने उन्हें नोटिस जारी कर उनका पक्ष सुना और उन्हें जमीन खाली कर जाने को कहा। वह 100 साल से अधिक समय से उस भूमि में काबिज हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में वरिष्ठ अधिवक्ता बीपी नौटियाल ने अपना पक्ष रखा। इसके अलावा याची के ही दूसरे अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जिरह की। वरिष्ठ अधिवक्ता बीपी नौटियाल और अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने न्यायालय को शत्रु सम्पत्ति अधिनियम के बारे में बताते हुए आपना पक्ष रखा। वरिष्ठ अधिवक्ता नौटियाल ने कहा कि मैट्रोपोल की शत्रु सम्पत्ति में कब्जेदार हिंदुस्तानी ही हैं। उन्होंने पब्लिक प्रेमिसिस एक्ट (पीपीएक्ट), शत्रु सम्पत्ति एक्ट और रूल ऑफ लॉ पर अपनी बात रखी। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कहा कि मेट्रोपोल कंपाउंड में सभी अवैध कब्जेदार हैं। यहां 134 लोग चिन्हित हुए हैं। महाधिवक्ता और सीएससी चंद्रशेखर सिंह रावत ने सरकार का पक्ष प्रभावशाली ढंग से रखा। बताया कि वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद शत्रु सम्पत्ति का कब्जा प्रशासन ने ले लिया था। तब वहां कुल 116 आवासीय भवन चिन्हित हुए थे। अब यहां 134 आवासीय भवन चिन्हित हुए हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किस अधिकार से आप भूमि को अपना कह रहे हैं। आप इसे शत्रु सम्पत्ति कह रहे हैं तो क्या हुआ, आपको कब्जा करने का अधिकार मिल गया क्या। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आप अपना टाइटल संबंधित न्यायालय में जाकर डिसाइड कराएं, वो यहां इसे तय नहीं करेंगे। अंत में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सभी लोग एक अंडरटेकिंग देकर ये कहें कि वो दस दिनों के भीतर अतिक्रमण हटा देंगे नहीं तो न्यायालय अपना आदेश सुनाएगा। यहाँ बता दे कि मामले में अतिक्रमणकारियों ने मुख्य न्यायाधीश की पीठ में मेंशन करते हुए कहा था कि उनके मामले पर तत्काल सुनवाई की जाए, लेकिन मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए शुक्रवार की तिथि नियत की थी।