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नैनीताल

नैनी झील का 9.11 फिट पर अटका है जलस्तर, एक फिट और फिर खुलेंगे द्वार

नैनी झील का 9.11 फिट पर अटका है जलस्तर, एक फिट और फिर खुलेंगे द्वार
जलस्तर का मानक जुलाई में आठ फिट है, आशा के विपरित दो फिट बढ़ा इस बार
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
सितम्बर माह में मानक के अनुसार नैनी झील लबालब होनी चाहिए। जुलाई में इसका जल स्तर आठ फिट आना चाहिए। इस बार अच्छी वर्षा होने के बाद इंचों में जल स्तर बढ़ रहा है। इस बार जुलाई के अंत में झील गेज में जल स्तर दो फिट ज्यादा बढ़ा है। बीते दो माह से नैनी झील का जल स्तर शून्य से नीचे सात फिट व शून्य से ऊपर दो फिट यानि नौ फिट ही बढ़ा है। झील नियंत्रण कक्ष के प्रभारी रमेश सिंह गैड़ा के अनुसार एक अगस्त 2023 को झील का जलस्तर 9 फिट 11 इंच मापा गया है। 11 फिट होने पर झील के गेट खोल कर जल निकासी की जायेगी। नियमानुसार 12 फिट जलस्तर होने के बाद ही गेट खोले जाते हैं। माना जा रहा है कि भारी वर्षा के बाद ही झील मानक के अनुसार लबालब हो सकती है। बीते दिनों निकास द्वारों से 3 इंच पानी निकाला गया था। इससे जल का शुद्धिकरण भी हुआ है। मानक के अनुसार आठ फिट जल स्तर बढ़ने के बाद ही जल की निकासी की जाती है। इसक बाद 12 फिट होने पर जल निकास वर्षा के दौरान किया जाता है। प्राकृतिक रूप से नैनी झील वर्षा जल से 60 प्रतिशत व भूमिगत जल से 40 प्रतिशत रिर्चाज होती है। शीतकालीन बर्फवारी व वर्षा के बाद ही भूमिगत जल का सन्तुलन बना रहता है।
सूखाताल झील भी नहीं ले सकी पुराना स्वरूप
नैनीताल।
लगातार वर्षा के बाद नैनी झील का लबालब न होना गम्भीर चिन्ता का विषय है, वहीं नैनी झील का प्रमुख जलागम सूखाताल झील का जलस्तर भी नही बढ़ना अधिक चिन्ता का विषय बन गया है। बीते वर्ष के विपरित इस बार सूखाताल में पानी तो भरा है लेकिन यह संतोषजनक नही है। बता दें कि तीन दशक पूर्व तक सूखा ताल में बरसात के दौरान लोग नौकायन तक करते थे। लेकिन अतिक्रमण व प्रशासनिक काहिली के चलते सूखाताल की आज दुर्दशा हुई है। वहीं नैनी झील के लिए गर्मियों में संकट खड़ा हो गया है। सूखाताल नैनी झील को रिचार्ज करने का प्रमुख जलागम क्षेत्र है लेकिन इस बार यह झील महज तीन फिट ही बढ़ी है। झील के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण कर आवास बनाये जाने के बाद से ही यहां पम्पों से पानी निकासी की जाती थी।
जलस्तर 11 फिट आने के बाद ही झील से होगा पानी का निकास
नैनीताल। नैनी झील की निगरानी कर रहे सिंचाई विभाग के नियंत्रण कक्ष प्रभारी रमेश सिंह गैड़ा का कहना है कि अंग्रेजी शासनकाल से चले आ रहे नियमों के अनुसार झील का जल स्तर 10 फिट पहुंचने पर झील के गेट खोल कर इसकी जल निकासी की जाती है। इसके बाद सितम्बर माह के मध्य तक झील का जल स्तर 11 फिट पहुंचने पर जल निकास की कार्रवाई की जाती है। 12 फिट जल स्तर आने के बाद लगातार पानी की निकासी की जाती है। मानकों के अनुसार 12 फिट जलस्तर अंतिम स्तर माना गया है। अब झील को 2.1 फिट और ऊपर आना हैं। इस बार स्थिति संतोषजनक मानी जा रही है। इस बार प्रचलित नियमों के बजाय झील के पूर्ण जलस्तर 11 फिट आने के बाद ही झील के गेटों को खोल जल निकासी की जायेगी। जल स्तर लगातार स्थिर बने रहे इसके प्रयास किये जायेंगे।
बलियानाला के पानी को लिफ्ट करना अब जरूरी: कोटलिया
नैनीताल।
यूजीसी के भूगर्भशास्त्री डा. बहादुर सिंह कोटलिया का कहना है कि नैनी झील की सेहत अब गोष्ठियों व सुझावों से नही सुधरेगी। हर बार गर्मियों में झील का जल स्तर कम होना चिन्ता का बिषय है। इसका स्थाई समाधान निकाला जाना चाहिए। इसके लिए अब जमीनी कार्य करने होंगे। इसके लिए जहां जलागम क्षेत्रों को सख्ती से बचाना होगा वही झील को रिचार्ज करने के लिए अब बलियानाला से बह रहे जल स्रोत से पानी को लिफ्ट कर नैनी झील को रिचार्ज करना अब आवश्यक है। यदि यह पानी लगातार झील में आया तो एक बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है। हरिनगर के ठीक नीचे भारी मात्रा में पानी बह रहा है। इसका उपयोग नही हो रहा है लिहाजा तत्काल इस पानी का उपयोग नैनी झील को रिचार्ज करने के लिए किया जाना चाहिए। यदि जमरानी बांध बनता है तो इसकी डीपीआर में नैनी झील को रिचार्ज करने की पंपिंग योजना को भी शामिल किया जाना चाहिए।
जलादोहन नियंत्रित कर बर्बादी रोकने को गंभीर प्रयास की जरूरत
नैनीताल।
पिछले तीन दशक से गर्मियों में नैनी झील का जल स्तर चिन्ताजनक रूप से गिर रहा है। अच्छी वर्षा के कारण इस बरसात में झील पुन अपने स्वरूप में आ गई। लेकिन गर्मियों में झील की हालत फिर खराब होगी इसमें दो राय नही है। इससे पूर्व झील की इस हालत को लेकर स्थानीय नागरिक, पर्यावरणविद ही नही बल्कि पीएमओ कार्यालय सहित प्रदेश सरकार भी चिंतित दिखी। लेकिन इसके बाद भी यहां कोई ठोस नीति अब तक नही बन सकी। झील को बचाने के लिए अब स्थानीय लोगों को आगे आना होगा। हर नागरिक को पानी की बर्बादी को रोकने के लिए पहल करनी होगी। इसके साथ ही शासन-प्रशासन व संबंधित विभागों को भी पानी के अत्यधिक दोहन को रोकने, पेयजल लाईनों तथा टैंकों से हो रहे पानी के रिसाव को रोकने के साथ ही घरों के पानी को नालों में डालने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। नैनी झील 40 प्रतिशत भूमिगत जल से तथा 60 प्रतिशत बरसात के जल से रिचार्ज होती है। पूर्व पालिका सभासद संजय साह का कहना है कि इसके जलागम क्षेत्रों से लगातार इन दिनों 8 लाख लीटर पानी जल संस्थान 11 नलकूपों से पानी खींच रहा है। इससे भी झील प्रभावित हो रही है। जल संस्थान को अब अधिक जल दोहन बंद कर शहर में रोस्टर से पानी वितरित करना चाहिए। वरना आने वाले दिनों में शहर को भारी संकट से गुजरना पड़ेगा।

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