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नैनीताल

नई खोज : बृहस्पति में पिघला देने वाली लू चलती है

नई खोज : बृहस्पति में पिघला देने वाली लू चलती है
सीएन, नैनीताल।
मौसम की खबर धरती की हो या आसमान की, वह हमेशा हॉट ही होती हैं। हर कोई इंसान मौसम की खबर के प्रति दिलचस्पी रखता है। आज हम जिस मौसम की बात करने जा रहे हैं , वह चौंकाने वाला ही नहीं बल्कि होश उड़ाने वाला है। आम इंसान के लिए आश्चर्यजनक है, बल्कि खगोलवीद को भी हैरान करने वाला है। जी हां बृहस्पति का मौसम कुछ ऐसा ही है, जहा एक बड़े दायरे में 700 डिग्री सेल्सियस अथाह गर्मी की लू चल रही है। यह अरत्यशित खबर है। जिसकी खोज जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के जेम्स ओ डोनोग्यू ने ग्रेनेडा में यूरोपैनेट साइंस कांग्रेस (EPSC) 2022 में यह ब्योरा प्रस्तुत किया हैं।
अदभुत ग्रह का अद्भुत ताप
बेशक बृहस्पति ग्रह पर जीवन की कल्पना बेमानी है। मगर इस ग्रह की प्रत्येक जानकारी से रूबरू होना हर कोई चाहता है। यह ग्रह हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है और यह एक गैसीय ग्रह है। इस ग्रह पर एक बड़ा तूफान युगों से चला आ रहा है , जो लाखों किमी फैला हुआ है और इससे भी बड़ी बात यह है कि इस तूफान का दायरा लगातार बड़ते जा रहा है। बृहस्पति के बारे में यह सारी जानकारी अब सामान्य हो चुकी हैं। कमसेकम खगोल विज्ञान के प्रति रुचि रखने वाले सभी ये जानकारी रखते हैं। मगर सात सौ से अधिक तापमान वाली गर्मी की लहर की जानकारी बिलकुल नई है। अभी अभी जिसकी खोज की गई है।
JAXA के जेम्स ओ डोनोग्यू की खोज
शोध करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार बृहस्पति के वायुमंडल में 1.30 लाख किलोमीटर दायरे में यानी पृथ्वी के व्यास का दस गुना क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमे 700 डिग्री सेल्सियस यानी पिघला देने वाले अप्रत्याशित तापमान की लहर चल रही है। बेतहाशा गर्मी की लहर की खोज की जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के जेम्स ओ डोनोग्यू ने की है। इतनी अधिक गर्मी आंखीर पैदा कैसे हो गई। ये अपने आप में बड़ा सवाल है। खगोलविदों के अनुसार बृहस्पति का वातावरण विशिष्ट बहुरंगी भंवरों के साथ अप्रत्याशित रूप से गर्म है। मगर प्रस्तुत माडल में वास्तव में सैकड़ों डिग्री अधिक गर्म है। सूर्य से इसकी कक्षीय दूरी लाखों किलोमीटर होने के कारण, विशाल ग्रह पृथ्वी की तुलना में सूर्य के प्रकाश की मात्रा का 4% से कम प्राप्त करता है। इसका ऊपरी वातावरण सैद्धांतिक रूप से ठंडा -70 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। मगर इसके बादलों की ऊंचाई में 400 डिग्री सेल्सियस से अधिक है। वैज्ञानिकों ने पिछले साल ईपीएससी 2021 में बृहस्पति के ऊपरी वायुमंडल के पहले मानचित्र को प्रस्तुत किया। मानचित्र में ताप के उत्पन्न स्रोतों को दिखाया। जो बृहस्पति के अरोरा के ताप की भी जानकारी देता है।
अरोरा को लेकर सामान्य हैं पृथ्वी व बृहस्पति ग्रह
पृथ्वी और बृहस्पति में एक बात सामान्य है कि इन दोनों ग्रहों में अरोरा यानी रंग बिरंगी रोशनी के बादल बनते हैं । साथ ही सूर्य के सौर हवा इन दोनों ग्रहों को प्रभावित करती है। इसी कारण ध्रुवों के चुम्बकीय क्षेत्र में चारों ओर औरोरा बनते है। मगर दोनो ग्रहों के अरोरा में भारी विषमता है।
एवरग्रीन हैं बृहस्पति के अरोरा
पृथ्वी के अरोरा कुछ समय तक ही बने रहते हैं और केवल तभी होते हैं जब सौर तूफान तीव्र होती है, लेकिन बृहस्पति के अरोरा इसके उलट हैं, जो स्थायी रूप से सदा बने रहते हैं । साथ ही इनकी तीव्रता परिवर्तनशील होती है। शक्तिशाली अरोरा ध्रुवों के आसपास के क्षेत्र को 700 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म कर सकते हैं। बृहस्पति की वैश्विक हवाएं बृहस्पति के आसपास विश्व स्तर पर गर्मी पुनः बड़ा सकती हैं। वैज्ञानिकों ने डेटा के माध्यम से अधिक गहराई से देखने पर उत्तरी औरोरा के ठीक नीचे गर्मी की लहर की खोज की है। इससे पता चला कि यह हजारों किलोमीटर प्रति घंटे की गति से भूमध्य रेखा की ओर आगे बड़ रहा था। गर्मी की लहर संभवत: बृहस्पति के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करने वाले सौर पवन प्लाज्मा की एक नाड़ी द्वारा ट्रिगर की गई थी, जिसने ऑरोरल हीटिंग को बढ़ावा दिया और गर्म गैसों को भूमध्य रेखा की ओर फैलने और फैलने के लिए प्रेरित किया।
इस खोज से ऊर्जा संकट हल करने में मिल सकती है मदद
यह भी पता चला कि औरोरा लगातार बृहस्पति के बाकी हिस्सों में गर्मी का विस्तार करते हैं। गुरु में गर्मी की लहर अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। बृहस्पति के ऊपरी वायुमंडलीय मौसम और जलवायु के बारे में जानकारी को बड़ाते हैं। इसे एक और नई यह मिलती है कि इस जानकारी से हम ऊर्जा संकट की समस्या को हल कर सकते हैं।
श्रोत: जेम्स ओ’डोनोग्यू

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