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नैनीताल

आज 21 अगस्त को है आतंकवाद के पीड़ितों को अंतर्राष्ट्रीय स्मरण और श्रद्धांजलि दिवस

आज 21 अगस्त को है आतंकवाद के पीड़ितों को अंतर्राष्ट्रीय स्मरण और श्रद्धांजलि दिवस
सीएन, नैनीताल।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 21 अगस्त को  आतंकवाद के पीड़ितों की याद और श्रद्धांजलि देने का अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में आतंकवाद की वजह से घायल, मौत का शिकार हुए लोगों, पीड़ितों और प्रभावितों को सम्मान, समर्थन व सहायता देने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष तीसरा दिवस मनाया जा रहा है, जो कई स्मारकों और महामारी से निपटने की प्रतिक्रिया पर केंद्रित होगा, क्योंकि आतंकवाद के पीड़ितों को याद करने और उन्हें सम्मान देने के लिए समय निकालना महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2017 में अपने प्रस्ताव 72/165 (2017) के जरिए 21 अगस्त को दुनिया भर में आतंकवाद की वजह से मौत का शिकार हुए लोगों, पीड़ितों और प्रभावितों को सम्मान, समर्थन व सहायता देने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने का फ़ैसला किया था। इस दिन को पहली बार 2018 में मनाया गया था। हर साल, आतंकवादी गतिविधियों के कारण हज़ारों निर्दोष लोगों की मौत होती है और भारी नुक़सान भी होता है।  जो लोग आतंकवादी गतिविधियों से प्रभावित होते हैं, उन्हें अन्तरराष्ट्रीय ध्यान के बावजूद, महत्वपूर्ण शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, और वित्तीय सेवाओं तक पहुँच बनाने में भारी जद्देजेहद का सामना करना पड़ता है। लाउरा डोलसी, वर्ष 2003 में, इराक़ के कैनाल होटल में हुए भीषण विस्फोट में जीवित बची एक महिला हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के 22 कर्मचारियों की मौत हो गई थी और 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे। लाउरा बताती हैं कि दुनिया भर के अनेक क्षेत्रों में आतंकवाद से पीड़ित ऐसे हज़ारों लोग और उनके परिवार हैं, जो उन्हें मिले सदमों और ज़ख़्मों के साथ संघर्ष करते हुए जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं। आतंकवाद के पीड़ितों को याद करना और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना, ये दिखाने में अहम भूमिका निभाता है कि पीड़ित होने के नाते, उनके दर्जे का सम्मान किया जाता है और उन्हें पहचान दी जाती है। इस साल का ये दिवस, ऐसे समय पड़ रहा है जब विश्व कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुई सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा से उबरने की कोशिश कर रहा है, जिसने आतंकवाद से पीड़ित लोगों की जद्देजेहद को और ज़्यादा जटिल बना दिया। इस साल इस दिवस की थीम, आतंकवाद के पीड़ितों के साथ सलाह मश्विरा करके निर्धारित की गई है–स्मृतियाँ;  यादें लोगों को आपस में जोड़ती हैं और हमारी साझी इनसानियत का महत्व स्थापित करती हैं।
आतंकवाद के सम्बन्ध में, नुक़सान और तकलीफ़ों की यादें, समुदायों को आपस में जोड़ती हैं, विचारों का आदान-प्रदान सम्भव बनाती हैं और लक्षित समाधान भी सृजित करती हैं। आतंकवाद के पीड़ितों के लिये बर्ताव पर संयुक्त राष्ट्र का ध्यान, संगठन की वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति के एक महत्वपूर्ण प्रावधान का प्रतिनिधित करता है। आतंकवाद के पीड़ित, अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता को प्रोत्साहन देने, हिंसक अतिवाद की रोकथाम करने, और मानवाधिकारों की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाते हैं। यूएन महासभा ने 2021 में इस रणनीति की समीक्षा में, लक्षित नीतियों के सृजन में आतंकवाद के पीड़ितों की अहम भूमिका की महत्ता को रेखांकित किया। इस समीक्षा के समापन पर पारित एक प्रस्ताव में सदस्य देशों से, आतंकवाद के पीड़ितों के लिये व्यापक राष्ट्रीय सहायता योजना विकसित करने की पुकार लगाई गई, विशेष रूप से, ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़ित समूहों के लिये। यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने संगठन के उद्देश्य पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि लक्ष्य–सदस्य देशों को, आतंकवाद के पीड़ितों को, उनके ज़ख़्म भरने और गरिमा के साथ जीवन जीने की ज़रूरत पूरी करने की ख़ातिर, क़ानूनी, चिकित्सीय, मनोवैज्ञानिक और वित्तीय सहायता मुहैया कराने के लिये सक्रिय करना है। लाउरा डोलसी ने भी कुछ इसी तर्ज़ पर कहा कि आतंकवाद के पीड़ितों की मदद करना, कोई दन-पुण्य का काम नहीं है; इसे एक वैश्विक गतिविधि होना चाहिये, जिसे देशों की ज़िम्मेदारियों में मुख्य जगह मिले, और संयुक्त राष्ट्र का भी मज़बूत समर्थन हासिल हो। 

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