Connect with us

स्वास्थ्य

मडुआ हुआ राजा : धान पधान, मडुआ राजा ग्यूं गुलाम………    

मडुआ हुआ राजा : धान पधान, मडुआ राजा ग्यूं गुलाम………    
सीएन, नैनीताल।
भारत सरकार की एक योजना है अन्न श्री. यह योजना मोटे अनाज की पैदावार को बढ़ावा देने से संबंधित है. मालूम हो की भारत, दुनिया में मोटे अनाज का सबसे पड़ा उत्पादक है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लम्बे समय तक इन्हीं मोटे अनाजों पर निर्भरता रही है. मोटे अनाज पर निर्भरता से जुड़ी एक कुमाऊनी कहावत प्रचलित है. जिसका हिन्दी तरजुमा इस तरह है–फसलों में धान पधान है, मडुआ राजा और गेहूं गुलाम है. यह कहावत कुमाऊनियों द्वारा बोई जाने वाली फसलों की अलग अलग मात्रा भी बताती है. इस कहावत के गहरे अर्थ कुछ इस तरह से भी समझे जा सकते हैं. धान का उपयोग कर देने के लिये किया जाता होगा क्योंकि पुराने समय में लेन-देन वस्तु विनिमय प्रणाली आधारित था तो धान उगाकर गांव के प्रधान आदि को दिया जाता होगा. गेहूं देकर गांव के चौकीदार इत्यादि को खुश किया जाता होगा या हो सकता है सरकार का संदेशा पहुंचाने वाले या सरकारी मुलाजिमों को दिया जाता हो. जब घर से धान और गेहूं दोनों चले गये तो अब बचा मडुआ. घर में रहने वालों के खाने को केवल मडुआ बचा इसलिये मडुआ हुआ राजा क्योंकि घर वालों का पेट इसी मडुवे से तो भरता है. इस तरह कुमाऊं में रहने वाले पहाड़ियों की बीच कहावत बन गयी–धान पधान, मडुआ राजा ग्यूं गुलाम………वैसे मडुआ को राजा कहे जाने वाली यह अकेली कुमाऊनी कहावत नहीं है. एक और कुमाऊनी कहावत है जिसमें मडुआ को राजा कहा जाता है – मडुआ राजा जब सेकौ तब ताज़ा. अब इस कहावत का अर्थ किसी असल पहाड़ी को बताने की जरूरत नहीं.
वैसे पुराने समय में पहाड़ के लोग अपना सफ़र पैदल चलकर ही पूरा करते थे. अपने सफ़र के दौरान कई पहाड़ी मडुवे की रोटी ही लेकर चलते और जब मौका मिलता गर्मकर भूख मिटाते. इसके आगे मडुवे की रोटी के स्वाद के बारे में लिखना बेमानी होगी भला ऐसे ही तो उसे राजा नहीं कहा जाता. काफल ट्री से साभार

More in स्वास्थ्य

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING