राष्ट्रीय
लोकसभा में सीटिंग व्यवस्था पर क्यों मची है रार, सपा-कांग्रेस लेकर एनडीए के सहयोगी भी नाराज
लोकसभा में सीटिंग व्यवस्था पर क्यों मची है रार, सपा-कांग्रेस लेकर एनडीए के सहयोगी भी नाराज
अनिल कुमार, नई दिल्ली। 18वीं लोकसभा को बने लगभग छह महीने पूरे हो चुके हैं। संसद का तीसरा सत्र चल रहा है लेकिन अभी तक लोकसभा में सांसदों के बैठने की सीटों को लेकर रार चल रही है। हालांकि हाल ही में लोकसभा सचिवालय की ओर से सांसदों के बैठने की व्यवस्था की तस्वीर अलॉट हुई है। इसे लेकर भी हाल ही खासी नाराजगी देखने को मिल रही है। जहां एक ओर विपक्षी खेमे में एसपी सांसद अपने बैठने की जगह से संतुष्ट नहीं हैंए वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल एक घटक दल ने भी हाल ही में बैठने की व्यवस्था को लेकर अपनी नाराजगी दर्ज की है। दरअसल जहां एक ओर इंडिया गठबंधन के सांसद अपनी सीट बदलने से नाखुश हैं वहीं दूसरी ओर टीडीपी के सदस्य भी अपनी सीट बदलने से दुखी दिखे। सबसे पहले टीडीपी सांसद एम. श्रीनिवासुलु रेड्डी ने सदन में इस बात पर आपत्ति जताई कि वह पिछली लोकसभा में दूसरी लाइन में बैठते थ लेकिन पांचवीं बार के सांसद को अब दूसरी से पांचवीं लाइन में भेज दिया गया। तमाम सदस्यों में सिर्फ लाइनों को लेकर ही नाराजगी नहीं है बल्कि ब्लॉक को लेकर भी नाराजगी है। हालांकि लोकसभा सचिवालय के पूर्व अधिकारी की कहना था कि सदन में सीटों का अलॉटमेंट पार्टी की सीटों, सदस्य के राजनीतिक और संसदीय अनुभव व वरिष्ठता को लेकर भी तय होता है। अगर कम सीटों वाली पार्टी का कोई सदस्य संसदीय और राजनीतिक तौर पर काफी अनुभवी है तो उसके लिए सीटें तय करने का आधार अलग होगा। अखिलेश यादव सहित इंडिया गठबंधन के कई घटक दल के सांसद नई व्यवस्था से दुखी हैं। दरअसलए 18वीं लोकसभा में एसपी के अखिलेश यादव अयोध्या के अपने सांसद अवधेश प्रसाद के साथ आठवें ब्लॉक की पहली पंक्ति में बैठते थेए लेकिन अब एसपी नेता को सातवें ब्लॉक में भेजा गया है। दरअसल लोकसभा में स्पीकर की सीट के दोनों तरफ पहले और आखिरी यानी आठवें ब्लॉक को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पहले ब्लॉक में पीएम और सीनियर मंत्री बैठते हैं तो वहीं आठवें ब्लॉक की पहली लाइन में सदन के उपाध्यक्षए नेता प्रतिपक्ष सहित विपक्षी दलों के सीनियर सदस्य बैठते हैं। इसी ब्लॉक में पहले कांग्रेस, एसपी और डीएमके के नेता बैठते थे। आठवां ब्लॉक इसलिए अहम माना जाता है कि सदन के उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष इस ब्लॉक में बैठते हैं, इसलिए कैमरे की जद में पीएम ब्लॉक के बाद सबसे ज्यादा जद में रहता है।
कांग्रेस नेता, जो स्पष्ट रूप से सहयोगी सपा के साथ संबंधों को सुधारने के लिए उत्सुक थे, सपा के तर्क को आगे बढ़ाने के लिए संसदीय कार्य मंत्री के पास भी गए। कांग्रेस ने दावा किया कि सरकार इंडिया ब्लॉक टीएमसी को छोड़कर को अग्रिम पंक्ति की सात सीटें आवंटित करने के अपने पहले के वादे से मुकर गई है। सपा खेमा कथित तौर पर यादव के ब्लॉक 3 में शिफ्ट होने और पार्टी सांसद अवधेश प्रसाद को दूसरी पहली पंक्ति की सीट न दिए जाने से परेशान है। कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया कि पार्टी के प्रत्येक 28 सदस्यों के लिए एक सीट आवंटित करने के सरकार के साथ पहले के समझौते के तहत कांग्रेस को एलओपी गांधी की एक अगली पंक्ति की सीट और पार्टी नेताओं के लिए तीन और अगली पंक्ति की सीटें मिलनी थीं जिनमें से दो सपा के लिए और एक डीएमके के लिए थी। नई व्यवस्था के बाद अब डीएमके नेता टीआर बालू को छोड़कर एसपी नेता को यहां से हटाकर सातवें ब्लॉक में भेज दिया गया। जबकि एनसीपी-एससीपी की सुप्रिया सुले से लेकर डीएमके की कनिमोई, दयानिधि मारन जैसे नेता भी आठवें ब्लॉक में दूसरी और तीसरी लाइन में बैठते थे लेकिन अब जगह बदल दी गई है। इसे लेकर इनमें भी थोड़ी नाराजगी देखी जा रही है। इंडिया गठबंधन के कुछ दलों की नाराजगी कांग्रेस के साथ भी है। इस पूरे विवाद पर कांग्रेस के एक अहम सूत्र का कहना था कि हर 28 सदस्यों पर पहली लाइन में जगह मिलती है। सदस्यों की तादाद के आधार पर विपक्षी खेमे को कुल सात सीटें दी गई थीं, जिसमें टीएमसी को शामिल नहीं किया गया था। सूत्र ने गणित समझाते हुए कहा कि इनमें से एक सीट नेता प्रतिपक्ष को कांग्रेस को तीन, एसपी को दो और डीएमके को एक सीट दी गई। बाद में सरकार ने इस फॉर्म्युले में बदलाव करते हुए एसपी की एक सीट घटा दी, जिसे लेकर कांग्रेस और एसपी दोनों ने ही संसदीय कार्य मंत्री के सामने अपना विरोध जाहिर किया था।