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कोशिश : लोकसभा स्पीकर का पद भी भारतीय जनता पार्टी के पास ही रहे

कोशिश: लोकसभा स्पीकर का पद भी भारतीय जनता पार्टी के पास ही रहे
सीएन, नई दिल्‍ली।
नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं। पीएम मोदी के साथ 71 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में भारतीय जनता पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन राजग सहयोगियों को पांच कैबिनेट मंत्री पद मिले हैं क्योंकि पार्टी लोकसभा में बहुमत के लिए सहयोगियों पर निर्भर है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि बीजेपी अपने पास कौन.कौन से मंत्रालय रखना चाहेगी। ऐसा माना जा रहा है कि प्रमुख मंत्रालय बीजेपी अपने पास रखना चाहेगी। हालांकि सियासी गलियारों में यह ऐसी खबरों का बाजार भी गर्म है कि टीडीपी और जेडीयू ने भी कुछ महत्‍वपूर्ण मंत्रालयों की मांग रखी है। सुनने में यह भी आ रहा है कि टीडीपी ने लोकसभा स्पीकर पद की मांग भी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में बीजेपी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सहयोगियों को पांच कैबिनेट मंत्री पद मिले हैं क्योंकि पार्टी लोकसभा में बहुमत के लिए सहयोगियों पर निर्भर है। पिछली मोदी सरकार में सहयोगी दलों के पास एक भी कैबिनेट पद नहीं था। निवर्तमान मंत्रिपरिषद में भाजपा के सहयोगी दलों से दो राज्य मंत्री थे अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल और आरपीआई एके रामदास आठवले। इस बार दो स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और चार राज्य मंत्री हैं इस बार उम्मीद है कि बीजेपी के सहयोगी दलों को भी कुछ मंत्रालय दिये जाएं। मोदी 3 में जनता दल सेक्युलर के एच डी कुमारस्वामी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी, जनता दल यूनाइटेड के राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, तेलुगु देशम पार्टी के किंजरापू राम मोहन नायडू और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के चिराग पासवान ने रविवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। प्रधानमंत्री मोदी, 30 कैबिनेट मंत्रियों, स्वतंत्र प्रभार वाले पांच राज्य मंत्रियों और 36 राज्य मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। प्रधानमंत्री मोदी सहित कुल 31 कैबिनेट मंत्रियों में से पांच राज्यसभा सदस्य हैं जबकि उच्च सदन के छह अन्य सदस्य राज्य मंत्री बनाए गए हैं। ऐसे में बीजेपी के सहयोगियों को इस बार 5 मंत्रालय मिल सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इशारों ही इशारों में साफ कर दिया है कि वह देश के विकास की गति को किसी भी कीमत पर मंद नहीं पड़ने देंगे। सूत्रों की मानें तो चार महत्वपूर्ण मंत्रालयों. गृह, रक्षा, वित्त और विदेश सहित कोई भी महत्वपूर्ण मंत्रालय सहयोगी दलों को नहीं दिया जाएगा। यह भी संभावना है कि भाजपा शिक्षा, संसदीय मामले, संस्कृति और सूचना एवं प्रसारण विभाग अपने पास ही रखेगी। बीजेपी की यह भी कोशिश रहेगी कि लोकसभा स्पीकर का पद भी बीजेपी के पास ही रहे। दरअसल बीजेपी की तरफ से सहयोगियों से कह दिया गया है कि वह अभी दबाव न बनाएं। मंत्रिमंडल विस्तार के दूसरे चरण में उनकी मांगों का ख्याल रखा जाएगा। इस पर सहमति बनने के बाद किस दल को कितनी हिस्सेदारी मिलेगी, यह फाइनल हो गया है।    

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