उत्तराखण्ड
22 जनवरी को सरकारी प्रतिष्ठानों में छुट्टी करना निंदनीय : कैलाश जोशी
एम्स जैसा अस्पताल आधे दिन के लिए बंद कर दिया जाना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा
संवाददाता, नैनीताल। भाकपा (माले) नगर सचिव कैलाश जोशी ने 22 जनवरी को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सरकारी प्रतिष्ठानों में छुट्टी किया जाने को निंदनीय करार दिया है। उन्होंने कहा कि एक धार्मिक आयोजन के लिए पूरे सरकारी तंत्र को झोंक देना और पूरे देश के कामकाज को रोक देना कतई स्वीकार्य नहीं हो सकता। एम्स जैसा अस्पताल जहां लोगों को दिखाने के लिए महीनों नंबर लगाना पड़ता है, उसे भी आधे दिन के लिए बंद कर दिया गया। यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। सिर्फ सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए गंभीर रोगों के मरीजों का जीवन तक खतरे में डाल दिया गया है। एक धर्म विशेष के आयोजन में, जिसके राजनीतिक निहितार्थ स्पष्ट हैं, में जिस तरह से तमाम प्रशासनिक अधिकारियों और संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्तियों ने स्वयं को लगाया हुआ है। वह पूरी तरह से संविधान विरुद्ध है। लोक सेवकों और प्रशासनिक अफसरों का दायित्व है कि वह निष्पक्ष और निरपेक्ष हो कर काम करें। एक धर्म विशेष के आयोजन के प्रति उनका पूरी तरह से झुक जाना बाकी धर्मावलम्बियों के मन में उनके प्रति संदेह का भाव उत्पन्न करेगा। इसलिए 22 जनवरी की छुट्टी को रद्द किया जाना चाहिए। अस्पतालों में तो यह छुट्टी किसी सूरत में नहीं होनी चाहिए। धार्मिक आयोजन की आड़ में मंहगाई, बेरोजगारी, मजदूर, किसानों के मसले, अर्थव्यवस्था की बदहाली जैसे वास्तविक सवालों पर से ध्यान कतई नहीं हटना चाहिए।