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एक बकरे ने बाघ और सियार को एक साथ में ढेर किया

एक बकरे ने बाघ और सियार को एक साथ में ढेर किया
बड़ी पुरानी बात है एक बकरे को न जाने क्या सूझी और वह अपने मालिक को बिना बताये शाम के समय जंगल की ओर चल दिया. बकरा जानता था मालिक से पूछेगा तो वह उसे दो डांट के साथ गोठ में बंद कर देगा सो बकरा चुपके से जंगल हो लिया. मालिक के घर निकलने के बाद बकरे ने पीछे मुड़कर न देखा सीधा जंगल में ही घुसा. शाम का समय था सूरज डूब चुका था आसमां की नारंगी रोशनी जंगल भीतर पहुंचने का प्रश्न न था. बकरा जंगल के भीतर घुसा ही था कि उस पर एक बाघ की नजर पड़ गयी. बाघ को लगा आज तो शाम की खीर का जुगाड़ हो गया.बाघ ने अपनी मोटी आव़ाज में कहा–हां भाई बकरे आज शाम के समय यहां कैसे. अचानक यूं बाघ को देखकर पहले तो बकरे को झस्स हो गयी पर उसने ख़ुद को संभालते हुए बुलंद आवाज में कहा–कुछ नहीं बड़े सारे हाथियों का शिकार कर चुका हूं आज एक बाघ की ख़ोज में हूँ सोच रहा हूँ आज उसका शिकार करूं. बाघ पर तो जैसे बिजली गिर गयी वह डरकर खिसकने लगा. बकरे और बाघ की यह बात एक सियार सुन रहा था. जब सियार ने बाघ को लौटते देखा तो उसने अगले मोड़ पर उसे पकड़ लिया और कहने लगा – कैसा बाघ है रे तू एक बकरे से डर गया. चल मिलकर जाते हैं और बकरे को मार खाते हैं. इस बार बाघ ने कहा–अबे ओ सियार तेरे जैसा शातिर जानवर कोई नहीं. तुझपर कौन भरोसा करे और वैसे भी जानता है उस बहादुर बकरे ने अनेक हाथियों को मार गिराया है. अगर तुम्हें मुझपर यकीन नहीं तो आओ हम दोनों आपस में अपनी पूंछ बाँध लेते हैं  ताकि जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद कर सके. चलो मिलकर बकरे का शिकार करते हैं और स्वादिष्ट भोजन करते हैं. सियार ने कहा. दोनों बकरे के शिकार के लिये तैयार हो गये और आपस में अपनी पूंछ बाँध निकल पड़े बकरे के शिकार पर. बकरे ने दोनों को अपनी ओर आते देखा तो कहने लगा– आओ आओ सियार भाई. तुमने बाघ को मेरे पास लाकर अच्छा किया. मैं इसी की तलाश में तो आया हूँ. बकरे की बात सुनकर बाघ की तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी. सियार तो चालाक था वह जैसे बकरे पर झपटता बाघ ने सीधा खाई की ओर छलांग लगा दी. सियार बिचारा घिसटता हुआ बाघ के साथ खाई में गुरक गया और बकरे की जान बच गयी.  
काफल ट्री से साभार

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