उत्तराखण्ड
डाना गोलू देवता न्याय के भगवान, गोलू देवता हैं गौर भैरव (शिव) का अवतार
लोकेंद्र सिंह बिष्ट, उत्तरकाशी। ऋग्वेद में उत्तराखंड को देवभूमि कहा गया है। ऐसी भूमि जहां देवी-देवता निवास करते हैं। हिमालय की गोद में बसे इस सबसे पावन क्षेत्र को मनीषियों की पूर्ण कर्म भूमि कहा जाता है। उत्तराखंड में देवी-देवताओं के कई चमत्कारिक मंदिर हैं। इन मंदिरों की प्रसिद्धि भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैली हुई है। इन्हीं में से एक मंदिर गोलू देवता का भी है। गोलू देवता को स्थानीय मान्यताओं में न्याय का देवता कहा जाता है। डाना गोलू देवता को न्याय के भगवान के रूप में जाना जाता है और महान गर्व और उत्साह के साथ प्रार्थना करते हैं। डाना गोलू देवता को सफेद कपड़ों, सफेद पगड़ी और सफेद शावोल के साथ पेश किया जाता है। पुराणों में शनिदेव, यमराज और काल भैरव जैसे देव हैं जो न्याय के देवता कहे जाते हैं। गोलू देवता को गौर भैरव ( शिव ) का अवतार माना जाता है और पूरे क्षेत्र में उनकी पूजा की जाती है। भक्तों में उनके प्रति गहरी आस्था है और वे उन्हें न्याय के देवता के रूप में मानते हैं। ऐतिहासिक रूप से, उन्हें राजा झाल राय और उनकी पत्नी कालिंका का बहादुर पुत्र और कत्यूरी राजा का सेनापति माना जाता है। कुमाऊं में गोलू देवता के कई मंदिर हैं, और सबसे लोकप्रिय गैराड (बिन्सर), चितई , चंपावत, घोडाखाल में हैं। लोकप्रिय धारणा है कि गोलू देवता भक्त को त्वरित न्याय प्रदान कराते हैं। उनकी इच्छाओं की पूर्ति के बाद भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं। मंदिर के परिसर में हर आकार के हजारों घंटियाँ लटकी देखी जा सकती हैं।।