Connect with us

उत्तराखण्ड

फाइलों में धूल फांक रही नैनीताल को बचाने वाली हिल सेफ्टी कमेटी

नैनीताल में कमेटी की सिफारिश पर ही भू-स्खलन रोकने के लिये नालों का निर्माण कराया
1984 से पहली बार पांच वर्ष राज्यपाल के आदेश पर नैनीताल में हुई हिल कमेटी की बैठकें
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
सरोवर नगरी में रोक के बाद अंधाधुध निर्माण कार्य जारी है। अवैज्ञानिक रूप से निर्माण कार्यो से शहर का भूगोल ही बदल रहा है। वर्ष 1984 तक शहर में किसी भी निर्माण कार्य के लिए गठित हिल सेफ्टी कमेटी की संस्तुति ली जाती रही है। उसके बाद झील विकास प्राधिकरण के गठन के बाद हिल सेफ्टी कमेटी बैकफुट में चली गई। इसके बाद शहर की हालत क्या हुई वह अब जगजाहिर हो गई है। अंधाधुध निर्माण कराने में प्राधिकरण के भ्रष्टाचार ने कोई कमी नही छोड़ी। आज शहर की हालत बद से बद्तर हो चुकी है। पांच वर्ष पूर्व राज्यपाल केके पाल के निर्देश पर कुमाऊं आयुक्त की अध्यक्षता में हिल सेफ्टी कमेटी को 150 साल बाद पुर्नजीवित किया गया। इससे लोगों में आस जगी कि कमेटी अपने अधिकारों का प्रयोग कर सख्ती से अवैध निर्माणों को रोकेगी साथ ही उसके सुझावों से नगर का रूप निखरेगा। कमेटी के तीन बैठकों में अच्छे सुझाव भी आये। निर्माण कार्यो को रोकने के लिए टास्क फोर्स गठन का सुझाव भी दिया गया। लेकिन कमेटी के कागजी घोड़े ही दौड़ते रहे। प्रशासन सहित संबंधित विभागों को कार्यवृत्त भेज कर कमेटी ने इतिश्री कर ली। अब हिल सेफ्टी कमेटी भी फाईलों में बंद पड़ी है। बतातें चलें कि पी बैरन ने 1841 में नैनीताल की खोज की। वर्ष 1842 को नैनीताल में पहला भवन पिलग्रिम लाज का निर्माण किया गया। इसके बाद नैनीताल में अनियोजित तरीके से भवनों का निर्माण होने लगा। वर्ष 1866 में वर्तमान चार्टन लाज इलाके में पहला भू-स्खलन हुआ। इस क्षेत्र में अनियोजित भवन निर्माण के साथ ही जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं थी। इस तरह पहली बार अंग्रेजी शासकों ने नैनीताल की संवेदनशीलता को पहचाना। वर्ष 1867 में हिल सेफ्टी कमेटी का गठन कर दिया गया। इसके साथ ही संवेदनशील इलाकों में निर्माण कार्यों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। इसके बावजूद वर्ष 1880 में आल्मा पहाड़ी में जबरदस्त भू-स्खलन हुआ। जिसमें 151 यूरोपीय व भारतीय नागरिकों की मौत हो गई। इस भू-स्खलन का कारण पानी की निकासी नहीं होना था। इसके बाद हिल सेफ्टी कमेटी की सिफारिश पर नैनीताल की तीनों पहाड़ियों में 60 से अधिक नालों व उपनालों का निर्माण किया गया। इन नालों में भू-स्खलन से आये मिट्टी को रोकने के लिये कैचपिटों का निर्माण व जल की सफाई के लिये सीढ़ी देकर झरने बनाने की व्यवस्था थी। यह सभी नाले नैनी झील को रिचार्ज भी करते थे। यही नहीं कमेटी के नियमों के अनुसार नैनी झील के जलागमों में छेड़छाड़ की भी अनुमति नहीं थी। इसके अलावा नैनीताल के अंतरिम सड़कों को पक्का तक नहीं किये जाने के नियम थे। लेकिन आज हिल सेफ्टी कमेटी के नियमों का पालन तक नहीं किया जा रहा और न ही कमेटी की बैठकों में लिए गये सुझावों पर अमल किया जा रहा है। यही कारण है कि आज नैनीताल अपने सबसे अधिक दुर्दशा के दिन देख रहा है। हिल सेफ्टी कमेटी को पुर्नजीवित करवाने में विशेष भूमिका निभाने वाले व हिल सेफ्टी कमेटी के सदस्य प्रबोधिनी पर्यावरण संस्था के अध्यक्ष सुह्दय सुर्दशन साह का कहना है कि नैनीताल में अवैध निर्माणों को रोकने के लिए टास्क फोर्स गठित करने के सुझाव के साथ ही नैनी झील के संरक्षण, नालों के रखरखाव, बलियानाला संरक्षण आदि के संबंध में हिल सेफ्टी कमेटी की हालिया तीन बैठकों में सुझाव दिये गये थे। कमेटी द्वारा इसके लिए संबंधित विभागों को निर्देशित भी किया गया था। लेकिन आज तक कोई प्रभावी कार्रवाई नही हो पाई है। उन्होंने कहा कि नैनीताल की दुर्दशा को रोकने के लिए हिल सेफ्टी कमेटी के पास असीमित अधिकार है। लेकिन अड़ियल विभागों के कारण कमेटी के सुझावों पर ध्यान नही दिया जा रहा है। अब कमेटी ही फाईलों में बंद कर दी गई है। यह शहर का सबसे दुर्भाग्य हैं।
कमेटी ने लगाया था ग्रीन बेल्ट व डेंजर जोन में निर्माण पर प्रतिबंध
नैनीताल।
हिल सेफ्टी कमेटी गठन के बाद ही नैनीताल में ग्रीन बेल्ट व डेंजर जोन को चिन्हित कर निर्माण कार्यों को प्रतिबंधित कर दिया गया था। जब तक अंग्रेज नैनीताल में रहे तब तक इसका कठोरता से पालन हुआ। इसके बाद 1984 के दशक तक हिल सेफ्टी कमेटी की बैठकों में समीक्षा होती रही। इसी दौरान झील विकास प्राधिकरण का गठन हुआ तो हिल सेफ्टी कमेटी के बनाये नियमों को ताक में रख दिया गया। तब से आज तक नैनीताल में शहर के ग्रीन बेल्ट व डेंजर जोन में नक्शा पास नहीं होने के बाद भी निर्माणकर्ताओं में इतना साहस हो गया है कि वह किसी के आदेशों की भी परवाह नहीं कर रहे हैं।
150 वर्ष पूर्व गठित हो गई थी नैनीताल में हिल सेफ्टी कमेटी
नैनीताल।
शहर की संवेदनशीलता को देखते हुए अंग्रेजों ने वर्ष 1867 में निर्माणों पर प्रतिबंध लगाते हुये हिल सेफ्टी कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी की अनुशंसा पर ही नैनीताल में भू-स्खलन रोकने के लिये नालों का निर्माण कराया गया था। कमेटी के नियमों के अनुसार इन नालों के पांच मीटर परिधि में भवन निर्माण कार्य कतई प्रतिबंधित किये गये थे। यहीं नहीं कमेटी के नियमों के अनुसार हरे वृक्षों के पांच मीटर परिधि में भवन निर्माण भी वर्जित था। नैनीताल के विभिन्न जल स्रोतों को संरक्षित करने के लिये नियम बनाये गये थे। लेकिन आजादी के बाद इस कमेटी का औचित्य ही समाप्त जैसा हो गया। झील विकास प्राधिकरण के वर्ष 1984 में गठन के बाद आज तक इस कमेटी की बैठकें तक नहीं की गई। पांच वर्ष पूर्व राज्यपाल केके पाल के आदेश के बाद कमेटी के अध्यक्ष व आयुक्त अध्यक्षता में यहां बैठकें हुई हैं। उसके बाद फिर सन्नाटा।

Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING