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उत्तराखण्ड

पीएम मोदी के दौरे से पूरे देश में होगी कुमाऊं की ब्रांडिंग

सीएन, नैनीताल/देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुमाऊं का एक दिवसीय दौरे के बाद क्या धार्मिक तीर्थाटन को जेट स्पीड मिलेगी। पीएम नरेन्द्र मोदी 12 अक्टूबर को कुमाऊं मंडल दौरे को लेकर पर्यटन और तीर्थाटन को दुनिया के सामने लाकर एक नई पहचान देने का काम कर गये ऐसा विश्लेषकों का मानना है। यहां बता दें कि पीएम मोदी जब भी किसी जगह जाते हैं तो उसकी कवरेज पूरे देश की मीडिया करती है। इतिहास साबित करता है कि पीएम मोदी ने जब भी किसी तीर्थस्थल की यात्रा पर पहुंचे। उसके बाद वहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। उनकी केदारनाथ व बद्रीनाथ की यात्रा इसकी गवाह रही है। इसी तरह काशी विश्वनाथ मंदिर, उज्जैन के महाकाल मंदिर में भी पीएम मोदी के दौरे के बाद लाखों की संख्या में श्रद्धालु बढ़ गए। ऐसे में पीएम मोदी के कुमाऊं दौरे से यहां के शिव तीर्थ स्थलों तक भी श्रद्धालुओं व पर्यटकों की संख्या में इजाफा होना तय माना जा रहा है। मोदी जी के द्वारा इन स्थलों का प्रमोट करने से, देश और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को यहां के सुंदर दृश्य, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करने का अवसर मिलेगा। पीएम के दौरे से उत्साहित कारोबारी यहां आने वाले दिनों में उम्मीद से अधिक तीर्थ यात्री आने से एक नई सूरत बदलते समय का इंतजार कर रहे है। पीएम के दौरे से ना सिर्फ देश दुनिया में सुरक्षित कुमाऊं का संदेश गया है बल्कि कुमाऊं में स्थित भगवान शिव से जुड़े ऊं पर्वत, आदि कैलाश, कैलाश मानसरोवर, जागेश्वर धाम जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों की ब्रांडिंग सीधे पूरी दुनिया में हो जाएगी। इस दौरे को लेकर दरमा, व्यास, चौंदास घाटी के स्थानीय लोग भी बेहद उत्साहित दिखे। पीएम मोदी का यह दौरा सामरिक संदेश भी दे गया। दरअसल पीएम मोदी चीन सीमा से मात्र कुछ किमी की दूरी पर रहे। ऐसे में पूरी दुनिया के साथ ही चीन को भी भारत की बढ़ती शक्ति के संदेश पहुंचा देगा। कुमाऊं में तीर्थाटन की बात करें तो जागेश्वर सबसे बड़ा शिव धाम है। पर यहां तक श्रद्धालु काफी कम संख्या में पहुंच पाते है। आदि कैलाश व ऊं पर्वत की यात्रा सड़क ना होने के कारण 2019 तक पैदल ही हो पाती थी। इस बेहद दुर्गम हिमालयी इलाके में अब गाड़ियों के लिए सड़क बन चुकी है। साथ ही आधारभूत ढांचे की स्थिति में अब तेजी से सुधार हो रहा है। पर सड़क होने के बावजूद यहां भी केवल गिनती के ही श्रद्धालु पहुंच पाते हैं। यदि गढ़वाल की चारधाम यात्रा से इसकी तुलना की जाए तो कुमाऊं में तीर्थयात्रियों की संख्या साल में बामुशकिल दो लाख के पार हो पाती है। ऐसे में सरकार की इस इलाके को शिवा तीर्थ सर्किट बनाकर प्रमोट करने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी भी आदि कैलाश, ऊं पर्वत, जागेश्वर धाम में दर्शन किये। इसके अलावा वह चीन सीमा से दिखने वाले कैलाश मानसरोवर पर्वत के व्यू प्वाइंट का भी शुभारंभ किया। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुमाऊं दौरा इन सब तीर्थस्थलों की ना सिर्फ ब्रांडिंग किया है बल्कि देश की जनता तक यह संदेश भी पहुंचा है कि कुमाऊं के तीर्थस्थलों तक पहुंचने की सारी सुविधाएं उपलब्ध हो चुकी हैं। यात्री सीधे अपने वाहनों में बैठकर ऊं पर्वत, आदि कैलाश से लेकर भागवान शिव के घर कैलाश पर्वत तक के दर्शन कर सकते हैं। भगवान शिव के पौराणिक मंदिर जागेश्वर व बागेश्वर मंदिर समूहों तक पहुंचना भी श्रद्धालुओं के लिए आसान हो जाएगा। ऐसे में पीएम मोदी का यह दौरा कुमाऊं के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है। कोरोना के बाद से चीन ने भारतीय श्रद्धालुओं के लिए कैलाश मानसरोवर दर्शन का वीजा देना बंद कर दिया है। इस कारण भारतीय श्रद्धालु भगवान शिव के निवास माने जाने वाले कैलाश पर्वत् के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं। इसके विकल्प के तौर पर भारत सरकार ने ऊं पर्वत से ठीक छह किमी दूरी पर स्थित ओल्ड लिपुलेख पास से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन करवाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। दरअसल ओल्ड लिपुलेख पास से कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं। यह ठीक चीन सीमा के नजदीक है। यहां पर व्यू प्वाइंट बना दिया गया है जहां तक पहुंचने की सड़क भी तैयार हो चुकी है।

फोटो : कुमाऊं के जागेश्वर धाम में पूजन करते व पुरोहितों से मिलते पीएम मोदी।

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