उत्तराखण्ड
रक्षाबंधन आज 31 को ही मनाई जाएगी: भद्रा काल में रक्षा बांधना अशुभ
रक्षाबंधन आज 31 को ही मनाई जाएगी: भद्रा काल में रक्षा बांधना अशुभ
जगमोहन रौतेला, हल्द्वानी। श्रावणी उपाकर्म व रक्षाबंधन का पर्व आज 30 अगस्त मनाया जाएगा या कल 31 अगस्त 2023 को। इसको लेकर लोगों में अभी भी संशय बना हुआ। लोग सोशल मीडिया में इस बारे में पूछ रहे हैं। वैसे इस बारे में कई दिन से चल रही ऊहापोह के बाद जाने.माने ज्योतिषाचार्यो ने आपस में बैठक कर तय कर लिया है कि आज पूर्णिमा के दिन भद्रा काल होने से रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाएगाए बल्कि वह कल 31 अगस्त को मनाना शास्त्र सम्मत व उचित है। इसी वजह से ज्योतिषाचार्यो ने कल 31 अगस्त को ही रक्षाबंधन मनाने की घोषणा की है। रक्षाबंधन मानने को लेकर ज्योतिषाचार्यो में एक राय बनने के बाद उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने भी 31 अगस्त 2023 को ही रक्षाबंधन की छुट्टी घोषित की हैण् गत रविवार 27 अगस्त 2023 को श्रावणी उपाकर्म व रक्षाबंधन के सन्दर्भ में व्याप्त भ्रांति को दृष्टिगत रखते हुए धार्मिक प्रकोष्ठ पर्वतीय महापरिषद लखनऊ की ऑनलाइन बैठक गूगल मीट के माध्यम से धार्मिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ज्योतिर्विद् पं. नारायण दत्त पाठक की अध्यक्षता में आहूत की गयी। जिसका कुशल संचालन आचार्य पं. वासुदेव पाण्डेय के द्वारा किया गया। बैठक में सम्मिलित सभी सम्मानित आचार्यों ने इस संदर्भ में शास्त्रीय तथ्यों को प्रस्तुत किया। बैठक में प्रस्तुत किए गए सभी शास्त्रीय तथ्यों के आधार पर यह निर्णय प्रतिपादित किया गया कि आगामी 31 अगस्त 2023 गुरूवार को प्रात ब्रह्म मुहूर्त से सूर्योदय के साथ उपाकर्म कर सम्पूर्ण दिन रक्षा बंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा। ऑनलाइन बैठक में आचार्य सर्वश्री पं. लक्ष्मी दत्त चौबे, पं. दीपक जोशी, पं. गिरीश चन्द्र कांडपाल, पं. वासुदेव पाण्डेय व पं. नारायण दत्त पाठक ने प्रतिभाग किया एवं आचार्य सर्वश्री पं. गोपल दत्त सती, पं. मुकेश पाण्डेय व पं. देवेन्द्र जोशी ने लिखित रूप में अपने विचार प्रेषित कर 31 अगस्त को श्रावणी पर्व मनाने पर सहमति प्रदान की। कुमाऊं मंडल और पूरे उत्तराखंड में सबसे अधिक प्रचलित श्री गणेश मार्तण्ड पंचांग ;जिसे रामदत्त जोशी जी के पंचांग के नाम से जाना जाता है, में भी 31 अगस्त को ही रक्षाबंधन और श्रावणी पौर्णमासी यजुर्वेदी उपाकर्म मनाने को शास्त्र सम्मत बताया गया है। मुरादाबाद में ज्योतिषाचार्यो की एक बैठक में भी 31 अगस्त को ही रक्षाबंधन मनाए जाने को शास्त्र सम्मत बताया गया। बैठक के बाद ज्योतिषाचार्य पंडित केदार मुरारी, पंडित रामकुमार उपाध्याय ने एक बयान जारी कर कहा कि आज 30 अगस्त को रात 9.01 पर भद्रा खत्म होगी। जिससे आज राखी मनाना ठीक नहीं है। कल 31 अगस्त को पूरे दिन रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा। दोपहर 2.00 बजे से 3.30 बजे तक राहुकाल के समय को छोड़कर पूरे दिन राखी बांधी जा सकती है। भद्र क्या है इसे स्पष्ट करते हुए दोनों ज्योतिषाचार्यो ने कहा कि भद्रा सूर्य देव व उनकी पत्नी छाया की पुत्री और शनि देव की सगी बहन है। भद्रा का जन्म का रूप कुरूप है। अपने भाई शनिदेव की तरह ही भद्रा का स्वभाव भी बहुत कठोर माना जाता है। वह हर शुभ कार्य में बाधा डालती थीं। जन्म लेने के बाद वह ऋषि.मुनियों के यज्ञ में विघ्न डालने लगी थी। सूर्य देव को इसकी चिंता हुई तो उन्होंने ब्रह्मा जी से परामर्श मांगा। उन्होंने भद्रा का स्वभाव नियंत्रित करने के लिए पंचांग में एक प्रमुख अंग बिष्टी करण में स्थान दे दिया। साथ ही कहा कि भद्रा अब तुम बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में निवास करो, जो व्यक्ति तुम्हारे समय में गृह प्रवेश व अन्य मांगलिक कार्य करे तो तुम उनके कार्य में विघ्न डाल देना और जो तुम्हारा सम्मान न करे, तुम उनके काम बिगाड़ देना। इसी कारण से ही भद्राकाल में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई.बहन के अटूट रिश्ते की खुशी मनाने का पर्व है। इधर पिछले कुछ सालों से लगभग हर साल इस त्योहार पर भद्रा का साया पड़ता है और इसकी रौनक फीकी पड़ जाती हैण् इस बार भी रक्षाबंधन पर पूरे दिन भद्रा है। भद्रा की वजह से भाई.बहन के रिश्ते की खुशियां मनाने वाले इस त्योहार की अवधि कम हो जाती है। मान्यता है कि भद्रा एक अशुभ मुहूर्त है। जिसके होने पर कोई भी शुभ कार्य करने के अशुभ परिणाम सामने आते हैं, इसलिए भद्रा होने पर राखी बांधना अशुभ माना जाता है। भद्रा के खत्म होने के पश्चात ही राखी बांधने को उचित माना गया है। इसी वजह से भाई.बहन की पवित्रता के प्रतीक रक्षाबंधन पर भद्रा काल में रक्षा बांधना अशुभ माना गया है।