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चीन के स्कूलों में पढ़ाई जा रही है इस संघर्षशील उत्तराखंडी की कहानी

चीन के स्कूलों में पढ़ाई जा रही है इस संघर्षशील उत्तराखंडी की कहानी
सीएन, देहरादून।
उत्तरी चीन का एक प्रान्त है शांक्सी. शांक्सी का मतलब ही पश्चिमी पहाड़ी है. चीन के इस प्रान्त की राजधानी शिआन के स्कूलों में 7वीं कक्षा के बच्चे उत्तराखंड के देव रतूड़ी की कहानी पढ़ रहे हैं. देव रतूड़ी जो हर पहाड़ी की तरह रोजगार की तलाश में अपना गांव छोड़ते हैं. दिल्ली और मुम्बई जैसे शहरों से होते हुए ज़िन्दगी उन्हें चीन के एक रेस्टोरेंट में पहुंचा देती है. चीन के इस रेस्टोरेंट में उनका सफ़र बतौर वेटर शुरू होता है. किसी फ़िल्मी कहानी जैसी सुनाई देने वाली यह खबर उत्तराखंड के देव रतूड़ी की संघर्ष की असल कहानी है. यह कहानी शुरू होती है टिहरी गढ़वाल के छोटे से गांव केमरिया से. साल 1978 में उत्तराखंड के इसी छोटे से गांव में देव रतूड़ी का जन्म हुआ जिसकी दूरी राज्य की राजधानी देहरादून से 120किमी है.  परिवार की आर्थिक सहायता के लिये दसवीं तक पढ़े देव रतूड़ी रोजीरोटी की तलाश में दिल्ली का रूख करते हैं. 1998 में अपनी किस्मत आजमाने मुम्बई भी जाते हैं पर खाली हाथ ही लौटते हैं. ब्रूस ली के फैन देव इस दौरान मार्सल आर्ट भी सीखते रहे. दिल्ली में काम करते हुए साल 2005 में उन्हें चीन जाने का मौका मिला. टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की एक रपट में देव रतूड़ी ने इस बारे में कहा–2005 में मैंने शैन्ज़ेन शहर में एक वेटर की तरह काम शुरू किया. तब मुझे अपने काम के लिये 10,000 भारतीय रूपये मिलते थे. मैं दिन में काम करता और रात के समय मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग लेता. कुछ समय बाद मुझे स्थनीय लोगों से पता चला कि मुझे मार्शल आर्ट्स की आगे की ट्रेनिंग के लिये शाउलिन टेम्पल जाना होगा. मेरी माली-हालत ऐसी न थी कि में शाउलिन टेम्पल जाकर ट्रेनिंग कर सकता. मेरे पास संघर्ष करने के अलावा कोई चारा न था. अगले सात बरसों तक मैंने संघर्ष किया. 2 साल वेटर की नौकरी के बाद मैंने मैनेजर के रूप में एक जर्मन रेस्टोरेंट में नौकरी शुरू की. मैंने अपनी स्किल पर काम किया और 2010 में रेस्टोरेंट चेन का एरिया डायरेक्टर नियुक्त किया गया. साल 2012 में मैंने ख़ुद का रेस्टोरेंट खोला जिसका नाम है ‘रेड फोर्ट’. देव रतूड़ी की अपने रेस्टोरेंट में मुलाक़ात एक चीनी डायरेक्टर से हुई. डायरेक्टर अपनी एक फिल्म स्पेशल स्वाट के लिये लोकेशन ढूंढ रहा था उसे एक भारतीय कलाकार की भी आवश्यता थी. देव रतूड़ी के चीनी फिल्मों में अभिनय का सफ़र यहीं से शुरू होता है. वह फिल्म में एक छोटा नकारात्मक रोल निभाते हैं. इसके बाद देव रतूड़ी ने मुड़कर न देखा. अब तक देव रतूड़ी 35 से ज्यादा चीनी फिल्मों, टीवी सीरियल और वेब सीरीज में काम कर चुके हैं. आज वह चीनी फिल्म इंडस्ट्री का एक स्थापित नाम हैं. वर्तमान में 8 रेस्ट्रोरेंट के मालिक देव के विषय में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक वह उत्तराखंड के लोगों की खूब मदद भी करते हैं उनके रेस्ट्रोरेंट में काम करने वाले 70 लोगों में 40 उत्तराखंड के हैं. देव रतूड़ी के जीवन के संघर्ष की यही कहानी शिआन के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई जा रही है.
काफल ट्री से साभार

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