उत्तराखण्ड
राज्य में प्रीतम गुट और हरीश गुट आमने सामने, नेता प्रतिपक्ष को सिर फुटब्बल
सीएन, हरादून। उत्तराखंड में जहां 29 मार्च से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है तो वहीं कांग्रेस अभी तक नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर नहीं लगा सकी है। कांग्रेस को सत्र से पहले विपक्ष का नेता चुनना है। लेकिन कांग्रेस अभी तक किसी नाम पर फैसला नहीं कर सकी है और राज्य में प्रीतम सिंह गुट और हरीश रावत गुट आमने सामने हैं। जहां एक ओर प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस में मजबूत दावेदार माना जा रहा हैं। तो वहीं हरीश रावत का गुट इसका विरोध कर रहा है। धारचूला से विधायक हरीश धामी ने ऐलान तक कर दिया है कि नेता प्रतिपक्ष उनको बनाया जाए। क्योंकि वह लगातार 2007 से विधायक चुनते आ रहे हैं। और बैकडोर से हरीश रावत गुट भी उनके नाम को आगे बढ़ा रहे हैं।
हरीश रावत 2017 विधानसभा चुनाव में 2 सीटों पर चुनाव हारने के बाद वह 2019 लोकसभा चुनाव भी हारे और 2022 विधानसभा में भी हार का सामना करना पड़ा। हरीश रावत के चुनाव हारने से प्रीतम गुट मजबूत हुआ है। क्योंकि प्रीतम सिंह भी चकराता विधानसभा से 2002 से लगातार विधानसभा पहुंचते आ रहे हैं। इसलिए प्रीतम सिंह नेता प्रतिपक्ष के मजबूत दावेदार हैं। अगर कोई बहुत बड़ा उलटफेर हुआ तो चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आये यशपाल आर्य भी नेता प्रतिपक्ष बनाए जा सकते हैं।
बहरहाल हरीश रावत सोशल मीडिया में जिस तरीके से सक्रिय हैं और वो जिस तरीके से मीडिया में बयान दे रहे हैं ऐसे में वह क्या चुप बैठेंगे। यह देखने वाली बात होगी। 29 मार्च से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि 29 मार्च से पहले कांग्रेस हाईकमान नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर लगा पाता है या नहीं।